टीम इंडिया में Wokeism को लेकर राहुल द्रविड़ का स्पष्ट संदेश- पहली फुरसत में निकल!

अब टीम इंडिया में 'Wokeism' नहीं चलेगा!

Rahul Dravid

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अब तक जो केवल अफवाहें उड़ रही थी, वह वास्तव में सच हो चुकी है। जिस खिलाड़ी को वर्षों तक टीम इंडिया के ‘मिस्टर भरोसेमंद’, ‘द वॉल’ के नाम से जाना जाता रहा, अब वो आखिरकार टीम के मार्गदर्शक के रूप में प्रवेश कर चुके हैं। टीम इंडिया के पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ अब 2023 विश्व कप तक टीम इंडिया के कोच रहेंगे और उनके मार्गदर्शन में ही अब भारतीय क्रिकेट टीम समस्त मैच खेलेगी। कोच के रुप में द्रविड की नियुक्ति से न केवल टीम के प्रदर्शन में सुधार आने की उम्मीद है, बल्कि पिछले कुछ महीनों से जो Wokeism का विष भारतीय क्रिकेट का सर्वनाश करने को उद्यत है, उसका भी सर्वनाश सुनिश्चित है।

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टीम इंडिया में नहीं चलेगा Woke कल्चर

दरअसल, राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के कोच बनने से पूर्व बेंगलुरू में स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी के निदेशक रह चुके हैं और साथ ही साथ उन्होंने अंडर-19 टीमों को विकसित करने में भी एक अहम भूमिका निभाई है। ईशान किशन, शुभमन गिल, ऋषभ पंत, कमलेश नागरकोटी, वाशिंगटन सुंदर, पृथ्वी शॉ जैसे प्रभावशाली खिलाड़ी इनके ही छत्रछाया से निकल कर अब भारतीय टीम के लिए भी खेल रहे हैं। राहुल द्रविड़ ने 2015 में जूनियर टीम की कमान संभाली थी और 2016 में ही उन्होंने टीम को 4 वर्ष बाद फाइनल में जगह दिलाई। तब भारत भले ही वेस्टइंडीज़ से फाइनल हार गया, परंतु उनकी कटिबद्धता उस टीम को आखिरी ओवर तक संघर्ष करने पर विवश किया।

टीम इंडिया के हेड कोच के रुप में राहलु द्रविड़ के आगमन से टीम को कुशल नेतृत्व को मिलेगा ही, साथ ही साथ बेफालतू की ‘Wokeism’ पर लगाम भी लगेगी। हाल ही में राहुल द्रविड़ की यह फोटो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है। जिसमें वो पटाखे खरीदते दिखाई दे रहे हैं।

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एक तरफ जहां विराट कोहली और कुछ ‘Extra Woke’ भारतीय क्रिकेटर दीपावली पर लोगों को पटाखे न जलाने के उपदेश दे रहे थे, कोहली ने तो टी20 विश्व कप के दौरान ऐसे उपदेशों से भरे वीडियो शृंखला को सोशल मीडिया पर डालने की प्लानिंग कर रखी थी (जिसे भारी विरोध के बाद रद्द करना पड़ा), उसके ठीक उलट राहुल द्रविड़ न केवल पटाखे खरीदते हुए दिखाई दिए, अपितु उन्होंने दीपावली पर कोई फालतू का उपदेश भी कहीं प्रसारित नहीं किया। यदि ये फोटो शत प्रतिशत सत्य है, तो टीम के वामपंथी विचारधारा वाले लोग, विशेषकर कोहली जैसे अकर्मण्य लोगों के लिए ये शुभ संकेत बिल्कुल नहीं है, क्योंकि राहुल द्रविड़ को वोक खिलाड़ी तो छोड़िए, अनुशासनहीनता से भी सख्त नफरत है।

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रामचन्द्र गुहा की लगाई थी क्लास!

राहुल द्रविड़ का प्रभुत्व केवल यहीं तक सीमित नहीं है। उन्होंने उन लोगों को भी आईना दिखाया है, जो खुद किसी योग्य नहीं है, परंतु हर जगह फालतू का ज्ञान देते फिरते हैं। इन्हीं में से एक हैं, स्वघोषित इतिहासकार एवं वामपंथी उपन्यासकार रामचंद्र गुहा, जिन्हें एक समय राहुल द्रविड़ ने बड़ी विनम्रता से लेकिन बड़े ही स्पष्ट तौर पर अपने काम से काम रखने की सलाह दी थी!

यह बात स्वयं रामचन्द्र गुहा ने स्वीकारते हुए अपनी पुस्तक ‘The Commonwealth of Cricket’ में बताया कि एक समय राहुल द्रविड मिड ऑफ पोज़ीशन पर फील्डिंग कर रहे थे, जबकि वह स्लिप में बेहद निपुण थे। तब भारत और इंग्लैंड के बीच वो महत्वपूर्ण टेस्ट शृंखला थी, जिसमें राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में भारत ने अंतिम बार इंग्लैंड को उसी के भूमि पर 1-0 से पराजित किया था। राहुल द्रविड़ को ई-मेल में रामचन्द्र गुहा ने बताया था कि कैसे वह स्लिप में फील्डिंग के योग्य हैं और कैसे उन्हें दूसरी जगह फील्डिंग नहीं करनी चाहिए।

जिसके जवाब में राहुल द्रविड़ ने लिखा, “आप सच कहते हैं, परंतु हमारा सारा इतिहास गांधी तक ही सीमित है और वास्तव में हमारे देश का इतिहास 60 वर्ष की स्वतंत्रता के दृष्टि में एक अथाह सागर है, जिसकी गहराई को हमने मापने का प्रयास मात्र भी नहीं किया है। इस बारे में मैं आपसे बाद में और बात करूंगा!”

उन्होंने बड़ी ही सरलता परंतु बड़ी ही विनम्रता से राहुल द्रविड़ ने रामचन्द्र गुहा को उन्हीं के कथित प्रोफेशन की याद दिलाते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया – जिसका काम उसी को साजे। जो व्यक्ति ऐसे निकृष्ट वामपंथी की बातों को नहीं स्वीकारे, वो क्या उस व्यक्ति के नखरे स्वीकारेगा, जिसने अपने ‘वोक’ कल्चर के अंधानुकरण के कारण भारतीय क्रिकेट का सत्यानाश किया और पाकिस्तान के समक्ष पूरे देश को अपने टीम के शर्मनाक प्रदर्शन से लज्जित करवाया? राहुल द्रविड़ की नियुक्ति अपने आप में वामपंथियों को एक स्पष्ट संदेश है – पहली फुरसत में निकल!

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