रक्षा सचिव ने दिए संकेत, ‘समय आने पर भारत दक्षिण चीन सागर में भी मोर्चा संभालने में सक्षम!’

भारत को हल्के में लेने की कोशिश ना करे चीन!

रक्षा सचिव अजय कुमार

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ये वो दौर है, जब पूरी दुनिया के निशाने पर चीन है और जिस तरह से भारत ने अपनी कूटनीति के दम पर पाकिस्तान के आतंकवाद का पर्दाफाश किया था, ठीक उसी तरह भारत प्रत्येक वैश्विक स्तर पर चीन की पोल पट्टी खोल उसकी विस्तारवादी नीति के विरुद्ध मोर्चा मजबूत कर रहा है। लद्दाख में चीन से टकराव के बीच एक तरफ भारत अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत कर रहा है, तो दूसरी ओर कूटनीतिक स्तर पर मोदी सरकार चीन को झटके देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भारत अपनी सुरक्षा के लिए तत्पर है, लेकिन कोई भारत के सहयोगियों के हितों के साथ खिलवाड़ करेगा, तो भारत उसकी सुरक्षा करने में भी सक्षम है। यही कारण है कि भारत न केवल इंडो पैसिफिक में, अपितु दक्षिण चीन सागर में भी चीन को कमजोर करने लिए अपनी ताकत को मजबूत कर सकता है। भारतीय रक्षा सचिव अजय कुमार ने चीन को स्पष्ट तौर पर संकेत दे दिया है कि यदि चीन ने भारत को हल्के में लेने की कोशिश की, तो भारत का छोटा सा वार भी चीन के लिए भारी पड़ सकता है।

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रक्षा सचिव अजय कुमार ने सांकेतिक तौर से ये स्पष्ट कर दिया है, कि भारत विस्तारवाद का विरोध करता रहेगा और वो न केवल अपनी बल्कि अपने सभी सहयोगियों की जल-थल-वायु में सुरक्षा करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उनका ये बयान चीन के लिए मुसीबत बन सकता है, क्योंकि चीन की समुद्री मुश्किल दक्षिण चीन सागर है, जहां वो अवैध दावा ठोंकता रहता है।

चीन के प्रति आक्रामक है भारत

कहते हैं कि ‘दगाबाज दोस्त से अच्छा, दानेदार दुश्मन होता है’, किंतु चीन ने सदैव ही भारत के साथ दगाबाजी वाली दोस्ती का ढोंग रचा है।  ऐसे में भारत भी अब कूटनीति के मुद्दे पर चीन को बख्शने वाला नहीं है। चीन न केवल भारत की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी जमीन हथियाने वाली नीति पर लगा हुआ है। ऐसे में अब भारतीय रक्षा सचिव अजय कुमार ने चीन को उसकी असल जगह दिखाने का सांकेतिक ऐलान कर दिया है।

दरअसल, गोवा में नौसेना द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा, भारत क्षेत्र में शांति के लिए सभी इच्छुक देशों के साथ काम करेगा और जमीन एवं समुद्र पर अतिक्रमण के प्रयासों का विरोध करना जारी रखेगा।

कोरोनाकाल में नौसैनिकों के कार्य की सराहना करते हुए वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा, ये केवल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में सतर्क रही, बल्कि नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईसीआर) के बड़ी संख्या में तटीय देशों को सहायता प्रदान करने के लिए भी अतिरिक्त प्रयास किए।

चीनी पीएलए के नौसैनिकों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, हिंदप्रशांत महाक्षेत्र में कुछ देशों की नौसेनाओं की विस्तारवादी नीतियों के चलतेआर्म्स रेसयानि हथियारों की होड़ बढ़ सकती है। नभ, थल हो या जल जहां भी आक्रमण होगा, भारत उसका ना केवल डटकर मुकाबला करेगा बल्कि रोक भी सकता है।

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समुद्र में भी हैं बड़े ख़तरे

रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा, समुद्र में पायरेसी, मेरिटाइमटेरेरिज्म, नारकोड्रग स्मगलिंग, हथियारों की तस्करी और गैरकानूनी फिशिंग जैसे नॉनट्रैडेशनल थ्रेट्स के साथसाथ पारंपरिकखतरे भी बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि ये दोनों खतरे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा, कई नौसेनाएं प्रशांत महासागर में विस्तारवादी नीति अपना रही हैं। इस विस्तारवाद का असर प्रशांत क्षेत्र के परे (यानि हिंद महासागर) पर भी पड़ रहा है। मेरिटाइम डोमेन इतना बड़ा क्षेत्र है कि एक अकेला देश उससे नहीं निपट सकता है। यही वजह है कि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति बनाए रखने और रूल बेस्ड ऑर्डर कायम रखने के लिए भारत मित्रदेशों की नौसेनाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है। इसके लिए भारतीय नौसेना मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय और मल्टीनेशनल मेरिटाइम एक्सरसाइज करती रहेगी। स्पष्ट है कि जब रक्षा सचिव अजय कुमार विस्तारवाद का उल्लेख कर रहे हैं, तो उनके निशाने पर मात्र चीन ही है।

चीन के लिए खतरा

भारतीय रक्षा सचिव अजय कुमार का यह आक्रामक रवैया चीन के लिए न केवल इंडो पेसिफिक में उसकी विस्तारवादी नीतियों के लिए झटका होगा, बल्कि उसे सबसे बड़ा झटका दक्षिण चीन सागर में लगेगा, जहां वह अपने पैर पसारने का प्रयास कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में भारत के रुख का संकेत इस बात से मिल रहा है, क्योंकि रक्षा सचिव ने न केवल भारत की सुरक्षा की बात कही है; अपितु उन्होंने भारत के सहयोगियों की भी सुरक्षा और संप्रभुता का ध्यान रखने वाला बयान दिया है। चीन की विस्तारवादी नीति से दक्षिण चीन सागर में जापान त्रस्त है, जिसे भारत का सहयोगी माना जाता है।

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ऐसे में यदि चीन लगातार दक्षिण चीन सागर में जापान के लिए असहजता पैदा करता रहा तो भारत के लिए अपने सहयोगी की मदद करना मजबूरी हो जाएगी, किंतु भारत की यह मजबूरी सर्वाधिक चीन के लिए घातक होगी, क्योंकि स्वयं रक्षा सचिव अजय कुमार चीनी नौसेना को भारतीय नौसेना से कमतर बताने के साथ ही उनकी नौटंकियों का कच्चा चिट्ठा भी खोल चुके हैं।

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