भारत डिजिटल क्रांति में विश्व के लिए एक उदाहरण बनता जा रहा है। डिजिटल इंडिया ने इंटरनेट को देश के गांव-गांव तक पहुंचा दिया है। भारत के जिन गांवों में बिजली तक नहीं थी, वहां ब्रॉडबैंड पहुंच चुका है। पिछले वर्ष मात्र 30 प्रतिशत ग्रामीण भारतीयों तक मोबाइल ब्रॉडबैंड की पहुंच थी लेकिन आज भारत के 93 प्रतिशत से अधिक गांवों को मोबाइल ब्रॉडबैंड से जोड़ा जा चुका है। इसी से डिजिटल इंडिया की क्रांति का अंदाजा लगाया जा सकता है। हाल ही में, बीते बुधवार को संसद में संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, देश के 93 प्रतिशत से अधिक गांव अब 3G और 4G प्रौद्योगिकियों के माध्यम से मोबाइल ब्रॉडबैंड कवरेज के भीतर आ चुके हैं।
भारत के 93 फीसदी गांव में पहुंचा मोबाइल ब्रॉडबैंड कनेक्शन
ग्रामीण ब्रॉडबैंड परियोजना पर बोलते हुए संचार राज्य मंत्री ने कहा कि “1 नवंबर तक 1.66 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को भी इंटरनेट सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है।” उन्होंने बताया कि “TSP (दूरसंचार सेवा प्रदाताओं) और दूरसंचार विभाग की क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा दिसंबर 2020 तक उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, यह अनुमान है कि देश में 5,97,618 बसे हुए जनगणना गांवों (2011 की जनगणना के अनुसार) में से कुल संख्या 5,58,537 गांवों को 3G/4G मोबाइल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से मोबाइल ब्रॉडबैंड से जोड़ा गया है।”
संचार राज्य मंत्री ने आगे कहा कि “देश में मोबाइल वायरलेस 3G और 4G प्रौद्योगिकियों एवं दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा चरणबद्ध तरीके से और फिक्स्ड वायरलाइन कनेक्शन के माध्यम से ब्रॉडबैंड पहुंच प्रदान की जाती है।” बता दें कि पिछले वर्ष ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड की पहुंच मात्र 29.2 प्रतिशत तक सीमित थी। तब संचार, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में इसकी जानकारी दी थी।
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केवल शहर नहीं अब गांव भी होंगे डिजिटल
केंद्र की वर्तमान सरकार डिजिटल इंडिया को अपनी नीतियों में प्रमुख स्थान देती है। कुछ साल पहले शुरू की गई यह योजना न केवल शहरी डिजिटलीकरण पर केंद्रित थी, बल्कि इस योजना का उद्देश्य देश के ग्रामीण हिस्सों से संपर्क बढ़ाना भी था। हालांकि, शहरी क्षेत्रों के विपरीत, जहां दूरसंचार कंपनियां खुद टावर लगाने के लिए उत्सुक हैं। वे गांवों तक ब्रॉडबैंड और मोबाइल टेलीफोन जैसी विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रही हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि जो कम सेवा वाले क्षेत्र हैं, वे असेवित न रहे।
आज के समय में मोदी सरकार कई ई-गवर्नेंस सेवाओं को डिजिटल डोमेन में लेकर आई है। इन सेवाओं के उपयोग को भारत के ग्रामीण हिस्से तक विस्तारित करने की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे तुलनात्मक रूप से निम्न स्तर, कम जनसंख्या घनत्व और एक व्यवहार्य व्यावसायिक मामले की कमी के कारण उत्पन्न होते हैं। हालांकि, मोदी सरकार इन सभी समस्याओं से निपटते हुए कई स्तर पर काम कर रही है। ऑप्टिकल फाइबर लगवाने से लेकर गांव के पंचायत तक इंटरनेट सेवा को पहुँचाने तक मोदी सरकार ने बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान दिया है, जिससे अब गांव में आखिरी व्यक्ति के पास इंटरनेट की पहुंच संभव हो पाई है।
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देश के गांव-गांव तक पहुंची डिजिटल सेवा
आपको बता दें कि 15 अगस्त 2020 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1,000 दिनों में देश भर के 6 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड सेवाओं से जोड़ने का महत्वाकांक्षी वादा किया था। इस वर्ष जुलाई में सरकार ने भारतनेट परियोजना के रोलआउट के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए ऑप्टिक फाइबर के माध्यम से 3,60,000 गांवों (16 राज्यों में फैले) को जोड़ना है।
साल 2014 में NDA सरकार के सत्ता में आने से पहले, देश में केवल 5 दर्जन पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी थीं। हालांकि, पिछले पांच वर्षों में देश में 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है। वहीं, डिजिटल इंडिया मिशन के लॉन्च के छह साल बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट का बाजार बन चुका है और यह चीन, अमेरिका और UK के कुल रियल टाइम पेमेंट से मीलों आगे जा चुका है। EIU (द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में बताया कि भारत रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट में नंबर एक पर है। इससे यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि भारत में डिजिटल क्रांति का असर अब दिखने लगा है और देश के गांव- गांव तक डिजिटल सेवा की पहुंच सुनिश्चित हुई है।