पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी रैली में कैराना पहुंचे । उन्होंने कैराना के उन परिवारों से मुलाकात की, जिन्हें बदमाशों के डर से अपना घर छोड़ना पड़ा था। कैराना कोई एक उदाहरण नहीं है। पूरे भारत में सामुदायिक पलायन की घटनाएं होती हैं। जहां सामुदायिक पलायन नहीं हो रहा है वहां भी अराजक तत्व आम आदमी का शोषण कर रहे हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि समाज अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम क्यों नहीं है। क्यों एक समाज को अपनी मूलभूत आवश्यकता, जीवन और सम्मान की सुरक्षा के लिए प्रशासन के सामने हाथ फैलाना पड़ता है, और प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाता है? इसके केंद्र में एक महत्वपूर्ण पक्ष भारत में व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए बंदूक का लाइसेंस मिलने की क्लिष्टता है।
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आम आदमी को लाख खतरों के बाद भी बंदूक का लाइसेंस नहीं मिलता
भारत में बंदूक का लाइसेंस लेना किसी दूसरे देश का वीजा लेने से भी कठिन काम है। आपको अमेरिका का वीजा दिलवाने के लिए 50 से अधिक एजेंट और एजेंसी मिल जाएगी लेकिन बंदूकों का लाइसेंस दिलाने के लिए कोई संबंध काम नहीं आता है। सामान्य आदमी के लिए तो भारत में बंदूक का लाइसेंस लेना असंभव कार्य है। यदि आपका किसी नेता से परिचय है या आप किसी माफिया गैंग से संबंधित हैं तो आपके लिए बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करना आसान हो सकता है लेकिन एक आम आदमी को लाख खतरों के बाद भी बंदूक का लाइसेंस नहीं मिलता।
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बंदूक का लाइसेंस के लिए एड्रेस प्रूफ, आयु प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, इनकम सर्टिफिकेट, संपत्ति की जानकारी, मेडिकल सर्टिफिकेट, लोन या उधार ले रखा है तो उस बारे में जानकारी, नौकरी या बिजनेस की जानकारी सहित निशानेबाजी जैसे खेलों में शामिल खिलाडि़यों को लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय अपने खेल के बारे में जानकारी देनी होती है।
सुरक्षाबलों से सेवानिवृत लोगों को अपने संस्थान से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) लेना होता है। इतना ही नहीं इसके बाद भी DM ऑफिस से लेकर SP ऑफिस, लोकल थाने से अनुमति लेने की पूरी प्रक्रिया होती है। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट से आपके बारे में जानकारी जुटाई जाती है।
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देश में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता है
इसके बाद भी आपको कौन सा हथियार खरीदना है, इसकी अनुमति प्रशासन देता है, जिस हथियार की अनुमति मिली हो उसे उसी दुकान से खरीदना होता है जहां से प्रशासन आपको अनुमति देगा। हथियार खरीदने के बाद आपको हथियार की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को तथा लोकल थाने को देनी होगी जहां पर इस बात का मिलान होगा कि आपने वही हथियार खरीदा है जिसकी अनुमति आप को दी गई थी।
हथियारों में भी कुछ हथियार साधारण व्यक्ति के लिए उपलब्ध हैं, जिन्हें ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड बनाता है। जहां आपको पॉइंट 22 या पॉइंट 32 बोर की हैंडगन और 312 बोर की राइफल जैसे साधारण हथियार ही मिल सकते हैं। आपको कोई भी ऑटोमेटिक पिस्टल या बड़ी बंदूक नहीं मिल सकती है।
अब इसकी तुलना अपराधियों से करें तो सभी जानते हैं कि भारत में अंडरवर्ल्ड माफियाओं के पास एके-47, स्नाइपर, ग्लॉक पिस्टल जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं। इसके अलावा भारत में अब लोगों का standard of living भी पहले से कई गुना बेहतर हुआ हैl ऐसे में जनसंख्या के अनुपात में इतना पुलिस बल मौजूद नहीं है और ना ही पुलिस को निष्ठापूर्वक कर्तव्य पालन करने दिया जाता है। देश में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता है।
हम एक बड़ी त्रासदी से बच सकेंगे
ऐसे में आम आदमी के पास अपनी सुरक्षा के लिए क्या मार्ग है? यह प्रश्न इतना महत्वपूर्ण है कि इसे भारत में बंदूकों की बिक्री और बंदूक का लाइसेंस के नियमों में सुधार के केंद्र में रखा जाना चाहिए। तभी हम कैराना और पश्चिम बंगाल, जहां दिन-प्रतिदिन हथियारों के बल पर सरेआम घटनाएं घट रही हैं, उससे सबक सीखते हुए एक बड़ी त्रासदी से बच सकेंगे।