केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि वह 1969 के एक कानून में संशोधन करेगी, जिसके बाद सरकार लोगों के जन्म व मृत्यु के आंकड़े को नियमित रूप से एक डाटाबेस में एकत्रित करेगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस डेटाबेस का प्रयोग आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, वोटरलिस्ट, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर आदि में समय-समय पर संशोधन हेतु किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा डाटा एकत्रित करने के लिए नियुक्त होने वाले अधिकारी राज्य स्तर पर डाटा एकत्रित करेंगे, जिसे बाद उसे केंद्रीय स्तर पर एक साथ मिलाया जाएगा। साथ ही पूर्ववर्ती कानून में सेक्शन 3A संशोधन के बाद आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर डेटा के एकत्रीकरण के लिए निर्देश लिखे होंगे।
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खड़े हो गए हैं ओवैसी के कान!
हालांकि, जैसे ही केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर जन्म व मृत्यु से संबंधित आंकड़ों को एकत्र करने के लिए कानून संशोधन की बात कही, इस्लामिक विचारधारा से प्रभावित लोगों के कान खड़े हो गए। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस अध्यादेश के लिए सरकार की आलोचना करते हुए ट्विटर पर लिखा कि इसका प्रयोग NPR और NRC के लिए किया जाएगा। ओवैसी ने लिखा “एकीकृत डेटाबेस का उपयोग एनपीआर-एनआरसी, मतदाता सूची, पासपोर्ट आदि के लिए किया जाएगा। वर्तमान में, ये सभी अलग प्रक्रियाएं हैं। उदाहरण के लिए, निर्वाचक नामावली का नामांकन एक स्वतंत्र निकाय, ईसीआई (इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया) द्वारा किया जाता है। अब केंद्र सरकार नामांकन (एसआईसी) के लिए जन्म/मृत्यु रजिस्टर का उपयोग करने की अनुमति दे सकती है।”
THREAD: 1. Govt wants to amend Registration of Births and Deaths Act, 1969. The amendment will allow Central govt to create a unified database of all registered births & deaths. Currently, this is carried out by states. But now Union will be allowed to collect data https://t.co/NuOkaYyXcS
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 31, 2021
चुनाव आयोग के कार्य को सरल बनाएगा सरकार का यह फैसला
असदुद्दीन ओवैसी का आरोप है कि सरकार इस डेटा का इस्तेमाल करके चुनाव आयोग के कार्यों में हस्तक्षेप कर सकती है, जबकि वास्तविकता यह है कि इस डेटा का प्रयोग अलग-अलग सरकारी विभागों द्वारा उनकी आवश्यकता के अनुरूप किया जाना है। इसके प्रयोग के लिए केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति की आवश्यकता एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ नही है। ओवैसी का कहना है कि सरकार का अध्यादेश आर्टिकल 324 का उल्लंघन करता है, जो चुनाव आयोग को स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करने की छूट देता है, जबकि वास्तविकता यह है कि अध्यादेश किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। इसके विपरीत यह अध्यादेश चुनाव आयोग के कार्य को और सरल बनाएगा तथा फर्जी वोटिंग की समस्या को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ओवैसी तथा उनके समान इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित लोग भारत को बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान घुसपैठियों के लिए एक शरणस्थली के रूप में धर्मशाला का रूप देना चाहते हैं! इस्लामिक भाईचारे की विचारधारा से प्रभावित यह कट्टरपंथी चाहते हैं कि भारत में घुसपैठिए भारतीयों के टैक्स से मिलने वाले संसाधनों का फायदा उठाए और जोक की तरफ भारतीयों का खून चूसें। सरकार का कोई भी अध्यादेश अगर उनकी इस योजना में बाधक बनेगा, तो वे इसका विरोध करेंगे! हालांकि, सरकार के कदम को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार इस्लामिस्ट शक्तियों की मानसिकता को भलि-भांति जानती है और इसीलिए इस अध्यादेश के माध्यम से नेशनल सिटीजनशिप रजिस्टर (NRC) तैयार करने की पृष्ठभूमि बनाई जा रही है!
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