डिजिटल पेमेंट, मोबाइल पेमेंट, रियल टाइम पेमेंट, ई-वैलट आदि का नाम तो सुना ही होगा और आप रोज डिजिटल पेमेंट करते भी होंगे। डिजिटल इंडिया मिशन के लॉन्च के छह साल बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट का बाजार बन चुका है और यह चीन, अमेरिका और UK के कुल रियल टाइम पेमेंट से मीलों आगे जा चुका है।
EIU (द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में बताया कि भारत रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट में नंबर एक पर है। इसके बाद चीन और दक्षिण कोरिया का स्थान है। EIU ने 25.5 बिलियन लेनदेन के साथ रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट की संख्या के आधार पर भारत को दुनिया के नंबर एक बाजार का दर्जा दिया है। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 तक, यह संख्या 85.7 बिलियन तक जाने की उम्मीद है।
चीन 15.7 बिलियन लेनदेन के साथ बहुत पीछे है, इसके बाद दक्षिण कोरिया (6.01 बिलियन), थाईलैंड (5.24 बिलियन), यूके (2.82 बिलियन), नाइजीरिया (1.91 बिलियन), जापान (1.68 बिलियन), ब्राजील (1.33 बिलियन), यूएस (1.2 बिलियन) और मैक्सिको (942 मिलियन) हैं। यानी चीन, अमेरिका और UK में हो रहे रियल टाइम डिजिटल पेमेंट को छोड़ दें, तब भी भारत मीलों आगे जा चुका है। यह चीन में 15.7 बिलियन डिजिटल लेनदेन की तुलना में 1.6 गुना और अमेरिका में देखे गए 1.2 बिलियन लेनदेन से 21 गुना अधिक है।
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यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है डिजिटल पेमेंट और रियल टाइम पेमेंट में अंतर है। डिजिटल पेमेंट प्रौद्योगिकी पर निर्भर हैं, वे सभी रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट की तरह तात्कालिक नहीं हैं।
रीयल-टाइम पेमेंट (RTP) अनिवार्य रूप से डिजिटल भुगतान हैं जिन्हें तत्काल या तत्काल किया जा सकता है और पूरा किया जा सकता है। यह क्रेडिट या डेबिट कार्ड भुगतान से अलग है, जिसे पूरा होने में अधिक समय लगता है।
भारत का UPI डिजिटल भुगतान को गति प्रदान कर रहा है
भारतीय रिजर्व बैंक-डिजिटल भुगतान सूचकांक (RBI-DPI) के अनुसार, डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। केंद्रीय बैंक के अनुसार, मार्च 2021 में सूचकांक 270.59 रहा, जबकि मार्च 2020 में यह 207.84 और मार्च 2019 में 153.47 था। जब डिजिटल लेनदेन की बात आती है तो भारत दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन से ऊपर है।
How India gained number one status in Digital Transactions
— Rishi Bagree (@rishibagree) September 26, 2021
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द नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि UPI ने सितंबर में 7. 71 ट्रिलियन रुपये के 4.21 बिलियन लेनदेन किए, जो लेनदेन की मात्रा और मूल्य दोनों में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन है।
पेमेंट ऐप में, Google पे से की गई लेनदेन की संख्या नवंबर में 960 मिलियन यानी सबसे ऊपर थी, जिसकी 43 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हो चुकी है।
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इस विशाल बाजार के बावजूद, भारत अभी भी कैश-आधारित भुगतान से संचालित है, जिसका भारत में 61.4% हिस्सा है। RBI द्वारा जारी Payments and Settlements Data की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि नॉन कैश पेमेंट में डिजिटल पेमेंट की कुल मात्रा 2017-18 के दौरान 92.5 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 के दौरान बढ़कर 98.5 प्रतिशत हो गई। इसी तरह, मूल्य के मामले में संबंधित आंकड़े 2017-18 में 94.4 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 में 96.2 प्रतिशत हैं। इसका तात्पर्य यह है कि बैंकिंग प्रणाली पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक मोड में पहुंच गई है। 2025 तक, तत्काल भुगतान और अन्य इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों के लिए वॉल्यूम शेयरों के 37.1 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।
भारत का UPI दर्शाता है कि कैसे एक सक्षम नीति ढांचा और सहायक विनियमन अपनाने से बड़े बदलाव हो सकते हैं। आज एक ठेलेवाला भी इस ढांचे का इस्तेमाल कर अपने पेमेंट डिजिटली कर रहा वह भी रियल टाइम में।
सरकारी संस्थानों, विशेष रूप से केंद्रीय बैंक यानी RBI ने व्यापारियों के लिए क्यूआर कोड और टोल गेट्स के लिए रेडियो-फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग जैसे उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहित किया। केंद्र सरकार डिजिटल लेनदेन को और भी अधिक बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इस साल मई में, NITI Aayog और Mastercard ने ‘कनेक्टेड कॉमर्स: क्रिएटिंग-ए-रोडमैप फॉर-ए-डिजिटली इनक्लूसिव इंडिया’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट ने भारत में डिजिटल वित्तीय समावेशन में तेजी लाने में चुनौतियों की पहचान की गयी थी और देश की पूरी आबादी के लिए डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए सिफारिशें दी थी।
सरकार द्वारा लिए गए इन्हीं कदमों ने रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट की दिशा में भारत के अभियान का मार्ग प्रशस्त किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कम मूल्य के भुगतानों की व्यापकता ने ही भारत को रियल टाइम भुगतान में नंबर एक बनाया है।