अपने बहुत बार सुना होगा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है लेकिन पराजित नहीं। इससे भी मजेदार बात यह है कि कई बार जीवन में आप झूठ बोलकर उसे सच बनाना चाहते हैं लेकिन सत्य हर बार सबसे ऊपर आकर विजयी हो जाता है। यह कटु सत्य है कि लोग अपनी निजी विचारधारा या हित के लिए झूठ का साथ लेते हैं लेकिन अंत में सच को स्वीकार करना ही पड़ता है। अब कोविड टीकाकरण को ही ले लीजिए, उसे एक ऐसे असत्य के रूप में प्रचारित किया जा रहा था जैसे अगले पांच वर्षों तक टीकाकरण सम्भव ही नहीं है लेकिन हुआ क्या? आज देश की 85% आबादी को कोविड टीके की एक या दो डोज लग चुकी है।
ऐसा ही एक झूठ एक बार फिर विफल हुआ है और विफलता छोड़िए, वामपंथी विचारधारा वाले मीडिया समूह को भारत की सुधरती स्थिति का वह सच स्वीकारना पड़ा, जिसके खिलाफ वह लड़ रहा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स का वामपंथी झुकाव हम सबको मालूम है। भारत के प्रति उसकी जो विशेष कुंठा है, वह समझ के परे है। समय-समय पर उसने यह दिखाया है कि भारत और भारतीय उपलब्धियों के लिए वह क्या सोचता है। भारत के सन्दर्भ में भ्रामक प्रचार करना भी उसके तमाम कोशिशों में से एक है, जिसके तहत वह प्रोपगंडा फैलाता रहता है। इस बार हालांकि मामला अलग है, इस बार न्यूयॉर्क टाइम्स भारत की तारीफ कर रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर अगर न्यूयॉर्क टाइम्स के पिछले कई लेखों को देखे तो आपको निराशा ही देखने को मिलेगी।
India’s Economy Shrank Nearly 24 Percent Last Quarter
https://www.nytimes.com/2020/08/31/world/asia/india-economy-gdp.html
Coronavirus Crisis Shatters India’s Big Dreams
https://www.nytimes.com/2020/09/05/world/asia/india-economy-coronavirus.html
India’s Economic Figures Belie Covid-19’s Toll
https://www.nytimes.com/2021/08/31/business/economy/india-economy-covid.html
इन लेखों में भारतीय अर्थव्यवस्था की जर्जर हालत पर केंद्रित विचार का एक भंडार शामिल है। इन लेखों में पचासों तरीके से यह माहौल बनाने की कोशिश की गई कि भारतीय अर्थव्यवस्था उस स्थिति में है जहां से उसे उठना मुश्किल है।
खैर, उसका ऐसा कहना सही भी है क्योंकि न्यूयॉर्क टाइम्स एक वामपंथी विचारधारा का अखबार है, लेकिन अब ऐसी स्थिति आ गई है कि न्यूयॉर्क टाइम्स को भारत के पक्ष में लेख प्रकाशित करना पड़ा है।
लेख में सरकार की नीतियों से लेकर बाजार के माहौल तक, सबकुछ ठीक बताकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के हित में बाजार को बताया है। लेख में लिखा है, भारत का तेजी से बढ़ता शेयर बाजार स्थानीय और वैश्विक निवेशकों दोनों को वित्तीय, औद्योगिक और प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयरों की ओर आकर्षित कर रहा है ।
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MSCI इंडिया इंडेक्स इस साल लगभग 30 प्रतिशत ऊपर है। जो कि वैश्विक सूचकांक की वापसी का लगभग दोगुना है। जबकि भारत का बेंचमार्क शेयर S&P, BSE सेंसेक्स लगभग 25%- 30% प्रतिशत ऊपर है।
लेख में PM नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए लिखा गया है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार औपचारिक अर्थव्यवस्था में अधिक नागरिकों और उनके पैसे को लाने की कोशिश करते हुए, रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करने वाले घरेलू व्यवसायों के लिए भारत को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है।”
इस साल सरकार के भारतीय केंद्रीय बैंक ने एक बांड-खरीद कार्यक्रम शुरू किया, जो एक तरह का एक छोटा बाजार संस्करण है जिसने दुनिया भर के शेयरों को उठाया है।
एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च में कॉरपोरेट इकोनॉमिक्स प्रोफेसर एमेरिटस, जीवन मुखोपाध्याय ने कहा, “उच्च मध्यम वर्ग के लोग बाजार में तेज़ी से भाग रहे हैं। विदेशों में संस्थागत निवेशकों द्वारा इस साल सार्वजनिक की गई कंपनियों में भारी हिस्सेदारी से उनका विश्वास बढ़ा है। अबू धाबी के सॉवरेन वेल्थ फंड, टेक्सास टीचर्स पेंशन फंड और यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज ने पेटीएम में कुल 1 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है।”
विदेशी निवेशकों ने हाल ही में चीन की ओर निराशा दिखाई है, जो उच्च रिटर्न चाहने वालों के लिए लंबे समय से एक गंतव्य था क्योंकि वहां विकास धीमा है और एक वामपंथी सरकार बड़ी तकनीकी कंपनियों पर नकेल कसती रहती है।
वॉल स्ट्रीट के विश्लेषकों को उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां अगले 12 महीनों में अपनी आय में 22 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करेंगी, जो कि डॉलर में गणना करने पर चीन या संयुक्त राज्य अमेरिका में बेंचमार्क इंडेक्स की तुलना में तेज गति है।
डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म पेटीएम की पैरेंट कंपनी को इस हफ्ते प्राप्त हुए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग से बाजार और अर्थव्यवस्था का उत्साह साफ है। कंपनी ने 2.5 अरब डॉलर जुटाने के अपने लक्ष्य को हासिल किया है जो कि देश के इतिहास में सबसे बड़ी पेशकश है और कंपनी का 20 अरब डॉलर से अधिक का मूल्यांकन किया गया है। इस पेशकश ने देश में वित्तीय और तकनीकी क्षेत्रों की गति को रेखांकित किया, जहां मुख्य रूप से युवा आबादी डिजिटल स्टार्ट-अप को अपना रही है।
बोस्टन में पुटनम इन्वेस्टमेंट्स के उभरते बाजार पोर्टफोलियो मैनेजर ब्रायन फ्रीवाल्ड ने कहा, “शेयर की कीमतें कमाई का पालन करती हैं और भारतीय कॉरपोरेट्स के पास सबसे मजबूत गति है।”
भारतीय सरकार के नीतियों और बाजार के मूड को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय बाजार बहुत मजबूत होगा। आशंका भी जताई जाती है कि भारतीय बाजार 5 लाख के आंकड़े तक जा सकता है। अच्छी बात यह है कि वामपंथी न्यूयॉर्क टाइम्स भी इस सच को स्वीकार कर रहा है।