वर्ष 2015, दावा, “हम पांच साल के भीतर यमुना को पुनर्जीवित करेंगे।”
वर्ष 2016, दावा, “दिल्ली सरकार ने शुरू की यमुना रिवरफ्रंट परियोजना”
वर्ष 2019, दावा,”यमुना को कम 4-5 वर्षों में इतना साफ कर देंगे कि आप उसमें गोता लगाने लगेंगे। इसकी भी प्लानिंग मैंने कर दी है!”
वर्ष 2020, दावा, “यमुना इतनी साफ होगी कि आप उसमें तैर सकते हैं।”
वर्ष 2021, दावा, ” यमुना अभी भी हमारे एजेंडे में है। हम इसे अगले विधानसभा चुनाव तक पूरा कर लेंगे।”
ये दावे हैं यमुना को साफ करने के, उसे स्वच्छ बनाने के और लोगो को यमुना नहलवाने के! पिछले 6 वर्षों से दावों का ऐसा रेला चला है कि दिल्ली की जनता मंत्रमुग्ध हो बार-बार केजरीवाल को ही चुनती है। परंतु जनता को मिला क्या? यमुना में बहते प्रदूषित पानी से निकला विषाक्त झाग! एक बार फिर से छठ के महापर्व के अवसर पर यमुना में दूषित पानी और झाग का मुद्दा उठा है। क्योंकि अब दिल्ली की जनता ने केजरीवाल को और 5 वर्षों के लिए सीएम की कुर्सी पर बैठा ही दिया है, तो उन्हें अगले पांच वर्षों तक भी विषैला झाग ही मिलने वाला है।
वर्ष 2015 से धीरे-धीरे वर्ष 2021 आ गया है लेकिन दिल्ली और दिल्ली की जनता की समस्याएं वही की वही हैं। विषैले गैस से भी प्रदूषित हवा और जहरीले केमिकल से भी विषाक्त यमुना का पानी।
दिवाली के बाद दिल्ली की प्रदूषित हवा का मामला उठा ही था कि तब तक महापर्व छठ आ गया और यमुना में तैरते विषैले झाग की तस्वीरों से सोशल मीडिया भर गया। लोग केजरीवाल को झागासुर से लेकर कई तरह के उपनाम देने लगे। परंतु इस पर AAP की सरकार का रुख वही है, यानि हम यमुना को अगले चुनाव से पहले साफ कर लेंगे। केजरीवाल तो ऐसे जिम्मेदारी ले रहे हैं, जैसे उनसे जिम्मेदार कोई नेता ही नहीं है।
#WATCH | Thick layer of toxic foam floats on the surface of river Yamuna
Visuals from Delhi's Kalindi Kunj area pic.twitter.com/W8HSGrLumw
— ANI (@ANI) June 29, 2021
जिस तरह से केजरीवाल आज दावे कर रहे हैं कि वो आने वाले चुनावों तक यमुना साफ कर लेंगे, उसी तरह से वो पिछले 6 वर्षों से यही दावे करते आ रहे है। पिछले 6 वर्षों में जिस तरह से झूठे दावों के जाल बुने गए हैं उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि जब तब केजरीवाल दिल्ली की सत्ता के शीर्ष पर हैं, आने वाले समय में भी यमुना की स्थिति जस की तस बरकरार रहने वाली है।
दिल्ली सरकार के दावों का दौर वर्ष 2015 से ही चल रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में 5 साल के भीतर यमुना नदी को साफ करने का वादा किया था। वर्ष 2015 से 5 वर्ष का अर्थ है 2020 तक यामुन की सफाई। उन्होंने यह वादा अपने कैबिनेट सहयोगियों और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नदी के किनारे पहली ‘यमुना आरती’ में हिस्सा लेने के बाद किया था। 2015 की मिंट की रिपोर्ट बताती है कि केजरीवाल ने उस दौरान दावा किया था, “हम पांच साल के भीतर यमुना को पुनर्जीवित करेंगे।”
एक समय के लिए अगर यह मान लिया जाए कि प्रोजेक्ट में देरी हुई, तब ऐसे यमुना की स्थिति में कुछ तो सुधार आना चाहिए था? यहाँ सुधार तो दूर की बात विषैले झाग का कद अवश्य बढ़ गया है।
Stories of Yamuna by @ArvindKejriwal pic.twitter.com/xdJ3xVfiSl
— exsecular(Modi ka Parivar) (@ExSecular) November 8, 2021
वर्ष 2016 में दिल्ली सरकार ने 200 करोड़ रुपये की एक परियोजना शुरू करने का दावा करते हुए कहा कि यमुना रिवरफ्रंट अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे के ” विपरीत” होगा।
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2017-18 का बजट पेश करते हुए दिल्ली सरकार ने बड़े-बड़े दावे करते हुए कहा था, ‘तीन बड़े नालों के साथ इंटरसेप्टर सीवर बिछाने का प्रोजेक्ट जल्द पूरा किया जाएगा। यह यमुना की सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए मील का पत्थर साबित होगा। दिल्ली के प्रमुख नालों की सफाई के लिए इसी मॉडल का पालन किया जाएगा।’
2020 में AAP सरकार ने दावा किया था कि दिल्ली सरकार अगले तीन से चार वर्षों में यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए दृढ़ है। केजरीवाल ने टाउन हाल में 3 जनवरी 2020 को फिर से दावा किया कि अगले 5 साल में यमुना को इतना साफ करेंगे कि लोग डुबकी लगा सकें।
2020 में ही एक रिपोर्ट आई कि यमुना को साफ करने के प्रयास कागजों पर ही रह गए हैं क्योंकि दिल्ली में 35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में से 26, प्रदूषण नियंत्रण निकाय द्वारा निर्धारित निर्वहन मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मार्च में 2021-2022 के लिए AAP सरकार का बजट पेश करते हुए दावा किया था कि अगले तीन वर्षों में यमुना नदी पूरी तरह से साफ हो जाएगी। उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि इस संबंध में 2,074 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस साल सितंबर में, दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने दावा किया था कि AAP सरकार हरियाणा और उत्तर प्रदेश से यमुना में आने वाले लगभग 155 मिलियन गैलन प्रति दिन (MGD) विषैले जल का उपचार करने की योजना बना रही है।
अब एक बार फिर से यह मामला उठा है। दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास यमुना के झाग के दृश्य किसी को भी आश्चर्यचकित कर सकते हैं कि क्योंकि विषैले झाग इस तरह दिखाई देते हैं जैसे ये अलास्का के उप-शून्य तापमान का क्षेत्र ही या अंटार्कटिका में पिघलने वाले ग्लेशियर से ढकी नदी। खास बात यह है कि इस झाग को हटाने के लिए IIT खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने वाले केजरीवाल यमुना नदी में पानी का छिड़काव करवा रहे हैं।
हालांकि, अब एक बार फिर से नई समय सीमा तय की गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड ने यमुना को स्वच्छ करने के लिए 2026 निर्धारित किया है। वहीं, दिल्ली की आप सरकार ने 2023 तक यमुना को साफ करने का वादा किया है। जिस तरीके से यमुना की सफाई को लेकर केजरीवाल सरकार तारीख पर तारीख दिये जा रही है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यमुना आने वाले वर्षों में भी स्वच्छ नहीं होने वाली है।
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