पिछले 7 वर्षों में कई क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिला है। विज्ञान से लेकर कृषि और रक्षा से अर्थव्यवस्था तक, केंद्र की मोदी सरकार ने निर्णायक बदलाव किए हैं। अब भी कुछ ऐसे क्षेत्र बचे हैं, जहां सुधार की सबसे अधिक आवश्यकता है। बिजली का क्षेत्र भी उनमें से एक है। आज बिजली घर-घर की बुनियादी जरूरतों में से एक है, परंतु भारत का यही सेक्टर कई समस्याओं से घिरा हुआ है और लगातार घाटे में जा रहा है। हालांकि, सरकार द्वारा जल्द ही बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पेश करने की उम्मीद है। यह बिल केंद्र द्वारा एक ऐसे क्षेत्र में सुधार का नवीनतम प्रयास है, जिसमें पिछले 25 वर्षों से सुधार तो हुआ, लेकिन कभी भी उन मुद्दों से नहीं निपटा गया जिनसे ये पीड़ित थे। बिग बुल के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला ने इसे 1991 के उदारीकरण सुधारों से भी बड़ा सुधार बताया है।
वितरण क्षेत्र में उतरेंगी निजी कंपनियां
भारत दुनिया के सबसे बड़े बिजली बाजारों में से एक है, लेकिन यह देश के सबसे अक्षम क्षेत्रों में से भी एक है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, दरअसल, Technical and commercial cost (AT&C) पर हो रहे नुकसान के आंकड़े इशारा कर रहे हैं। बिजली क्षेत्र में वितरण सबसे कमजोर कड़ी है, जिसमें कई राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियां शामिल हैं। सरकार बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 के माध्यम से इस समस्या से निपटने के लिए तैयार है।
हालांकि, बिजली विधेयक 2003 के दौरान तथा कई सुधार किए गए, लेकिन बिजली वितरण कंपनियों में कोई सुधार नहीं हुआ और ये कंपनियां घाटे में ही रहीं। अगस्त में जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, बिजली वितरण कंपनियों को पिछले वित्त वर्ष में 90,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। रिपोर्ट में बताया गया था कि, “इस घाटे के कारण, Discoms समय पर बिजली जनरेटर का भुगतान करने में असमर्थ रही हैं और मार्च 2021 तक 67,917 करोड़ रुपये की राशि बकाया थी।”
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इस घाटे को कम करने और दक्षता में सुधार के लिए राज्यों और केंद्र ने बिजली वितरण कंपनियों में बार-बार पूंजी लगाने की कोशिश की है, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। यही कारण है कि अब नए कानून के जरिए निजी कंपनियों को भी इस वितरण क्षेत्र में उतरने का मौका दिया जाएगा। यह ठीक उसी तरह होगा जैसे टेलिकॉम क्षेत्र में निजी कंपनियां काम करती हैं।
निजी क्षेत्र के प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने और बिजली वितरण का लाइसेंस देने से काफी हद तक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। नीति आयोग के अनुसार, दिल्ली में निजी क्षेत्र की तीन कंपनियों को बिजली वितरण का लाइसेंस देने से AT&C का घाटा 55 फीसदी से कम होकर 9 फीसदी हो गया है। यही नहीं ओडिशा और महाराष्ट्र सरकार द्वारा भिवंडी में लागू किए गए फ्रेंचाइज़ी मॉडल ने अब तक सकारात्मक परिणाम दिए हैं।
खत्म होंगे राज्यों के एकाधिकार
विद्युत संशोधन विधेयक 2021 समग्र बिजली आपूर्ति श्रृंखला में बिजली वितरण की संरचना को मौलिक रूप से बदल देगा। विधेयक में राज्य में एक से अधिक कंपनियों को संचालित करने की अनुमति देकर, बिजली वितरण पर राज्य के एकाधिकार को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को उस वितरक को चुनने का विकल्प दिया जाएगा, जैसे टेलिकॉम क्षेत्र में होता है। इससे कुशल और लागत प्रभावी सर्विस मिलेगी।
यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस विधेयक के प्रभाव से नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर को उन राज्यों की बिजली आपूर्ति रोकने में सहायता मिलेगी, जो अपना बकाया जानबूझकर नहीं चुकाते, जैसे- दिल्ली, राजस्थान इत्यादि! लोड डिस्पैच सेंटर की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है, क्योंकि नवीकरणीय जनरेटर के जुड़ने से परस्पर विद्युत प्रणाली अधिक जटिल हो चुकी है। साथ ही बिजली के डिस्पैच से संबंधित विवाद बढ़ रहे हैं, ऐसे में लोड डिस्पैच केंद्रों से संबंधित विवादों को नियामक आयोगों के कार्यों में शामिल किया गया है। प्रस्तावित संशोधनों में हर एक आयोग में कानून की पृष्ठभूमि से एक सदस्य की नियुक्ति, बिजली के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) को मजबूत करना, उपभोक्ताओं के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करने के अलावा RPO के गैर-अनुपालन के लिए दंड भी शामिल है।
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भारत में बिजली क्षेत्र को बदल देगा यह ऐतिहासिक सुधार
कुछ लोगों द्वारा नियामक आयोगों को पहले ‘टूथलेस टाइगर’ कहा जाता था। अब नए कानून के तहत उनके आदेश अब डिक्री के रूप में लागू होंगे जिनमें संपत्ति की कुर्की, गिरफ्तारी और जेल में नजरबंदी शामिल है। यही नहीं क्रॉस बॉर्डर ट्रेड का भी राज्यों को फायदा मिलने जा रहा है। उदाहरण के लिए अगर किसी राज्य में अधिक और किसी में कम बिजली है, तो कैसे वो राज्य एक व्यावसायिक डील के जरिए अपनी आवश्यकताओं को पूरी कर सकता है, ऐसा बड़ा सुधार सिर्फ मोदी सरकार ही ला सकती थी। यह सुधार भारत में बिजली क्षेत्र को बदल देगा। यह न केवल बिजली वितरण को नियमित करेगा, बल्कि इस सुधार से सरकार को हर साल हजारों करोड़ की बचत होगी। साथ ही यह डिस्कॉम को घाटे में भी जाने से भी रोकेगी। भारत सभी तक बिजली की पहुंच के रिकॉर्ड को हासिल करने के करीब है और यह नया संशोधन इसे मुकाम तक पहुंचाने का सबसे मजबूत आधार है।
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