कभी देश का 40वां सबसे स्वच्छ शहर था नोएडा, आज वह टॉप-10 में है

योगी है तो संभव है!

योगी आदित्यनाथ स्वच्छ शहर

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किसी भी परेशानी के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना सबसे आसान कामों में से एक है। आरोप-प्रत्यारोप लगाना अलग चीज है, लेकिन खुद जिम्मेदारी उठाकर समस्याओं का निवारण करना एक मजबूत और समझदार प्रतिनिधित्व की निशानी है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने ऐसे ही कारनामों के लिए जाने जाते हैं। साल 2017 में यूपी में सरकार बनाने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की विकास और कानून व्यवस्था को लेकर जबरदस्त काम किया है। परिणास्वरुप, यूपी की कानून व्यवस्था पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हो गई है और साथ ही विकास के क्षेत्र में भी यूपी नित नये आयाम की ओर बढ़ते जा रहा है। इसी बीच खबर है कि यूपी का नोएडा स्वच्छ शहर के मामलें में 320वें स्थान से अब चौथे स्थान पर पहुंच गया है। इतना बेहतरीन बदलाव कई दशकों में नहीं हुआ, लेकिन योगी सरकार ने ये कारनामा मात्र 4 वर्षों के भीतर कर दिखाया है।

नोएडा को मिली 5 स्टार रेटिंग

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। केंद्रीय आवास और शहर मामलों का मंत्रालय हर साल स्वच्छ सर्वेक्षण (स्वच्छता सर्वेक्षण) आयोजित करता है। सर्वेक्षण शहर की स्वच्छता, मल-मूत्र निकासी और हाइजीन का मूल्यांकन करता है। स्वच्छ सर्वेक्षण पहली बार साल 2016 में किया गया था, जिसमें केवल 73 बड़े शहरों ने भाग लिया था, लेकिन साल 2021 में, 4320 शहरों ने सर्वेक्षण में भाग लिया था।

यह स्वच्छता सर्वेक्षण का छठा संस्करण है, इस आंकलन में 342 शहरों को उनकी स्वच्छता और कचरा मुक्त स्थिति के लिए मान्यता दी गई थी। इस साल का स्वच्छता सर्वेक्षण रिकॉर्ड 28 दिनों में पूरा किया गया है। लगातार पांचवें वर्ष इंदौर को भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है, इसके बाद सूरत और विजयवाड़ा का स्थान आता है।

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स्वच्छ सर्वेक्षण में 1 लाख से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में चौथे स्थान के साथ नोएडा इस साल यूपी का सबसे स्वच्छ शहर है और यह पिछली बार से 21 स्थान ऊपर है। इस बार नोएडा ने 5 सितारा कचरा मुक्त शहर का दर्जा भी हासिल किया है। कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में नोएडा देश के उन 9 शहरों में शामिल है जिनको फाइव स्टार रैंकिंग का सर्टिफिकेट मिला है। हालांकि, अभी 7 स्टार रैंकिंग हासिल करना बाकी है। पिछले वर्ष इसमें शहर के सिर्फ थ्री स्टार थे। गौतमबुद्ध नगर के नगर जिला विकास अध्यक्ष एनपी सिंह ने कहा, “हमें खुशी है कि इस सर्वेक्षण में नोएडा को शीर्ष स्थान मिला है, लेकिन अभी भी जल संरक्षण, नालों की सफाई और नालों में जाने वाले अपशिष्ट जल के उपचार में सुधार जैसे कई मोर्चों पर काम करने की जरूरत है।”

राज्य के विकास के लिए तत्पर है योगी सरकार

बताते चलें कि नोएडा में लगभग 165 सेक्टर और 65 गांव हैं, जो रोजाना 900 मीट्रिक टन कचरा पैदा करते हैं। साल 2018 से नोएडा प्राधिकरण ने 250 वाहनों और 21 कॉम्पैक्ट मशीनों की मदद से घर-घर कचरा इकट्ठा करना शुरू किया। अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्राधिकरण द्वारा लगभग 69 सामुदायिक शौचालय, 150 सार्वजनिक शौचालय, 16 गुलाबी शौचालय और 119 मूत्रालय बनाए गए हैं, ताकि लोगों को खुले में शौच करने से रोका जा सके।

प्रशासन ने 21,000 घरेलू खाद किट वितरित किए, विभिन्न स्थलों पर 3,000 कूड़ेदान स्थापित किए, साथ ही कचरे को कम करने, पुन: उपयोग करने और पुनर्चक्रण पर ध्यान केंद्रित किया गया। कचरे के उपचार के लिए सेक्टर 145 के मुबारकपुर में 20,000 हेक्टेयर में फैले एक जैव-उपचार संयंत्र भी स्थापित किया गया था।

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नोएडा की विजय मात्र प्रशासन तक सीमित नहीं है। यह पिछले सरकारों के मुंह पर करारा तमाचा भी है, जिन्होंने सिर्फ अपनी राजनीतिक लाभ के लिए जनता का इस्तेमाल किया। स्वच्छ शहर की रैंकिंग के मामले में साल 2018 में देश में 320 वां स्थान, 2019 में 150 वां, 2020 में 25 वां और अब 2021 में चौथा स्थान बताता है कि कैसे क्रमिक विकास के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार तत्पर रही है।

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