भारतीय क्रिकेट टीम को BCCI ने दिया सिर्फ ‘हलाल’ खाने का निर्देश

क्या शुरु हो गई है BCCI के इस्लामीकरण की शुरुआत?

BCCI हलाल

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BCCI का ‘इस्लामीकरण’ शुरू हो गया है! यह बात हम नहीं बोल रहे हैं, दरअसल BCCI कुछ ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है। भले ही राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का मुख्य कोच बनाकर BCCI ने अच्छा काम किया है, लेकिन हाल ही में उसके एक निर्णय से सारी चीजें उथल-पुथल हो गई हैं। क्रिकेट में खिलाड़ी अपने  फिटनेस को लेकर सजग रहते हैं, वे विभिन्न प्रकार के आहार का सेवन करते हैं। विशेष तौर पर मांस का सेवन खिलाड़ियों द्वारा अधिक किया जाता है! ऐसे में, स्पोर्ट्स तक के हवाले से यह खबर सामने आ रही है कि “BCCI ने अपने खिलाड़ियों को हलाल मांस खाने की अनुमति दी है।”

जिसके बाद से ही बवाल मचा हुआ है। लोग सोशल मीडिया पर यह सवाल भी उठा रहे हैं कि हलाल मुर्गा का स्वास्थ्य से क्या सम्बंध है? भारत ने रांची के JSCA इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले गए अंतिम T-20 मैच में सात विकेट से जीत के बाद न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ चल रही तीन मैचों की T-20 श्रृंखला को क्लीन स्वीप कर जीत लिया है।

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भारत के नव नियुक्त मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा ने अपनी पहली बार क्लीन स्वीप के साथ टी20 श्रृंखला में जीत हासिल की है। मैच के बाद स्पोर्ट्स तक के हवाले से ऐसी खबरें सामने आ रही है कि अब भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को एक सख्त आहार योजना का पालन करना होगा, जो किसी भी रूप में पोर्क और बीफ को बहिष्कृत करता हो।

खिलाड़ियों के पोर्क और बीफ खाने पर लगी रोक

भारतीय क्रिकेट टीम की नई आहार योजना के अनुसार, खिलाड़ियों को खुद को फिट और स्वस्थ रखने के लिए किसी भी रूप में पोर्क (सुअर का मांस) और बीफ खाने की अनुमति नहीं है। अगर कोई मांस खाना चाहता है, तो वह केवल हलाल रूप में होना चाहिए। वहीं, खिलाड़ी अब से किसी अन्य प्रकार के मांस का सेवन नहीं कर सकते हैं।

इस ममाले पर सहमति जताते हुए क्रिकेट जगत की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने टूर्नामेंट के दौरान खिलाड़ियों को फिट और स्वस्थ रखने के लिए आहार योजना को सख्ती से लागू करने को कहा है। ICC का मानना है कि “नई आहार योजना यह सुनिश्चित करेगी कि खिलाड़ियों को किसी भी महत्वपूर्ण श्रृंखला या आयोजन से पहले कोई अनावश्यक वजन हासिल हो सके।” 

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यह निर्णय कहीं BCCI के इस्लामीकरण की शुरुआत तो नहीं!

गौरतलब है कि हलाल मांस का सीधा संबंध मुस्लिम समुदाय के मान्यताओं से है। मुसलमानों का यह मानना है कि हलाल मांस पाक होता है! यह वही मुद्दा है जिसके कारण केरल में आये-दिन बवाल होता रहता है। कोई भी वैज्ञानिक आधार इस बात का समर्थन नहीं करता है कि हलाल मांस खाने से स्वास्थ्य बढ़िया होता है, लेकिन फिर भी किस तर्क के आधार पर क्रिकेट बोर्ड द्वारा ऐसा किया जा रहा है, यह विचारणीय है। BCCI के पास अगर कोई वैज्ञानिक आधार है, तो सबको उस तथ्य से रूबरू कराया जाना चाहिए ताकि अन्य लोग भी हलाल मांस का सेवन कर सकें और अगर ऐसा नहीं होता है, तो इस निर्णय को BCCI के ‘इस्लामीकरण’ की शुरुआत माना जा सकता है!

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