अब बिप्लब देब और अमित शाह लगाएंगे त्रिपुरा के Islamists की लंका!

त्रिपुरा में रहना है तो कानून का पालन करना ही होगा!

त्रिपुरा

Source- Google

अफवाह फैलाकर प्रयोजित हिंसा करने का नतीजा क्या होता है, ये अब त्रिपुरा के हालिया प्रकरण को देखकर समझा जा सकता है। त्रिपुरा की हिंसात्मक घटना को लेकर विपक्षियों द्वारा खूब नौटंकियां की गई, प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के समय इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा हवा दी गई। इसके विपरीत अब जब मुख्यमंत्री बिप्लब देब और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अपराधियों के खिलाफ एक्शन हो रहा है, तो विपक्षियों में कुलबुलाहट मच गई है। इन अपराधियों के खिलाफ जो कार्रवाई की जा रही है, वो अन्य अपराधियों और वामपंथियों के हृदय को आघात दे सकती है! क्योंकि एक तरफ इस मामले की जांच अब क्राईम ब्रांच द्वारा की जा रही है, तो दूसरी ओर सभी आरोपियों पर UAPA ठोक दिया गया है, जो इस बात का संकेत है कि अब सोशल मीडिया के माध्यम से अराजकता फैलाने वाले इन अपराधियों का जीवन जेल में चक्की पीसते हुए ही बीतेगा!

अपराधियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई

एक तरफ जहां अपराधियों पर कार्रवाई होने के कारण कुछ विरोध वर्ग और उनके समर्थक छाती पीटने लगते हैं, तो दूसरी ओर एक ऐसा वर्ग भी खड़ा हो जाता है, जो इनकी जमकर क्लास लगाता है। कुछ ऐसा ही त्रिपुरा के पानीसागर में सोशल मीडिया के जरिए अफ़वाह फैलाने वाली हिंसा के मामले में भी हुआ है। पुलिस की कार्रवाई के दौरान ही एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी, जिसमें मुख्य तौर पर अपराधियों को सरंक्षण देने का काम किया गया। ऐसे में अब इस कमेटी के दो लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। वहीं, त्रिपुरा पुलिस ने 102 सोशल मीडिया यूजर्स के विरुद्ध UAPA के तहत कार्रवाई की है।

और पढ़े: त्रिपुरा में जो हो रहा है वो मुस्लिम विरोधी दंगे नहीं है, वास्तव में यह बिल्कुल विपरीत है

एक्शन में त्रिपुरा पुलिस

खबरों के मुताबिक त्रिपुरा पुलिस ने पहले इस मामले में त्रिपुरा में अफवाह फैलाने और सोशल मीडिया पर फेक वीडियो डालने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया था। गौरतलब है कि इन्हीं अफवाहों में वेबुनियाद दावा किया गया था कि विश्व हिन्दू परिषद के लोगों ने एक मस्जिद में तोड़फोड़ की है। ऐसे में अब पुलिस ने 102 लोगों के खिलाफ एक्शन लिया है और उन पर UAPA लगा दिया है। ANI के मुताबिक त्रिपुरा पुलिस के पीआरओ द्वारा इन सभी कार्रवाई की पुष्टि की गई है।

त्रिपुरा पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ज्योतिषमान दास चौधरी ने कहा, “त्रिपुरा पुलिस ने पानीसागर उत्तरी त्रिपुरा में हुई हालिया हिंसा से संबंधित फर्जी और विकृत जानकारी फैलाने के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कुल 102 ट्विटर अकाउंट्स के खिलाफ मामला उठाया है।”

उन्होंने बताया, “जिस मामले की पुलिस पहले जांच कर रही थी, उसे अब त्रिपुरा पुलिस की अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दिया गया है। पुलिस उन अकाउंट्स के संचालकों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। इस महीने की शरुुआत में राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की विभिन्न घटनाओं के सिलसिले में राज्य पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया था और राज्य में दो धार्मिक समहूों के बीच नफरत पैदा करने और अफवाहें फैलाने के लिए कई लोगों पर मामला दर्ज किया गया था।”

और पढ़ें:  त्रिपुरा में कट्टरपंथियों की हेकड़ी को धूल में मिलाने हेतु तैयार हैं बिप्लब कुमार देब

वकीलों के खिलाफ भी एक्शन

ऐसा नहीं है कि ये एक्शन केवल अपराधियों के खिलाफ ही हुआ है, अपितु इस हिंसा पर बेवजह बिन मांगा ज्ञान देने वाले कथित फैक्ट फाइंडिगं रिपोर्ट बनाने वाले दो वकीलों ने रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, जिनपर पुलिसिया कार्रवाई की जा रही है। खबरों के मुताबिक पश्चिमी अगरतला पुलिस ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मकुेश और नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यमून राइट्स के अंसार इंदौरी को UAPA के तहत नोटिस भेजा है। इसमें बताया गया है कि उनकी सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों के आधार पर ही उनके खिलाफ यूएपीए की धारा-13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) का मामला दर्ज किया गया है।

आक्रामक और स्पष्ट नीति

बताते चलें कि असम में केवल एक अफवाह के माध्यम से हिंसा का तांडव होना दर्शाता है कि ये एक प्रायोजित घटना थी। इस प्रकरण के जरिए देश की छवि बर्बाद करने के खूब प्रयास किए गए। वहीं, विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर खूब नौटंकी की। अब जब इस मामले को लेकर कार्रवाई हो रही है, तब अपराधियों के साथ-साथ विपक्षियों में भी कोलाहल मचा हुआ है। इस मामले मेंअपराधियों के अलावा उन वामपंथियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है, जिन्होंने भ्रामक सोशल मीडिया पोस्ट कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी। पुलिस की ओर से की जा रही यह कार्रवाई स्पष्ट तौर पर संकेत देती है कि बिप्लब देब की सरकार, इस मामले में संलिप्त किसी भी अपराधी को छोड़ने वाली नहीं है।

और पढ़ें: 15 दिनों में 8.73 लाख से ज्यादा घरों तक पहुंची त्रिपुरा की बीजेपी सरकार, बनाया रिकॉर्ड

Exit mobile version