“अगर अमरनाथ यात्रियों को कुछ भी हुआ तो मेरा विश्वास करिए, महाराष्ट्र से हज के लिए एक भी विमान नहीं उड़ेगा।” यह वाक्य था हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे का। इस वाक्य में इतनी ताकत थी कि अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी समूहों द्वारा संभावित किसी भी हमले की आशंका को ध्वस्त कर दिया था। परंतु, ऐसी विराट शख्सियत और विश्व हिंदू हृदय सम्राट का बीज सत्ता की लालायितता के कारण तथाकथित धर्मनिरपेक्षता, आतंक समर्थन और राज्य समर्थित हिंदू शोषण पर आमादा हो जाएगा इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। कटु है परंतु, सत्य यही है।
वामपंथियों ने हिन्दुओं के नरसंहार के लिए उकसाया
मामला तब शुरू होता है जब बांग्लादेश में एक मुसलमान ने कुरान के अपमान की झूठी खबर फैलाकर हिंदुओं का नरसंहार करवाया गया और कई मंदिर ध्वस्त कर दिए गए। इस बात के विरोध में त्रिपुरा में बंगाली हिंदुओं द्वारा एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। परंतु, समृद्धि के. साकुनिया और सवर्णा झा जैसी वामपंथी पत्रकारों ने वापिस हिंदुओं द्वारा कुरान की प्रतियां जलाने की झूठी खबर फैलाकर मुसलमानों को हिंदुओं के नरसंहार के लिए उकसाया और इस विरोध प्रदर्शन को दबा दिया।
हालांकि, दोनों पत्रकार अपने इस खबर के पीछे कोई भी प्रमाणिक साक्ष्य देने में असमर्थ रहीं। वहीं मुसलमानों को शांत रखने के लिए त्रिपुरा पुलिस को मस्जिद की सुरक्षित तस्वीर तक जारी करनी पड़ी। बांग्लादेश की झूठी खबर त्रिपुरा और त्रिपुरा की झूठी खबर महाराष्ट्र के कई हिस्सों में आग की तरह फैली गई। फिर क्या था? रजा अकादमी के नेतृत्व में अमरावती जिले के गांधी बाजार को विरोध के दौरान बंद रखने और ना मानने पर अंजाम भुगतने की धमकी देने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
मुसलमान दंगाइयों को बचाने के लिए फैलाई गई झूठी ख़बरें
“इस्लाम और दीन खतरे में है“ यह बात नांदेड़ और मालेगाव में भी आग की तरफ फैली। उपद्रव आरंभ हो गया। इस धर्मान्ध भीड़ के लिए मार-काट, तोड़-फोड़, लूट-पाट सब कुछ जायज हो गया और इस समय बाला साहब ठाकरे की कमी सबसे ज्यादा महसूस हुई। बाला साहब ठाकरे और शिवसेना ऐसे समय में हिंदुओं के लिए ढ़ाल बनकर खड़े हो जाते थे। परंतु, महाराष्ट्र में उनके पुत्र उद्धव सत्ता के लालच में इतने गिर चुके हैं कि उन्होंने ना सिर्फ शिवसेना को निज़ाम सेना में परिवर्तित कर दिया बल्कि पुलिस प्रशासन को भी उल्टे हिंदुओं के दमन के कार्य में लगा दिया।
इस भीषण दंगे को छोटा-मोटा उपद्रव बताया जाने लगा और कहा जाने लगा कि मात्र दो-तीन दुकानें लूटने की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। 1-2 लाख के मात्र एक दो वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। वह अलग बात है कि आपको स्वयं नहीं पता होगा कि आखिर कौन से वाहन मात्र एक या दो लाख के आते हैं? हालांकि, जब रजा अकादमी के दंगाई मिल नहीं रहे हैं, तो पुलिस ने उल्टा हिंदुओं को ही गिरफ्तार कर लिया। नासिक पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सचिन पाटिल के अनुसार, कुल दर्ज 5 FIR के आधार पर 52 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उद्धव सरकार की हिन्दुओं पर हुए अत्याचार पर चुप्पी शर्मनाक़ है
वही नांदेड़ रेंज के DIG निसार तंबोली के अनुसार, कुल दर्ज चार FIR के आधार पर 67 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। परंतु, ये मछली पकड़ कर मगरमच्छ छोड़ने की महाराष्ट्र पुलिस की चाल है। रजा अकादमी का कोई दंगाई नहीं पकड़ा गया और ऊपर से उद्धव सरकार के आदेश पर पुलिस महकमा इसे तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का पाखंडी चोगा ओढ़ाना चाहती है। महाराष्ट्र पुलिस, जनता का ध्यान कुल 9 FIR के आधार पर पकड़े गए 119 लोगों और रजा अकादमी के भगोड़ों से हटाना चाहती है।
इसके लिए जबरदस्ती बड़े पैमाने पर हिंदुओं को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस द्वारा यह झूठी खबर फैलाई जा रही है कि मुसलमान तो दरअसल इस दंगे को रोक रहे थे। इस मामले में, महाराष्ट्र की निज़ाम सेना तो बांग्लादेश के धर्मांध सरकार से भी आगे निकल गई। वहां के हिंदुओं से तो कम से कम विरोध प्रदर्शन का अधिकार तो नहीं छीना गया। महाराष्ट्र में ना केवल उग्र मुस्लिम भीड़ ने हिंदुओं पर अत्याचार किए बल्कि उनके विरोध के अधिकार को भी छीन लिया गया।
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हिंदुओं को खतरा हिंदू धर्म में छिपे ‘गद्दारों’ से भी है
हिन्दुओं को झूठे मुकदमे में फंसा उन्हें खामोश कर दिया गया और मुसलमानों को रक्षक के रूप में चित्रित किया गया है जो कि उनके लिए लज्जाजनक है। पता नहीं स्वर्ग से यह सब देखकर बाला साहब की आत्मा कितनी रोती होगी। शायद इसीलिए भाजपा द्वारा उद्धव को चुनाव के पश्चात मुख्यमंत्री पद ना देने का निर्णय सही लगता है। कम से कम हिंदुओं को अपने अंदर छिपे हुए गद्दारों के बारे में तो पता चल गया। सत्ता के लिए उद्धव सरकार कितना गिर सकती है और अपने धर्म को भी धोखा दे सकती है, यह घटना उसी का एक जीता-जागता उदाहरण है। इसी अंतिम क्रम में वीर सावरकर के वो लेख याद आते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हिंदुओं को खतरा सिर्फ मुसलमानों और ईसाइयों से नहीं बल्कि हिंदू धर्म में छिपे गद्दारों से है।”