कभी ‘बेहतर संसाधनों’ के साथ भारत को पीछे छोड़ने का लक्ष्य रखने वाले पाकिस्तान को अब दर-बदर भीख मांगना पड़ रहा है। जब से इमरान खान नियाज़ी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से ही पाकिस्तानियों के लिए चीजें और बदतर हो चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर दुनिया में चौथी सबसे ऊंची है, जिससे वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे लोगों में इमरान खान सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ता ही जा रहा है। बताया जा रहा है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो जल्द ही बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल सकता है।
पाकिस्तान में हालात ऐसे हो गए हैं कि कराची में एक जूता विक्रेता ने खुद को आग लगा ली, क्योंकि वह “आसमान छूती कीमतों” के कारण अपने घर के खर्चों को पूरा नहीं कर सका। ऐसा हम नहीं, बल्कि शाह मीर बलूच ने द गार्जियन के एक लेख में लिखा है। बता दें कि पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर दुनिया में चौथी सबसे ऊंची है और यह बढ़कर 9 प्रतिशत से ऊपर हो चुकी है। इसके साथ ही 2021 में पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय घटकर 1,260 अमेरिकी डॉलर हो गई है, जो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनने जा रही है। पिछले तीन साल में मुद्रास्फीति ने 70 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
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पाकिस्तान पर कुल कर्ज 399 ट्रिलियन रुपये से ज्यादा
स्थानीय मीडिया ने इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) का हवाला देते हुए कहा कि अगले छह महीनों तक पाकिस्तान में मुद्रास्फीति ऊंची रहेगी। सऊदी अरब के समर्थन पैकेज के बावजूद पाकिस्तानी रुपये में गिरावट जारी रहने की संभावना है।
यही नहीं स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा जारी एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का वित्तीय कर्ज लगातार बढ़ रहा है, इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान देश का कुल कर्ज 149 ट्रिलियन बढ़कर 399 ट्रिलियन रुपये हो गया है।
जब इमरान खान सत्ता में आए थे, तब उन्होंने लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की कसम खाई थी और उन्होंने 10 मिलियन नौकरियों के सृजन का वादा किया था। इसके बजाय, उन्हें चीन और सऊदी अरब से भीख मांगना पड़ रहा है! पिछले महीने सऊदी अरब की यात्रा के बाद रियाद से उन्होंने 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता की घोषणा की।
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इमरान खान को दे देना चाहिए इस्तीफा
शाह मीर बलूच ने द गार्जियन में पाकिस्तान की हालात बताते हुए लिखा कि, “इमरान खान ने लोगों के दुखों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया और आवश्यक खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी प्रदान करने वाले 120 अरब पाकिस्तानी रुपये के “राहत पैकेज” की घोषणा की।” परंतु देखा जाए तो यह पैकेज सागर में एक बूंद के समान ही है। शाह मीर ने बताया कि सरकार के घोषणा के बाद भी ईंधन और चीनी जैसी वस्तुओं की कीमतों में और बढ़ोतरी देखी गई।
यह किसी से छिपा नहीं है कि महंगाई तभी आती है, जब देश में बेरोजगारी अधिक है और मजदूरी स्थिर। ऐसे में आम जनता पर बोझ पड़ता है। पाकिस्तानी विपक्षी गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने देश में बढ़ती महंगाई को लेकर इमरान खान सरकार के खिलाफ अभियान चलाने की घोषणा की है। वहीं, पाकिस्तान में तेजी से बढ़ रही महंगाई पर चिंता जताते हुए विपक्षी नेताओं ने कहा कि 17 नवंबर को क्वेटा में महंगाई के खिलाफ निर्धारित मार्च, इमरान खान की सरकार के ताबूत में आखिरी कील होगी।
पाकिस्तान के लोगों का कहना है कि “प्रधानमंत्री ने एक ‘नया पाकिस्तान’ का वादा किया, जो आम लोगों के लिए एक कल्याणकारी राष्ट्र होगा, लेकिन उन्होंने ठीक इसके विपरीत काम किया है। वह गरीबों को कुचल रहे हैं।” यही नहीं, अब लोगों का स्पष्ट कहना है कि अगर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
गरीब जनता का मजाब बना रहे हैं पाकिस्तानी सरकार के मंत्री
बताते चलें कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी अधिक बुरी है कि वहां के जो नागरिक खाने के लिए भोजन मांग रहे हैं, उन्हें कम खाना खाने की सलाह दी जा रही है। उनके मंत्री जनता की इस गरीबी का ही मजाक बनाने पर तुल गए हैं। कश्मीर मामलों के मंत्री का कहना है कि पाकिस्तानी जनता को खाने की मात्रा को ही कम करना चाहिए। यही नहीं, तालिबान के बीच अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए इमरान खान ने पाकिस्तान में शरीयत को लागू करने के संकेत भी दिए हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी ने पाकिस्तान और उसकी जनता को गरीबी और भुखमरी के उस अंधेरे में पटक दिया है, जहां से पाकिस्तान को निकलने में दशकों लग जाएंगे।
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