अपने खालिस्तानी पिट्ठूओं की सहायता हेतु पंजाब की कांग्रेस सरकार लाई BSF-विरोधी प्रस्ताव

पंजाब सरकार और खालिस्तान के गठबंधन के खिलाफ कैप्टन अमरिंदर ने खोला मोर्चा

बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र

कांग्रेस शासित पंजाब सरकार की स्थिति इतनी नाज़ुक है कि पार्टी अपने अंदरखाने की कलहों के सामने घुटने टेकती नज़र आ रही है। इसके बावजूद पार्टी के नेता आए दिन अजीबो-गरीब बयान देते रहते हैं, जिसका सीधा फायदा अराजकतावादी तत्व उठाते हैं। आंतरिक कलहों के बीच जब पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा को लेकर सुरक्षा की दृष्टि से चिंता व्यक्त की, तो न केवल पंजाब अपितु देश के कई राज्यों में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया। ऐसे में अब पंजाब सरकार का आलोचनात्मक रुख सामने आया है, क्योंकि अब पंजाब सरकार ने मोदी सरकार के फ़ैसले के विरुद्ध विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है, और इसे संघीय ढांचे पर हमला बताया है।

पंजाब सरकार का अजीब प्रस्ताव

आज के दौर में केंद्र के विरुद्ध सबसे अधिक मुखर राज्यों पश्चिम बंगाल के बाद पंजाब में दूसरे नंबर पर आता है। तथाकथित किसान आंदोलन के चलते राज्य में सर्वाधिक अराजकता की स्थिति हैं, जिसके चलते मुख्यमंत्री रहते हुए पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह कह चुके थे कि किसान आंदोलन आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसे में जब मोदी सरकार ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया, तो पंजाब सरकार भड़क गई है, और अब इसको लेकर राज्य की विधानसभा में विशेष प्रस्ताव पारित किया है। इसके जरिये पंजाब ने मोदी सरकार के फ़ैसले को रद्द कर दिया है और यह भी संभावनाएं हैं कि इस मुद्दे पर पंजाब सरकार कोर्ट का रुख करेगी।

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पंजाब गृहमंत्री ने किया ऐलान

मोदी सरकार के फैसले का विरोध करते हुए पंजाब विधानसभा में ये प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव को पटल पर रखते हुए राज्य के गृहमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, पंजाब पुलिस की देशभक्ति पर कोई भी सवाल खड़े नहीं कर सकता। केंद्र ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का राज्य के भीतर दायरा बढ़ाकर पंजाब पुलिस समेत अन्य राज्यों की पुलिस पर भी अविश्वास जताया है। केंद्र सरकार तुरंत बीएसएफ संबंधी नोटिफिकेशन को वापस ले, अन्यथा पंजाब सरकार जल्द ही केंद्र के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित किया गया है।

वहीं इस मौके पर भी पंजाब में विपक्ष के बीच भी टकराव दिखा। आम आदमी पार्टी ने इस प्रस्ताव का तो समर्थन किया, किंतु पार्टी नेता कंवर संधू ने इस मौके पर अलग तरीक़े से पीएम मोदी और पंजाब की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, प्रस्ताव समर्थन योग्य है, लेकिन इसमें कुछ सुधार की गुंजाइश है। पंजाब में 2011-12 में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा 15 किमी किया गया था और तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था लेकिन तब पंजाब सरकार ने इस मामले में एतराज नहीं जताया।

भड़क गए हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह

पूर्व सीएम और पूर्व कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में पारित इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया है। उन्होंने कहा, बीएसएफ के परिचालन क्षेत्र का विस्तार तो राज्य के संघीय प्राधिकरण का उल्लंघन है और ही कानून और व्यवस्था बनाए रखने में राज्य पुलिस की क्षमता पर सवाल उठाता है। उन्होंने कहा, कानूनव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा में बड़ा अंतर है। दुर्भाग्य से इस मुद्दे को उठा रहे लोग कानूनव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा में अंतर करने में असमर्थ है। केंद्र सरकार ने पिछले माह सीमा सुरक्षा बल अधिनियम में संशोधन किया था। जिससे बीएसएफ को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किमी से 50 किमी के दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के लिए अधिकृत किया जा सके।

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स्पष्ट है कि कैप्टन स्वयं पंजाब सरकार के विरुद्ध खड़े हैं जो कि मोदी सरकार के फ़ैसले को विशेष ताकत देता है। इसके विपरीत कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते वक्त ही कहा था कि उन्हें सबसे ज्यादा चिंता पंजाब की 600 किलोमीटर की पाकिस्तान से लगने वाली सीमा से है, क्योंकि यह देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है। उनके इस बयान के बाद ही लगातार कैप्टन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित के साथ मुलाकातों की खबरें सामने आई थीं। इन मुलाकातों के बाद ही गृह मंत्रालय ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया था, जो इस बात का प्रतीक है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी गृह मंत्रालय के इस फैसले में एक बड़ी भूमिका थी।

कैप्टन अमरिंदर सिंह जानते हैं कि पाकिस्तान नशीले पदार्थों से लेकर जानलेवा हथियार सीमा से भारत में भेजता है। ऐसे में यदि पंजाब सरकार की सख्ती कम होगी, तो इसका सीधा लाभ पंजाब के अराजक तत्वों को मिलेगा। इसीलिए वह लगातार पंजाब की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे और यही कारण है कि अब जब पंजाब सरकार ने विधानसभा में मोदी सरकार के फैसले के विरोध में प्रस्ताव पारित किया है; तो पंजाब सरकार का विरोध करने में सबसे आगे कैप्टन अमरिंदर सिंह ही खड़े दिखाई दे रहे हैं।

 

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