ब्रिटेन ने खालिस्तानियों पर कसी नकेल, तो बाहर आया “सिख जनमत संग्रह 2020” का झूठ

छापेमारी में हुआ खुलासा, फर्जी 'रेफरेंडम’ में नकली वोटरों ने भाग लिया था!

रेफरेंडम 2020

खालिस्तान के निर्माण पर फर्जी “जनमत संग्रह।” ब्रिटेन की पुलिस द्वारा छापेमारी में एक बड़ा खुलासा हुआ है जिसमें कहा गया है कि इस फर्जी ‘रेफरेंडम 2020’ में बहुत कम लोगों ने भाग लिया था। यही नहीं SFJ इस फर्जी ‘रेफरेंडम 2020’ के वोट बढ़ाने के लिए नकली वोटर बना रहा था।

CNN-न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश पुलिस ने इस महीने सिख फॉर जस्टिस (SFJ) समूह के UK स्थित Hounslow वाले कार्यालय पर छापेमारी की जिसमें यह बात सामने आई कि यह संगठन referendum पर मिलने वाले वोट में भी छेड़छाड़ कर रहा था। ध्यान रहे कि पंजाब में अलगाव और हिंसक उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत 2019 में भारत सरकार द्वारा संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

नकली पहचान पत्र बना कर बढ़ा रहे थे वोटरों की संख्या

रिपोर्ट के अनुसार 15 नवंबर को हाउंसलो स्थित साड्डा सुपरस्टोर, 356 बाथ रोड की पहली मंजिल पर स्थित SFJ कार्यालय में छापेमारी की गई। पुलिस ने हाल ही में संगठन द्वारा आयोजित कथित Punjab Referendum की साइट से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और दस्तावेजों को कब्जे में लिया। यह हास्यास्पद है कि इतने प्रोपेगेंडे के बाद भी रेफरेंडम 2020 में इतने कम लोगों ने भाग लिया कि SFJ को नकली वोटर जुटाने पड़े। यूके में सूत्रों ने कहा कि SFJ सदस्य नकली पहचान पत्र बनाने के लिए विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि रेफरेंडम 2020 के दौरान वोटिंग संख्या बढ़ाने के लिए फर्जी मतदाताओं से संबंधित कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। बता दें कि 2007 में स्थापित, SFJ मुख्य रूप से यूएस-आधारित संगठन है जो पंजाब में सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि की मांग कर रहा है, जिसे “खालिस्तान” कहा जाता है।

पाकिस्तान से जुड़े एक व्यक्ति को भी लिया गया है हिरासत में

CNN-न्यूज 18 ने बताया कि ब्रिटेन की पुलिस को Hounslow कार्यालय में संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा की जा रही नापाक गतिविधियों के बारे में सूचना मिली थी। अधिकारियों ने कथित तौर पर पाकिस्तान से जुड़े एक व्यक्ति को भी हिरासत में लिया है।

बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस महीने कनाडा सरकार से सिख फॉर जस्टिस को देश में एक आतंकवादी इकाई घोषित करने का अनुरोध किया था।

पंजाब पुलिस ने सितंबर में एक SFJ मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था और रामपुर में छापे के दौरान ‘रेफरेंडम 2020’ गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लाखों पर्चे बरामद करने के बाद SFJ के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने खालिस्तानी आतंकियों समेत अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस नाम के खालिस्तानी अलगाववादी संगठन के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इस FIR में कहा गया था कि ये सभी भारतीय किसानों को सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर भड़काने का काम कर रहे हैं।

मृगतृष्णा है खालिस्तान की मांग

बता दें कि सिख फॉर जस्टिस भी किसान आंदोलन के दौरान बहुत सक्रिय रहा है, खालिस्तानी अलगाववाद के जहर को पंजाब के सिखों में फैलाने के लिए उसने इस आंदोलन का खूब उपयोग किया है। हाल ही में यह खबर सामने आई कि इस संगठन ने 29 नवंबर, 2021 को संसद में खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए किसानों को 125,000 अमेरिकी डॉलर की पेशकश की है।

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इस बात की फिर से चर्चा हो रही है कि ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ पर अगले चरण का मतदान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार दिवस यानी 10 दिसंबर को जिनेवा में होने वाला है। जिनेवा में खालिस्तान जनमत संग्रह पंजाब जनमत आयोग (PRC) की देखरेख में होगा। हालांकि, यह भी उसी तरह से फेल होगा जिस तरह से ‘रेफरेंडम 2020’ हुआ था।

लगातार कोशिशों के बाद भी इस फर्जी जनमत संग्रह को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए लिए फर्जी वोटरों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे यह स्पष्ट है ‘रेफरेंडम 2020’ कुछ और नहीं बल्कि एक हास्यास्पद स्कैम है। इससे यह कहा जा सकता है कि खालिस्तान की मांग SFJ और अन्य खालिस्तानियों के लिए किसी मृगतृष्णा के समान ही है जिसके होने का भ्रम तो होता है लेकिन वास्तविकता नगण्य होता है।

 

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