बिहार में बहार है ‘नीतीशे कुमार है’, ऐसा चुनावी जुमला नीतीश कुमार के प्रसंशक हमेशा बोलते रहते हैं, परंतु जमीनी स्तर पर स्थिति में आज भी कुछ सुधार नजर नहीं आता! नीतीश कुमार के कथित सुशासन में पिछले काफी समय से ऐसी कोई न कोई अप्रिय घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं, जिससे देश में बिहार की छवि धूमिल हो रही है। गौर करने वाली बात है कि बिहार का गृह मंत्रालय पिछले 15 साल से सीएम नीतीश कुमार के पास ही है, लेकिन कथित तौर पर वो राज्य की कानून व्यवस्था को बेहतर करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। शराब, रंगदारी, रिश्वत समेत कई मामलों में बिहार पुलिस की संलिप्तता की खबरें आये दिन सामने आती रहती हैं! इसी बीच खबर है कि बीते 2 दिसंबर को बिहार के खगड़िया जिले में गोगरी पुलिस ने कक्षा-1 के छात्र पर छेड़छाड़ के आरोप में SC/ST अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की देखरेख कर रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस मामले के विवरण की जांच किए बिना, मनमाने ढंग से बच्चे की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। खगड़िया के एसपी अमितेश कुमार के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने इस मामले की गहन जांच के आदेश दिए है।
रिपोर्ट के अनुसार गोगरी के शीशवा गांव निवासी अनोखी देवी ने एसपी को एक लिखित आवेदन दिया है, जिसमें उसने दावा किया है कि फतेहपुर की एक महिला ने गोगरी थाने में मामला दर्ज कराया था, ताकि उसे उधार न चुकाना पड़े। उसकी शिकायत के बाद गोगरी पुलिस ने छेड़छाड़, चोरी सहित SC/ST एक्ट में कार्रवाई करते हुए एक महिला समेत चार लोगों को आरोपी बनाया था। आरोपितों में कक्षा-1 में पढ़ने वाला एक बच्चा भी शामिल है।
वहीं, पुलिस के एफआईआर में दूसरा आरोपित अरविंद है, जो विदेश में काम करता है और कोरोना के बाद से वह वापस ही नहीं आया है। इतना ही नहीं मामले में फतेहपुर की दो महिलाएं शोभा देवी और मीरा देवी को प्रत्यक्षदर्शी बनाया गया, जबकि दोनों ने इस केस में किसी भी तरह की जानकारी से इनकार किया है।
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बिहार पुलिस की हो रही है जमकर फजीहत
जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की जांच का जिम्मा डीएसपी रंजीत सिंह को दी गई है। आरोप है कि सिंह ने मामले की पूरी जांच किए बिना ही अपने कार्यालय में बैठकर बच्चे को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। बहरहाल अब बिहार पुलिस की जमकर फजीहत हो रही है। वहीं, एसपी अमितेश कुमार ने बताया कि मामले की हर एंगल से छानबीन की जा रही है। इस मामले में डीएसपी से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्या उन्होंने मौके का दौरा किया था? अगर उन्होंने ऐसा किया था तो क्या उन्होंने बच्चे की उम्र को वेरिफाई किया था?
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस बच्चे का आयु प्रमाण पत्र हासिल करने की कोशिश कर रही है। पुलिस मामले में आईओ और डीएसपी की भूमिका की जांच कर रही है और इसमें उनकी लापरवाही पाई जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बताते चलें कि इस मामले को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। सोशल मीडिया पर बिहार पुलिस की जमकर फजीहत हो रही है, लोग व्यापक रूप से आलोचना भी कर रहे हैं। आरोपितों में कक्षा-1 के छात्र के नाम को शामिल करने को लेकर भी तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर नीतीश सरकार और बिहार पुलिस प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाते दिख रही हैं।
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