तारा सिंह हेयर- भारतीय-कनाडाई सिख पत्रकार जिन्होंने खालिस्तानियों के खिलाफ भारत के लिए लड़ाई लड़ी

इंदिरा गांधी के धुर विरोधी थे तारा सिंह हेयर!

तारा सिंह हेयर

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18 नवंबर 2021, आज भारतीय मूल के सिख और कनाडा के नागरिक तारा सिंह हेयर की मृत्यु की 33वीं वर्षगांठ है। वर्ष 1998 में आज ही के दिन तारा सिंह की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वह वैंकोवर में अपने घर के गेराज में अपनी गाड़ी से उतर कर अपनी व्हीलचेयर पर बैठने जा रहे थे। तारा सिंह हेयर को 21वीं शताब्दी कि भारतीय युवा पीढ़ी अब भूल चुकी है, लेकिन उन्होंने कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकियों के नेटवर्क को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी हत्या के आरोपी के संबंध इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन और खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से थे।

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इंदिरा गांधी के धुर विरोधी माने जाते थे तारा सिंह हेयर

तारा सिंह हेयर (Tara Singh Hayer) को मजहबी कट्टरपंथ के विरुद्ध बोलने वाले पहले पत्रकार के रूप में कनाडा में आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपनी पत्रिका इंडो-कैनेडियन टाइम्स के माध्यम से कट्टरपंथी सिखों की आलोचना की थी, जो बीसवीं शताब्दी के 80 के दशक में कनाडा में सक्रिय थे। यह दौर भारत में खालिस्तानी आतंकवाद का सबसे कठिन समय था। वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार हो चुका था और उसके जवाब में खालिस्तानी आतंकियों ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। उस समय कनाडा खालिस्तानी आतंकियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच बन चुका था।

हालांकि, तारा सिंह हेयर शुरू से खालिस्तानी आतंकियों के विरोधी नहीं थे। अपनी पत्रकारिता के शुरुआती दिनों में वो खालिस्तान के सपने सजाते थे और उन आतंकियों के प्रति सहानुभूति भी रखते थे। उन्हें इंदिरा गांधी का धुर विरोधी माना जाता था। यहीं नही, वो खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले को संत मानते थे और उन्होंने भिंडरावाले के ऊपर Saint Jarnail Singh Bhindranwale: A Great Personality नाम से  एक किताब भी लिखी थी।

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जब खालिस्तानियों के विरोध में खड़े हुए हायर

ऑपरेशन ब्लूस्टार के जवाब में खालिस्तानी आतंकियों ने एयर इंडिया की फ्लाइट 182 को बम से उड़ा दिया था, जिसमें 329 लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद तारा सिंह हेयर में खालिस्तान से संबंध विच्छेद कर लिया और वह इस मामले में बतौर गवाह खालिस्तानी आतंकियों के विरोध में भी खड़े हुए।

फ्लाइट 182 धमाके के बाद हायर लंदन में अपने एक मित्र से मिलने गए थे, जहां उन्हें इस बॉम्बिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिली। सर्वप्रथम उन्होंने ही इस बम धमाके के मुख्य आरोपी अजायब सिंह बागरी के बारे में जानकारी दी थी और उसे अपनी पत्रिका के माध्यम से सार्वजनिक भी किया था। उन्होंने अपनी पत्रिका के माध्यम से इस बात का खुलासा किया था कि बागरी के लंदन में अच्छे संबंध है और वहां कई लोगों को इसकी जानकारी है कि बागरी इस बम धमाके में मुख्य षड्यंत्रकर्ता है। इस खबर के पत्रिका में छपने के एक हफ्ते बाद ही तारा सिंह हेयर पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसके बाद वह अपाहिज हो गए थे और व्हीलचेयर पर आ गए थे।

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कनाडा में MLA रह चुके हैं हायर के बेटे डेव

तारा सिंह हेयर ने मुख्य साजिशकर्ता बागरी और तरसीम सिंह पूरेवाल के बीच की बातचीत सुनी थी कि कैसे बब्बर खालसा के आतंकियों ने विस्फोटक को हवाई जहाज में लगाया था। आतंकियों की योजना हीथ्रो हवाई अड्डा पर खाली हवाई जहाज में विस्फोट की थी। लेकिन प्लेन अपने समय से आधा घंटा देरी से उड़ा था, इस कारण हवा में ही धमाका हो गया और कई मासूम लोगों की जान चली गई। खालिस्तानी आतंकियों की योजना खाली प्लेन में धमाका करके भारत सरकार को भयभीत करने की थी, जिसके बल पर वो अलग खालिस्तान की मांग को और मजबूत करना चाहते थे।

आज तारा सिंह हेयर के बेटे डेव लिबरल पार्टी के बड़े नेता हैं और कनाडा में MLA  रह चुके हैं। तारा सिंह हेयर की हत्या ने कनाडा में खालिस्तान के आधार को बहुत कमजोर कर दिया। एयर इंडिया प्लेन की बॉम्बिंग और सांप्रदायिकता के विरुद्ध लिखने वाले पत्रकार की हत्या ने खालिस्तान के वैचारिक जनाधार को बहुत कमजोर कर दिया। अपनी पत्रकारिता के शुरुआती दिनों में तारा सिंह हेयर भले ही भारत विरोधी तत्वों के प्रति सहानुभूति रखते थे, किंतु उनके कारण ही कनाडा में खालिस्तान की नींव कमजोर पड़ी।

अपने जीवन के अंतिम समय में तारा सिंह हेयर ने भारत की बहुत सहायता की। उनके कारण ही कनाडा में भारत विरोधी तत्वों का पतन हुआ। हायर अमेरिका और कनाडा में स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रतीक माने जाते हैं। आज जब खालिस्तानी सोच फिर से सिर उठा रही है, तो भारत सरकार को तारा सिंह हेयर की कहानी को पुनः प्रकाश में लाना चाहिए, जिससे कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को यह याद रहे कि आतंकवादी किसी के सगे नहीं होते हैं।

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