Mahavir Swami Aarti – भगवान महावीर की 3 प्रमुख आरती संग्रह

Mahavir swami Aarti

तीर्थंकर भगवान महावीर  

भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली के कुण्डग्राम/कुण्डलपुर में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को हुआ था. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के 13वें दिन को धूम धाम से मनाया जाता हैं. इनका जन्म बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था. इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है. प्रस्तुत लेख में (Mahavir Swami Aarti) तीर्थंकर महावीर स्वामी के तीन आरतियों का संग्रह उद्धृत है.

तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये. 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया. 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई. इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुणिक और चेटक भी शामिल थे. इन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे. इन्होंने ही जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए थे जो इस प्रकार हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य.

और पढ़े: रामचरितमानस की भाषा क्या है या कौनसी भाषा में लिखी गई है?

तपस्या

भगवान महावीर का साधना काल 12 वर्ष का था. दीक्षा लेने के उपरान्त भगवान महावीर ने दिगम्बर साधु की कठिन चर्या को अंगीकार किया और निर्वस्त्र रहे. श्वेतांबर सम्प्रदाय जिसमें साधु श्वेत वस्त्र धारण करते है के अनुसार भी महावीर दीक्षा उपरान्त कुछ समय छोड़कर निर्वस्त्र रहे और उन्होंने केवल ज्ञान की प्राप्ति भी दिगम्बर अवस्था में ही की. अपने पूरे साधना काल के दौरान महावीर ने कठिन तपस्या की. भगवान महावीर जी की 3 प्रमुख आरतियां.

Mahavir Swami Aarti 1

जय महावीर प्रभो
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
कुंडलपुरअवतारी, त्रिशलानंदविभो॥ ॥ ॐ जय…..॥
सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी।
बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौतपधारी ॥ ॐ जय…..॥
आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी।
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय…..॥
जग में पाठ अहिंसा, आपहिविस्तार्यो।
हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्मपरिचार्यो ॥ ॐ जय…..॥
इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ।
ग्वालमनोरथपूर्‌यो दूध गाय पायौ ॥ ॐ जय…..॥
प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना।
मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय…..॥
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय…..॥
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै।
होयमनोरथ पूरण, संकट मिट जावै ॥ ॐ
जय…..॥
निशि दिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरै।
हरि प्रसाद चरणों में, आनंद मोदभरै ॥ ॐ जय…..॥

और पढ़े: Shri Sheetla Mata Chalisa Chaupai, शीतला अष्टमी का महत्व एवं पूजा विधि

Mahavir Swami Aarti 2

रंग लाग्यो महावीर
आरती 1. रंग लाग्यो महावीर, थारो रंग लाग्यो
1. थारी भक्ति करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
2. थारा दर्शन करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
3. थाराकलशा करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
4. थारा पूजन करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
5. थारी भक्ति करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
6. थारी वंदना करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
7. थारे पैदल आवानेम्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
रंग लाग्यो महावीर, थारो रंग लाग्यो।।
रंग लाग्यो महावीर, थारो रंग लाग्यो।।

और पढ़े: श्री राम अवतार – भगवान विष्णु के 7वें अवतार से जुड़ी पौराणिक कथा

Mahavir Swami Aarti 3

भगवान मेरी नैया
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना
हम दीनदुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रतिपल
यह सोच दरश दोगे, प्रभु आज नहीं तो कल
जो बाग लगाया है फूलों से सजा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।
तुम शांति सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो
मुम हंस चुगे मोती, तुम मानसरोवर हो
दो बूंद सुधा रस की, हम को भी पिला देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।
रोकोगे भला कब तक, दर्शन दो मुझे तुम से
चरणों से लिपट जाऊं प्रभु शोक लता जैसे
अब द्वार खड़ा तेरे, मुझे राह दिखा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।
मंझधार पड़ी नैया डगमग डोले भव में
आओ त्रिशाला नंदन हम ध्यान धरे मन में
अब बस करें विनती, मुझे अपना बना लेना
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।

और पढ़े: सूर्य चालीसा का पाठ : यहां पढ़ें सूर्य देव की चालिसा

Exit mobile version