कहते हैं, बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय दिखा देती है, परन्तु जिस जिसने ‘सत्यमेव जयते 2’ का थर्ड डिग्री टॉर्चर झेला है, वो ‘अंतिम’ फिल्म देखते ही सलमान खान को बोल उठेगा, ‘मैं तो तेरे को क्या समझता था, तू तो देव माणूस निकला!” हाल ही में हमने देखी ‘अंतिम : द फाइनल ट्रुथ, जो महेश वी. मांजरेकर द्वारा निर्देशित फिल्म है। यह फिल्म साल 2018 में प्रदर्शित मराठी सुपरहिट ‘मुलशी पैटर्न’ की रीमेक है। इसमें मुख्य भूमिका में हैं, सलमान खान और आयूष शर्मा, जिनका साथ दिया है महिमा मकवाना, सचिन खेड़ेकर, महेश मांजरेकर, उपेन्द्र लिमये, जिशु सेनगुप्ता, निकितिन धीर इत्यादि ने।
अंतिम : ‘ये तो चमत्कार हो गया!’
ये कथा है राहुल पाटिल उर्फ़ राहुल्या की, जिसके पिता की ज़मीन उससे छीन ली जाती है और उसे पुणे में दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए विवश होना पड़ता है। परन्तु राहुल इस बात को स्वीकार नहीं कर पाता और किसी भी स्थिति में वह अपने पिता को उसका खोया हुआ गौरव वापस दिलाना चाहता है। कैसे वह अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है और इस अभियान में उसे क्या मूल्य चुकाना पड़ता है? ‘अंतिम’ इसी का सार है।
सलमान खान और रोहित शेट्टी की फिल्मों में एक स्पष्ट समानता है – दोनों की फिल्मों को देखने के लिए दर्शकों को सिनेमा हॉल के बाहर अपना मस्तिष्क रखकर अन्दर जाना पड़ता है क्योंकि तर्क, यथार्थ और इनमें छत्तीस का आंकड़ा है। लेकिन वर्षों बाद सलमान खान ने एक प्रखर और यथार्थवादी रोल किया है, जिसे देख उनके कट्टर से कट्टर विरोधी भी बोल उठेंगे, ‘ये तो चमत्कार हो गया!’ अंतिम बार सलमान खान ने इस प्रकार के यथार्थवाद का दर्शन थोड़ा बहुत साल 2016 में आई फिल्म ‘सुल्तान’ दिए था!
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जिसने भी सत्यमेव जयते 2 की पीड़ा सही है, उसके लिए ‘अंतिम’ लगभग अमृत सामान होगी। क्या यह परफेक्ट फिल्म है? कदापि नहीं! परन्तु एक स्पष्ट, मनोरंजक फिल्म के रूप में इस मूवी ने अपने झंडे गाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस फिल्म से यदि कोई सबसे बड़ी सीख मिलती है, तो वह यह कि सलमान खान को अपनी संगत तुरंत बदलनी चाहिए। यदि एक ‘अंतिम’ उनके व्यक्तित्व को बिगाड़े बिना शुद्ध मनोरंजन परोस सकती है, तो सोचिये, ऐसे कई फ़िल्में सलमान खान को किस स्तर तक पहुंचा सकती हैं?
शानदार अभिनय से लोगों को चौंकाया
इसके पीछे एक कारण स्वयं महेश मांजरेकर भी हैं, जिन्होंने मूल फिल्म ‘मुलशी पैटर्न’ को आत्मसात करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। निस्संदेह अंतिम उसका कमर्शियल वर्जन है। हालांकि, जिस प्रकार से इसे फिल्माया गया है और इसमें अभिनेताओं ने अपनी भूमिकाओं को निभाया है, उन्हें देखकर हम निस्संकोच कह सकते हैं कि महेश मांजरेकर पुनः ‘वास्तव’ जैसी मनोरंजक फिल्में देने के लिए समर्थ हैं। इसे देख कोई नहीं विश्वास कर पायेगा कि यह वही सलमान खान है, जिसने ‘राधे’ जैसी फिल्म से हम सबका मानसिक शोषण किया था और ये वही महेश मांजरेकर हैं, जिन्होंने रेजांग ला के चित्रण के नाम पर ‘1962 – The War in The Hills’ जैसी घटिया वेब सीरीज़ दी थी।
अगर बात करें अभिनय की, तो सलमान खान के अलावा आयूष शर्मा ने भी अपने प्रदर्शन से सभी को चकित किया है। निस्संदेह, वंशवाद का कलंक धोते-धोते बॉलीवुड को दशकों लग जायेंगे, परन्तु अपनी पहली फिल्म के मुकाबले आयूष ने काफी बेहतर काम किया। यदि वे मूल फिल्म के ॐ भुटकर से बेहतर अभिनय भले ही नहीं कर पाए, तो कम से कम उनकी legacy के साथ न्याय करने का काम अवश्य किया है। आयूष के अलावा महिमा मकवाना ने भी अपने अभिनय से लोगों को चौंकाया है।
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सलमान खान भी भौकाल दिख सकते हैं
आम तौर पर ऐसी फिल्मों में महिलाओं की भूमिका सीमित होती है और उन्हें सशक्त तो कतई नहीं दिखाया जाता, परन्तु फिल्म में महिमा ‘मंदा’ के रूप में सशक्त भी हैं और अपनी बात खुलकर स्पष्ट भी करती हैं। वह आजकल की अति नारीवादियों की भांति ज़बरदस्ती उपदेश भी नहीं देती अपितु अपने व्यक्तित्व को स्पष्ट रेखांकित करती हैं। असल में यह महेश मांजरेकर की कथा की विजय है। इनके अलावा सचिन खेड़ेकर, उपेन्द्र लिमये, जिशु सेनगुप्ता और सयाजी शिंदे ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। जिसमें सयाजी शिंदे और उपेन्द्र लिमये की भूमिकाएं देखकर आप वाह-वाह करने को विवश हो जाएंगें।
परन्तु जैसा हमने कहा था, यह फिल्म परफेक्ट नहीं है, इसकी अपनी खामियां भी हैं। इस फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर को छोड़ दें, तो इसके गीत भूलने योग्य हैं। कई दृश्यों में ऐसा भी लगा, जैसे बस अभी सलमान खान अपने ‘भाई रॉक्स’ मोड में फिर से आ सकते हैं, अब वो अलग बात थी कि महेश मांजरेकर के कुशल निर्देशन ने ऐसा करने से रोक दिया। परन्तु इन बातों से ‘अंतिम’ वो परफेक्ट रीमेक बनने से रह गई, जिनका दर्जा हम कुछ चन्द बॉलीवुड फिल्मों को दे सकते हैं।
लेकिन ‘अंतिम’ ने ‘सूर्यवंशी’ की भांति दर्शकों को न केवल अपने वास्तविक मनोरंजन से चकित किया है, अपितु ये भी सिद्ध किया कि यदि कथा मजबूत हो, तो सलमान खान भी भौकाल दिखेंगे। निस्संदेह, ‘मुलशी पैटर्न’ की कोई बराबरी नहीं कर सकता, परन्तु ‘अंतिम’ ने कम से कम उसे अपमानित भी नहीं किया। TFI की ओर से इसे मिलने चाहिए 5 में से 3 स्टार!