श्री राम अवतार – भगवान विष्णु के 7वें अवतार से जुड़ी पौराणिक कथा

श्री राम अवतार

श्री राम अवतार कथा

भगवान विष्णु के 7वें अवतार श्री राम से जुड़ी पौराणिक कथा जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि रामनवमी के दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. भगवान राम श्री हरि भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं. पद्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के धरती पर श्री राम अवतार लेने की अनेकों कहानिया मौजूद हैं.

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु का दर्शन करने के लिए सनकादिक मुनि वैकुंठ आए. तब उस समय जय और विजय नाम के दो द्वारपाल पहरा दे रहे थे, जब सनकादिक मुनि जा रहे थे तो जय और विजय ने उन्हे रोक लिया और उनका मजाक बनाने लगे. जिससे क्रोधित होकर सनकादिक मुनि ने उन्हे श्राप दिया कि वह तीनो जन्मों में राक्षक कुल में जन्म लेंगे.यह सुनकर दोनो द्वार पाल मुनि के चरणों में गिर गए और क्षमा मांगने लगे क्षमा मांगने पर सनकादिकमुनि ने कहा कि मैं श्राप तो वापिस नहीं ले सकता पर तीन जन्मों के बाद तुम्हारा अंत भगवान विष्णु ही करेंगे. इस प्रकार तीन जन्मों के बाद तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी.

प्रथम अवतार

इस प्रकार पहले जन्म में जय विजय ने हिरण्यकशिपु औऱ हिरण्याक्ष के रूप में जन्म लिया और तब भगवान विष्णु ने नराह अवतार लेकर इनका अंत किया. वहीं दूसरे जन्म में इन्होंने रावण और कुंभकर्ण के जैसे महान शक्तिशाली राक्षस के रूप में जन्म लिया और श्रीहरि भगवान विष्णु ने श्री राम का अवतार लेकर इनका वध किया. तीसरे जन्म में दोनों ने शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्म लिया और भगवान श्रीकृष्ण ने इनका वध किया. इस प्रकार जय विजय को राक्षस कुल से मुक्ति मिल पाई.

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द्वितीय कथा

वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार मनु औऱ उनकी पत्नी शतरूपा से ही मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई. इन दोनों के आचरण बहुत ही अच्छे थे. वृद्ध होने पर मनु अपने पुत्र को राजपाठ देकर वन में चले गए. जहां उन्होने कई हजार सालों तक भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तप किया. उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे वरदान मांगने को कहा. मनु औऱ शतरूपा ने श्री हरि से कहा कि हमें आपके समान पुत्र की अभिलाषा है.

उनकी इच्छा सुन श्रीहरि ने कहा कि संसार में मेरे समान कोई औऱ नहीं है, इसलिए तुम्हारी अभिलाषा पूरी करने के लिए मैं स्वयं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा. वहीं आने वाले समय में मनु दशरथ और माता शतरुपा कौशल्या के रुप में जन्मे और इनसे जन्म लेकर भगवान विष्णु ने मनु और माता शतरुपा को दिए वरदान को निभाया. जो श्री राम अवतार कहलाए.

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तृतीय श्री राम अवतार कथा

तीसरी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के श्री राम अवतार लेने के पीछे रामायण की रोचक कथा मौजूद है. कामदेव पर विजय प्राप्त करने के बाद नारद जी इस बात का बखान करने नारद मुनि भगवान शिव के पास पहुंचे और सारे वाक्य को भगवान शिव को बताने लगे. सब सुनने के बाद भगवान शिव ने नारद मुनि से कहा कि यह बात श्री हरि को मत बताना पर नारद जी कहां मानने वाले थे.

वह तुरंत क्षीरसागर में भगवान विष्णु के पास पहुंच गए और उन्होंने कामदेव पर विजय प्राप्त करने की पूरी कथा विष्णु जी को सुनाई .नारद मुनि के अंहकार को नष्ट करने के लिए भगवान हरि ने एक उपाय सोचा. भगवान विष्णु ने एक माया नगरी रचित की जिसे नारद समझ नहीं पाए.वहीं एक राजमहल में राजा की सुंदर पुत्री पर नारद जी मोहित हो उठे और उससे विवाह की सोची और इस कामना के साथ नारद जी भगवान विष्णु के पास वापस बैकुंठ पहुंचे जहां उन्होंने खुद को रूपवान और सुंदर बनाने की विनती की. जिस पर विष्णु जी ने कहा, ‘हे ऋषि मुनि हम वही करेंगे जो तुम्हारे लिए अच्छा होगा.’

जब नारद जी स्वयंवर के लिए वापस पहुंचे तो लड़की ने उनकी तरफ देखे बिना माला किसी और के गले में ड़ाल दी जिससे वह निराश हुए और जैसे ही अपना रुपवान चेहरा देखने के लिए उन्होने जल में देखा तो उनका चेहरा एक बंदर की भांति था. जिससे नारद जी क्रोधित होकर बैकुंठ गए जहां उस कन्या को भगवान विष्णु के बगल में देख ओर क्रोधित हो उठे और भगवान विष्णु को श्राप दे ड़ाला कि ‘जिस प्रकार आपने बंदर के समान मेरा मुख बनाकर मेरा उपहास कराया है, मैं भी आपको शाप देता हूं कि आप पृथ्वी पर मनुष्य के अवतार पर जन्म लेंगे और आपको बंदरों से मदद लेना होगा’.

‘साथ ही जिस प्रकार मुझे एक स्त्री से दूर रखा है ठीक उसी प्रकार आपको भी एक स्त्री का वियोग सहना पड़ेगा.’ नारद मुनि के इस श्राप के कारण भगवान विष्णु ने धरती पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के रूप में अवतार लिया.

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