निर्भया कांड की 9वीं बरसी पूर्ण हुई। 16 दिसंबर 2012 की रात्रि में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस भीषण घटना के बाद सोशल मीडिया पर हलचल मच गई। इतना ही नहीं, कुछ समय बाद यह आंदोलन सड़कों पर आ गया। देखते ही देखते लोगों का गुस्सा उबलने लगा और सरकार भी हरकत में आई, कानून में बदलाव किया गया और साथ ही समाज में भी बदलाव आया। निर्भया कांड के बाद देशभर में रेपिस्टों के खिलाफ कानून सख्त करने और महिला सशक्तिकरण की मांग जोर पकड़ चुकी थी। मोदी सरकार ने इस स्वप्न को पूरा करने का सार्थक प्रयास किया है।
साल 2014 से ही महिलाओं का सशक्तिकरण मोदी सरकार की केंद्रीय प्राथमिकता रही है। मोदी सरकार भारत के भविष्य को हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। यह सर्वविदित है कि मोदी सरकार की लगभग हर सफल फ्लैगशिप योजना को बड़े पैमाने पर महिलाओं की भागीदारी के कारण जन आंदोलन बनाया गया है। निर्भया प्रकरण के 9 साल गुज़रने के बाद इनका उल्लेख करना अनिवार्य हो जाता है।
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उज्जवला योजना
उज्जवला योजना ने 8 करोड़ से अधिक महिलाओं के लिए धूम्र-मुक्त जीवन सुनिश्चित किया। उन्हें धुएं वाले चूल्हे के बजाए स्वच्छ ईंधन दिया। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना की आधे से अधिक लाभार्थी (23 करोड़) महिलाएं हैं। स्वच्छ भारत ने लगभग 11 करोड़ घरों की महिलाओं के लिए सुरक्षित स्वच्छता सुनिश्चित की। 4 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में “जल जीवन मिशन” के तहत मुहैया कराया गया पानी कनेक्शन सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को पानी लाने के कठिन परिश्रम से गुजरना न पड़े।
मार्च 2020 में पहली बार राष्ट्रीय तालाबंदी की घोषणा के बाद भारत सरकार ने “पीएम गरीब कल्याण पैकेज” की घोषणा की, जिसमें कठिन परिस्थितियों के दौरान महिलाओं को आर्थिक मदद मुहैया कराने की सुरक्षा प्रदान की गयी। तदनुसार, 20 करोड़ महिलाओं को अगले 3 महीनों के लिए 500 रुपये प्रति माह के साथ कुल 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके जन-धन खातों के माध्यम से वितरित की गयी। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत लाभार्थियों को 14 करोड़ मुफ्त सिलेंडर रिफिल भी वितरित किए गए। 63 लाख “महिला सहायता समूहों” को 20 लाख रुपये तक का मुक्त ऋण भी उपलब्ध कराया गया। इस पैकेज ने कठिनाई और अनिश्चितता के इस दौर में महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित किया।
वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से महिलाओं की मदद
महिलाओं की चहुमुखी सुरक्षा सर्वोपरि है। संकट के समय महत्वपूर्ण है कि उन्हें सामाजिक, कानूनी और चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए। हिंसा या गरीबी से प्रभावित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मोदी सरकार ने वन स्टॉप सेंटर (OSC) स्थापित किए हैं। ये ओएससी किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ पुलिस, चिकित्सा, कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करते हैं। इस सुविधा से अब तक 3 लाख महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं।
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महिलाओं के स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने हेतु सरकार का कदम
जब नीति और कार्यान्वयन उत्तम होते हैं, तो उनकी सार्थकता परिणामों में परिलक्षित होती है। पोषण अभियान और “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” जैसी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के कारण हाल के दिनों में महिलाओं के स्वास्थ्य संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। बाल लिंगानुपात जहां 2014-15 में 918 से बढ़कर 2021 में 1020 हो गया है, तो वहीं मातृ मृत्यु दर भी 2014-16 में 130 से गिरकर 2016-18 में 113 हो गई है।
माताओं और किशोरों में एनीमिया और कुपोषण को कम करने और पोषण वितरण परिणामों को मजबूत करने के लिए पोषण अभियान 2.0 भी शुरू किया गया है। पिछले 4 वर्षों में पोषण अभियान के तहत 11,000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं, जिससे माताओं के बीच पोषण परिणामों में सुधार करने में मदद मिली है। मोदी सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने वाले प्रगतिशील कानूनों को भी संसद में पेश किया है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (संशोधन) विधेयक, 2020 ने महिलाओं की विशेष परिस्थितियों में गर्भपात की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया है।
PMAY-G के माध्यम से महिलाओं के लिए सम्मान और सुरक्षा
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके सिर पर छत हो और 50 लाख से अधिक घर केवल महिला लाभार्थियों के नाम पर स्वीकृत हों। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पति-पत्नी के नाम संयुक्त रूप से 80 लाख से अधिक मकान स्वीकृत किए जा चुके हैं।
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मोदी सरकार ने किया कानूनों में बदलाव
बताते चलें कि स्टैंड-अप इंडिया के तहत 90,000 महिला उद्यमियों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मंजूर की गई है, जो इस योजना के तहत स्वीकृत सभी ऋणों का 83 फीसदी है। नए पारित श्रम कानूनों में ऐसे प्रावधान शामिल हैं, जो महिला कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में और रात की पाली में भी पर्याप्त सुरक्षा के साथ काम करने में सक्षम बनाते हैं। मजदूरी पर श्रम संहिता (Labour Code) के तहत महिलाओं को समान मजदूरी की भी गारंटी दी गई है।
लोगों को याद होगा कि मातृत्व लाभ अधिनियम, मोदी सरकार द्वारा संशोधित किया गया था, ताकि संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया जा सके। महिलाओं की स्थिति हमारी सामाजिक सोच को प्रदर्शित करती है और सरकार भी इसे परिवर्तित करने का प्रयास कर रही है। इन योजनाओं के परिमाण आने शुरू हो गए हैं, आंकड़े इनकी सफलता को स्थापित करते हैं। बाकी जनता साक्षी है!