‘रावण एक पौराणिक व्यक्ति नहीं था’ श्रीलंका इस पर शोध कर रहा है और वह चाहता है कि भारत उसकी मदद करे

रामायण की महत्ता विश्व भर में प्रख्यात है!

श्रीलंका रावण रामायण

श्रीलंका के इतिहास में रावण का एक महत्वपूर्ण स्थान है। रामायण की कथा बताती है कि रावण के शासनकाल में श्रीलंका विश्व पटल पर सबसे महत्वपूर्ण देशों में एक था। भारत के वामपंथी इतिहासकारों ने रामायण की कथा के इतिहास को अनदेखा कर साहित्य अथवा मिथक माना है लेकिन श्रीलंका के इतिहासकार, रामायण को अपने इतिहास का एक महत्वपूर्ण भाग मानते हैं। श्रीलंका की सरकार ने 2019 में 50 लाख रुपये का बजट आवंटित करके रावण के बारे में एक शोध कार्य शुरू करवाया था।

श्रीलंका कर रहा है रामायण पर शोध

श्रीलंका सरकार द्वारा शुरू किए गए शोध कार्य का उद्देश्य यह सिद्ध करना था है कि रावण एक महान विमान चालक था, जिसे उड्डयन की अच्छी जानकारी थी। हालांकि, कोरोना के कारण इस शोध कार्य को रोक दिया गया था किंतु अब जब परिस्थितियां सामान्य हो गई हैं, तो शोध कार्य पुनः शुरू होने वाला है। संभावना है कि 2022 की शुरुआत में श्रीलंका सरकार इस प्रोजेक्ट को शुरू करेगी। ज्ञात हो कि रामायण की कथा तथा रावण के विमान उड़ाने की कहानी भारत और श्रीलंका दोनों देशों से जुड़ी हुई है, इसलिए श्रीलंका सरकार यह चाहती है कि भारत सरकार भी इस शोध कार्य में श्रीलंका की मदद करे।

और पढ़ें :- अयोध्या में श्रीराम यूनिवर्सिटी बनेगी, सनातन धर्म की शिक्षा को और किया जायेगा मजबूत

श्रीलंका की सिविल एविएशन अथॉरिटी के पूर्व वाइस चेयरमैन शशि दानातुंगे ने कहा कि “राजपक्षे सरकार इस शोध को लेकर बहुत उत्सुक है और शोध कार्य अगले वर्ष की शुरुआत तक शुरू जाएगा।” शशि ने कहा कि “उनका विश्वास है कि रावण के पास विमान था और वह अपने विभाग से उड़कर भारत तक गया था।” उनका मानना है कि प्राचीन काल में भारतीय और श्रीलंकाई लोगों को विमान उड्डयन की तकनीक की जानकारी प्राप्त थी। श्रीलंका में 2 वर्ष पूर्व इतिहासकार, पुरातत्वविद और भूगर्भशास्त्रियों की सिविल एविएशन के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। इस कॉन्फ्रेंस में शोध को आगे बढ़ाने की बात तय हुई थी।

और पढ़ें :- छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को याद आयें श्रीराम पर खुद की पार्टी के अंदर मचा घमासान

रामायण की महत्ता विश्व भर में प्रख्यात है

आपको बता दें कि भारत के प्राचीन ग्रन्थ की महत्ता को लेकर इतिहासकार डॉ शाल्वपिल्लई अयंगर कहते हैं कि, “रामायण और महाभारत में जो कुछ भी वर्णित है, वह केवल एक कल्पना नहीं है। निश्चित रूप से, उस युग में किसी प्रकार के भौतिक वाहन थे। इसलिए शोध से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि उस समय की कार्यप्रणाली और वैज्ञानिक शब्द और विज्ञान क्या था और हमें इससे कुछ सुराग मिल सकता है। ”

यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भारत और श्रीलंका में रामायण की कथा से जुड़े साक्ष्य पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, इसके बाद भी इस संदर्भ में कोई गंभीर शोधकार्य अभी तक नहीं हुआ है। रामायण में राम की कथा से जुड़े भौगोलिक क्षेत्रों की विस्तृत व्याख्या उपस्थित है। रामायण कोई कहानी नहीं है क्योंकि विश्व इतिहास में किसी भी कहानी में भौगोलिक संरचना एवं नक्षत्रीय परिस्थितियों की इतनी विस्तृत जानकारी के साथ कहानी लिखने का कोई अन्य प्रमाण नहीं पाया जाता।

भारत सरकार को इस शोध कार्य के लिए अवश्य ही श्रीलंका सरकार की सहायता करनी चाहिए। ऐसे में, श्रीलंका सरकार की यह पहल एक सराहनीय प्रयास है, और यह प्रयास एक साक्ष्य के तौर पर यह दर्शाता है कि भारत के प्राचीन ग्रन्थ रामायण की महत्ता विश्व भर में प्रख्यात है।

Exit mobile version