कहते हैं, बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय दिखा सकती है। लगता है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। हाल ही में इस संगठन ने अपने नाम को वास्तव में सार्थक करते हुए एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कराया, लेकिन अब वही लोग उसकी आलोचना कर रहे हैं जो उसके सबसे बड़े समर्थक हैं – वामपंथी और बुद्धिजीवी।
लेकिन ऐसा भी क्या हुआ जिसके कारण अब वामपंथी NHRC यानि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को कैंसल करने लगे? असल में असम राइफल्स के सहयोग से राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग ने एक वाद-विवाद प्रतियोगिता कराई, और उसमें उन्होंने विषय पूछा, “क्या मानवाधिकार का मुद्दा आतंकवाद और नक्सलवाद से मोर्चा संभालने में आड़े आता है?”
लेकिन इस चर्चा मात्र से वामपंथियों को इतनी चिढ़ और बौखलाहट मची कि इन्होंने NHRC को ही ‘कैंसल’ कर दिया! जी हाँ, अब वामपंथी केवल इस विषय के पीछे NHRC को तरह-तरह के उलाहने दे रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के एक पत्रकार अरविन्द चौहान ने ट्वीट किया, “मानवाधिकार के संरक्षकों ने क्या विषय चुना है! उच्च कोटि के नशे कर रहे हैं!”
…mind blowing topic from human right watchdog of the country.
some1 has access to premium quality 'inhaling' stuff over there. https://t.co/zv9a3IhSRa
— Arvind Chauhan 💮🛡️ (@Arv_Ind_Chauhan) November 9, 2021
एक और पत्रकार मान अमन सिंह ने ट्वीट किया, “अब इन लोगों से और उम्मीद भी क्या कर सकते हैं?” इनका इशारा इस ओर था कि ये सब ‘मोदी के एजेंट’ है –
What else can you expect from the National Human Rights Commission (NHRC) in India? https://t.co/RcWFTYjMP3
— Man Aman Singh Chhina (@manaman_chhina) November 9, 2021
CAA विरोधी प्रदर्शनों के नाम पर पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़काने वाले गैंग में अप्रत्यक्ष रूप से हर्ष मंदर की भांति एक अहम भूमिका निभाने वाले सलिल त्रिपाठी ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, “यही होता है जब रक्षक भक्षक बन जाए!” –
When game keepers turn poachers. https://t.co/5zWChit0mR
— saliltripathi (वो बनाये परिवार, हमें पसंद रविवार) (@saliltripathi) November 9, 2021
और पढ़ें : थरूर ने आडवाणी जी को दी बधाई, तो वामपंथियों को लगी मिर्ची
एनडीटीवी की एंकर गार्गी रावत तो इस विषय पर इतना उबल पड़ी कि उन्होंने अपनी बौखलाहट जताते हुए ट्वीट किया, “आप सच में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हैं! आपका काम है लोगों के अधिकारों की रक्षा करना, अवरोध पर चर्चा करना नहीं!”
You are literally the National Human Rights Commission of the country. Meant to protect rights, not debate ‘stumbling blocks’ https://t.co/Vj1aCqMWpp
— Gargi Rawat (@GargiRawat) November 9, 2021
लेकिन आपको क्या लगता है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ऐसा पहला है, जिन्हें केवल अपना कार्य करने के लिए इतना सुनाया गया है? अभी 8 नवंबर को जब लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन था, तो सभी को चौंकाते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने उन्हे जन्मदिन की बधाइयाँ दी थी –
Warm wishes for a fine human being, a gentleman in politics, a leader of wide reading and great courtesy. #HappyBirthdayLKAdvani https://t.co/FSnxtrelDF
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 8, 2021
बस, इसी के पीछे वामपंथी शशि थरूर के शिष्टाचारी कदम पर उनके विरुद्ध हो गए। TFI के विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्विटर का सहारा लेते हुए लालकृष्ण आडवाणी को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं , और लिखा कि “एक अच्छे इंसान, राजनीति में एक सज्जन व्यक्ति, और महान शिष्टाचार के नेता को हार्दिक शुभकामनाएं।“
थरूर के इस ट्वीट को लेकर लिबरल गैंग ने ट्विटर पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। लिबरल गैंग का यह आतंक ट्विटर पर केवल शशि थरूर तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने आडवाणी जी की भी निंदा की, सिर्फ इसलिए कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल के एक नेता ने एक भाजपा नेता को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी थी l
ऐसे में जिस प्रकार से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा एक महत्वपूर्ण विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता कराने भर के लिए वामपंथी बिलबिलाने लगे हैं, वो अपने में काफी विनोदपूर्ण है, परंतु इस बात को भी उजागर करता है कि वामपंथी तभी तक उदारवादी हैं जब तक कोई उसके खोखले विचारों पर सवाल न उठाए। जहां प्रश्न उठा, वामपंथियों से तानाशाही कोई नहीं!