एक स्तंभकार के तौर पर मैं अपने पाठकों के रुचि से परिचित हूं। मैं जानता हूं कि आप लोगों को शायद यह लेख आकर्षक नहीं लगेगा। पर कोई बात नहीं, यह आकर्षक लगन के लिए लिखा भी नहीं गया। अगर इस लेख ने आपके चिंतन शक्ति और चेतना को झकझोरा तो मैं समझूंगा कि कलम सार्थक हुई।
खबर यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर “चाइल्ड पोर्न और पॉर्नोग्राफी” के खिलाफ अभियान चलाते हुए CBI ने 14 राज्यों में 77 जगहों पर एक साथ छापा मारकर 11 लोगों को गिरफ्तार किया और साथ-साथ इस अपराध से जुड़े 50 संगठन और 5000 अपराधियों की संलिप्तता भी चिन्हित की । इस मामले को लेकर CBI ने भारत में 23 स्थानों पर केस दर्ज किया है, जिसमें 83 भारतीय नागरिकों को प्रत्यक्ष रुप से अभियुक्त बनाया गया है।
चाइल्ड पॉर्नोग्राफी फ़ैलाने वाले गिरोह पर छापेमारी
ये संगठन और लोग विभिन्न सोशल मीडिया साइट्स और अन्य मंचों के माध्यम से “चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और उससे जुड़ी अन्य यौन सामग्रियों” को प्रचारित एवं प्रसारित करते थे। CBI ने आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, उड़ीसा, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में संयुक्त रूप से अभियान चलाया। हैरानी की बात तो यह है कि इस कुकृत्य में संलिप्त 100 विदेशी नागरिकों को भी चिन्हित किया गया है, जिसमें पाकिस्तान के 36, कनाडा के 35, अमेरिका के 35, बांग्लादेश के 31, श्रीलंका के 30, नाइजीरिया के 28, अजरबैजान के 27, यमन के 24 और मलेशिया के 22 नागरिक शामिल हैं।
CBI ने कहा है कि “वह ऐसे प्रतिबंधित कंटेंट को अपने माध्यम से प्रचारित एवं प्रसारित करने वाले सोशल मीडिया साइट्स और अन्य मंचों को भी विधिक रूप से उत्तरदाई ठहराने और उनको दंडित करने के विधिक प्रावधानों और प्रक्रियाओं को तलाश रही है।” इतना ही नहीं CBI ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सरकारों और एजेंसियों से भी संपर्क स्थापित किया है ताकि इस मामले में संलिप्त विदेशी नागरिकों को भी दंड दिलाया जा सके।
चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से संबंधित सामग्रियों को जल्द हटाएगी CBI
इस मामले में अत्यंत हैरान करने वाले तथ्य सामने निकल कर आ रहे हैं। पहला तो यह है कि चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से संबंधित सामग्रियों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क पूर्ण रूप से स्थापित किया जा चुका है और पैसे के लालच में इसे जोर-शोर से प्रचारित एवं प्रसारित किया जा रहा है। इस कुकृत्य से ना सिर्फ ऐसी सामग्री तैयार करने वालों को असीमित लाभ प्राप्त होता है बल्कि जो सोशल मीडिया साइट्स और मंच इन्हें प्रसारित करने का साधन बनती हैं, उनके मिलने वाले लाभ का तो आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यहां तक की ऐसे संगठन और सोशल मीडिया साइट्स ने मिलकर इस कुकृत्य का मकड़जाल तैयार किया है, जिससे सामग्रियों का प्रसारण और भी सुगम हो गया है।
इतना ही नहीं, वे लोग इसमें जुड़ने वाले सदस्यों को भी सत्यापित करते हैं और मुद्रा के सुगम आदान-प्रदान के लिए उनके बैंक अकाउंट को भी इससे जोड़ देते हैं। इसीलिए CBI अब सोशल मीडिया साइट्स पर मौजूद सूचनाओं, ऐसे ग्रुप से जुड़े लोगों के नाम, उनके बैंक अकाउंट और वहां मौजूद बच्चों की गंदी तस्वीरों और वीडियो को खंगाल रही है ताकि बच्चों से संबंधित चीजों को हटाया जा सके और अपराधियों को पकड़ा जा सके।
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इसके लिए CBI विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विधिक संस्थाओं और अनुपालन से सतत संपर्क में है। एक हैरान करने वाला तथ्य यह भी है कि अधिकतर पॉर्नोग्राफी सामग्रियों में 14 साल से कम बच्चियों का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे सामग्रियों का अधिक से अधिक प्रचार करने के लिए हर जगह इनके लिंक डाल दिए गए हैं, जिससे CBI के लिए इस श्रृंखला को तोड़ना अत्यंत कठिन हो गया है। हालांकि, CBI अब अंतर्राष्ट्रीय बाल यौन शोषण डेटाबेस को खंगाल रही है।
ऐसी घटनाओं से हमें सामाजिक तौर पर शर्मिंदा होना पड़ता है
एक समाज के रूप में हम किस तरफ जा रहे हैं, हमें इसका मूल्यांकन करने की अत्यंत आवश्यकता है। इंटरपोल के एक रिपोर्ट के अनुसार, “वर्ष 2017 से 2020 के बीच में सिर्फ भारत से 24,00,000 ऑनलाइन बाल यौन शोषण के मामले सामने आए हैं जिसमें 80% से अधिक पीड़ित 14 साल से कम उम्र की लड़कियां है।” ऊपर से जब मोदी सरकार राज कुंद्रा जैसे बड़े मगरमच्छों को पकड़ने का प्रयास करती है तो उन पर CBI का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया जाता है। बॉलीवुड सेलिब्रिटी को परेशान करने का आरोप गढ़ा जाता है और फिर जब हम विदेश जाते हैं तो कहते हैं कि “मैं ऐसे भारत से आता हूं जहां सुबह तो बच्चों को ढेर सारा प्यार और रात के अंधेरे में यौन दुराचार प्राप्त होता है।” ऐसे में, इस तरह की घटनाओं से हमें सामाजिक तौर पर शर्मिंदा होना पड़ता है।