भारतीयों का ‘सन्नू की’ रवैया उन्हीं पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि 11 करोड़ लोगों ने टीके की दूसरी डोज़ स्किप कर दी है!

मौत को बुलावा देते बेपरवाह लोग!

वैक्सीन की दूसरी डोज़

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लापरवाही या यूं कहें की बेफिक्री हमारे स्वभाव में है! ऊपर से जब मामला दूसरों कि सुरक्षा और हित से से जुड़ा हो, तो ऐसे में लोग अपनी सुरक्षा को भी ताक पर रख देते हैं। मौजूदा समय में टीकाकरण को लेकर देश की जनता का रवैया कुछ यही प्रदर्शित करता दिख रहा है। भारतीयों का “सन्नू की” रवैया अब देशवासियों के लिए ही खतरा बन गया है। केंद्र ने बुधवार को राज्यों को बताया कि देश भर में लगभग 10.34 करोड़ लोगों ने दो खुराक के बीच निर्धारित अंतराल में कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज़ नहीं ली है।

टिके पर्याप्त पर देश के लोग लापरवाह

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक में इस मुद्दे को उठाया और उन्हें दूसरी डोज़ के कवरेज में तेजी लाने के लिए कहा था। बैठक में मौजूद सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने कहा कि 10.34 करोड़ में से 85 फीसदी ने कोविशील्ड लिया था, जबकि शेष ने कोवैक्सीन लिया था। अर्थात 8 करोड़ 70 लाख लोगों ने कोविशील्ड, जबकि 1 करोड़ 70 लाख लोगों ने कोवैक्सीन लिया था। मंडाविया ने राज्यों से “नवंबर के अंत तक कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक के साथ सभी पात्र लोगों को कवर करने का लक्ष्य” रखने की बात कही है।

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उन्होंने कहा, “देश में वैक्सीन की पर्याप्त खुराक उपलब्ध है। 12 करोड़ से अधिक खुराकें रिजर्व रूप में राज्यों के पास पहले से उपलब्ध हैं। कोई भी जिला 100 प्रतिशत टीकाकरण के बिना नहीं होना चाहिए।” मंडाविया ने राज्यों से दूसरी डोज़ वाले लोगों की संख्या को कम करने के लिए सभी हितधारकों के साथ क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर की योजना बनाने को कहा। खबरों के मुताबिक बिहार ने केंद्र को बताया कि राज्य ने गांवों में टीकाकरण के लिए 279 मोबाइल वैन शुरू की हैं। इसी तरह झारखंड ने कहा कि वो घर-घर टीकाकरण के लिए सहिया या आशा कार्यकर्ताओं का उपयोग कर रहा है। गुजरात ने कहा कि वो वैक्सीन की दूसरी डोज़ के लिए लोगों को जुटाने के लिए पंचायती राज और राजस्व कार्यकर्ताओं का उपयोग कर रहा है।

अंतिम मूल्यांकनके लिए 3 नवंबर को होगी बैठक

बीते बुधवार को भारत का कोरोना टीकाकरण कवरेज 103.99 करोड़ खुराक को पार कर गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अनुमानित वयस्क आबादी में से 77 प्रतिशत ने अपनी पहली खुराक प्राप्त कर ली है और 34 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक लगाई जा चुकी है। बड़े राज्यों में गुजरात (53%), कर्नाटक (46%), राजस्थान (38%) और मध्य प्रदेश (35%) ने राष्ट्रीय औसत से ऊपर, दूसरी डोज़ वैक्सीन कवरेज की सूचना दी है। हालांकि, महाराष्ट्र (33%), उत्तर प्रदेश (18%), बिहार (21%) और पश्चिम बंगाल (26%) राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं।

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निष्कर्ष

कोविशील्ड के लिए पहली और दूसरी डोज़ के बीच 12 सप्ताह और कोवैक्सीन के लिए चार सप्ताह का अंतर है, लेकिन फिर भी लोगों की लापरवाही देखने को मिल रही है। कोरोना एक महामारी है, ना कि कोई बीमारी। समाज के स्तर पर हमने एक परिवार बन कर इसका सामना किया है। ढेरों जगह हम फिसले भी, गिरे भी, लेकिन सभी जगह एक दूसरे को ढांढस बंधाते इससे लड़ते रहे। अस्पताल से लेकर श्मशान तक, चौपाल से लेकर चौराहे तक, पुलिस से लेकर प्रशासन तक हमारी मुस्तैदी ने ना सिर्फ इसे रोका, बल्कि हम 100 करोड़ का आंकड़ा भी पार कर गए। देश में दो स्वेदेशी वैक्सीन निर्मित हुई, जिसकी मांग पूरी दुनिया में है, लेकिन हम उसे भी लेने में लापरवाही दिखा रहे हैं। हमारा सामाजिक शिष्टाचार कितना गिर गया है कि सरकार को वैक्सीन के दूसरे डोज़ के लिए लोगों को ढूंढना पड़  रहा है। अभी कुछ महीने पहले हम टीके को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे थे और अब पूरी उपलब्धता होने के बावजूद नहीं ले रहें।

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