भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति को नियंत्रित करने हेतु 11 सितंबर, 1958 को अफस्पा (AFSPA) को लागू किया गया था। इस कानून में सशस्त्र बलों के कर्मियों को मौत का कारण बनने, प्रशिक्षण शिविरों के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली संरचनाओं को नष्ट करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्तियों का उल्लेख है। इन शक्तियों को समाप्त करने हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में AFSPA को निरस्त करने के नागालैंड सरकार के सुझाव पर गौर करने के लिए एक पैनल का गठन किया था किन्तु हाल ही में, नागालैंड में अफस्पा – सशस्त्र बल विशेष सुरक्षा अधिनियम (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ाने का निर्णय किया गया है।
AFSPA को छः महीनों के लिए बढ़ाया गया
दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह ने बीते 23 दिसंबर को राज्य के परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की थी। बैठक में नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, नागालैंड के डिप्टी CM वाई. पैटन और नागा पीपुल्स फ्रंट विधायक दल के नेता टी.आर. ज़ेलिआंग मौजूद थे। बैठक के बाद राज्य सरकार ने कहा था कि “बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नगालैंड में अफस्पा को वापस लेने की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी।” राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय से असम राइफल्स इकाई को तत्काल प्रभाव से बदलने का भी आग्रह किया है।
हालांकि, इस बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने अभी तक इस संबंध में औपचारिक घोषणा नहीं की थी लेकिन यह अफवाह फैलने लगी कि जल्दी ही नागालैंड से AFSPA हट जाएगा। नेफ्यू रियो ने बैठक के बाद एक ट्वीट में कहा “माननीय HMOIndia अमित शाह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में 23 दिसंबर, 2021 को हुई बैठक के संबंध में मीडिया को जानकारी दी। इस मामले को अत्यधिक गंभीरता से लेने के लिए अमित शाह जी का आभारी हूं। राज्य सरकार शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए सभी वर्गों से अपील करती है।”
‘अशांत और खरतनाक’ क्षेत्र की श्रेणी में है नागालैंड
वहीं, केंद्र सरकार ने बीते गुरुवार को नागालैंड को अशांत और खतरनाक क्षेत्र की संज्ञा देते हुए AFSPA कानून को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया है। बता दें बीते 4 दिसंबर की शाम को नागालैंड में सुरक्षा बलों के घात लगाकर किए गए हमले में 6 कोयला खदान मजदूरों की मौत हो गई, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इस पर प्रतिकार करना शुरू किया था। ऐसे में, उल्फा समेत तमाम समूह नागालैंड में सक्रिय हैं। वहीं, यहां उग्रवादियों की पैठ मजबूत है, जिसे ध्वस्त करने के लिए AFSPA जैसे कानूनों की जरुरत होती है। अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि जब तक ऐसे समूह नागालैंड में मौजूद हैं। नागालैंड में भारत सरकार को अफस्पा हटाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।