एक फ्रांसीसी ऑनलाइन पोर्टल मेडियापार्ट ने राहुल गांधी के लंबे समय से लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। इस पोर्टल ने कहा कि स्पष्ट है कि राफेल जेट की खरीद में किसी तरह का घोटाला हुआ ही नहीं था, और जो हुआ था, उसकी पटकथा यूपीए शासन के दौरान रची गई थी। समाचार पोर्टल ने दावा किया है कि सुशेन गुप्ता नाम के एक बिचौलिए को यूपीए शासन के दौरान राफेल सौदे को ‘सुविधा’ देने के लिए नकली चालानों का भुगतान प्राप्त हुआ था। कथित तौर पर, गुप्ता को 2007 और 2012 के बीच रिश्वत के रूप में 7.5 मिलियन यूरो मिले थे।
यूपीए के दौरान हुआ भ्रष्टाचार
फ्रांसीसी वेबसाइट के अनुसार, “संदिग्ध आईटी अनुबंध” की आड़ में गुप्ता को उनकी मॉरीशस इकाई इंटरस्टेलर के माध्यम से रिश्वत का भुगतान किया गया था।” इसमें अपतटीय कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और ‘झूठे’ चालान शामिल हैं। मेडियापार्ट ने कहा कि वह खुलासा कर सकता है कि भारत के संघीय पुलिस बल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहयोगियों के पास, अक्टूबर 2018 से सबूत है कि डसॉल्ट ने कम से कम € 7.5 मिलियन का भुगतान किया गया था।
मीडियापार्ट ने सनसनीखेज़ रूप से यह भी दावा किया कि भारतीय एजेंसियों ने नकली चालान के अस्तित्व के बावजूद मामले की जांच नहीं की, जबकि ये भी कहा गया कि जांच को प्रभावित करने में 24, अकबर रोड के दफ्तर (कांग्रेस मुख्यालय) की भूमिका हो सकती है। मीडियापार्ट ने अतीत में एक काल्पनिक कहानी को एक साथ जोड़ने के लिए कथा और चेरी-पिकिंग तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर राफेल घोटाले के लिए एनडीए सरकार को घेरने की कोशिश की है, लेकिन इसका शिकार एक बार फिर कांग्रेस ही हो गई है।
सुशेन गुप्ता एक प्रभावशाली बिचौलिए
यह ध्यान देने योग्य है कि सुशेन मोहन गुप्ता यूपीए के दौर में एक बहुत प्रभावशाली बिचौलिया था। 2019 में, उसे अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदा मामले में गिरफ्तार किया गया था, जो कि यूपीए सरकार के दौरान हुआ करोड़ों का रक्षा सौदा घोटाला था। अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में, गुप्ता ने लाखों यूरो कमाए थे, और साथ ही साथ उपरोक्त लाभ प्राप्त करने के लिए राफेल सौदे में पैसा कमा रहे थे।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, ऑगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में, “2004 से 2016 के बीच ‘आरजी’ से प्राप्त 50 करोड़ रुपये से अधिक दिखाया गया है, जबकि गुप्ता, यानी रजत गुप्ता द्वारा पहचाने गए ‘आरजी’ ने इसे स्वीकार भी किया था। 2007 के बाद से सुशेन के साथ नकद लेनदेन और उसकी मात्रा निर्धारित की जा रही है।”
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खड़ी कर ली मुसीबत
2019 के आम चुनाव से पहले, कांग्रेस ने राफेल सौदे से घोटाला निकालने की पूरी कोशिश की। पार्टी ने अपने गुंडों को वाम-उदारवादी मीडिया प्रतिष्ठान में तैनात कर दिया, ताकि कहानी गढ़ी जा सके और मोदी सरकार की छवि खराब की जा सके। राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार से मुकाबला करने की कोशिश की, लेकिन अब समीकरण बिल्कुल उलट हो गए हैं, क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अब सौदे के लिए दिए गए 14.6 मिलियन यूरो के रिश्वत के लिए सवालों के घेरे में है।
एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद, यूपीए-युग के सौदे को रद्द कर दिया गया था और भारत सरकार ने सरकार से सरकार का सौदा करने के तहत फ़्रांस की सरकार से सौदा हासिल किया था, जिसमें भारत को सीधे फ्रांसीसी सरकार से 36 राफेल जेट खरीदना शामिल था। 2012 में हुआ यूपीए सौदा व्यवहार्य नहीं था, जिसे मोदी सरकार ने पारदर्शी बनाया इसके विपरीत कांग्रेस ने इसे घोटाले से जोड़कर देखा और यही नजरिया अब कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गया है।