क्या मोदी सरकार ‘ब्रेन ड्रेन थ्योरी’ को अतीत की बात बना सकती है?

सुनो गौर से देशवासियों ये न्यू इंडिया है!

पिछले कुछ वर्षों से, मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश की प्रतिभा भारत में रहे और देश की विकास में भरपूर योगदान दे। पिछले कई दशकों से, IIT, IIM और IISc जैसे शीर्ष कॉलेजों से पास-आउट (इनमें से अधिकांश सार्वजनिक संस्थान हैं, जहां छात्र करदाताओं के पैसे पर अध्ययन करते हैं) छात्र अमेरिका, यूके, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया में प्रवास करने के लिए चले जाते थे। यही कारण है कि अंग्रेजी बोलने वाले देशों में प्रवासी भारतीय उच्च शिक्षा वाले, समृद्ध और प्रभावशाली हैं। हालांकि, यह देश के विकास को नुकसान पहुंचाता है क्योंकि करदाता के खर्च पर अध्ययन करने वाले छात्र अन्य अंग्रेजी बोलने वाले देशों के विकास में योगदान करते हैं किन्तु अब भारत में बदलते परिवेश ने इस ब्रेनड्रेन पर लगाम लगाने का काम किया है।

मोदी सरकार ने भारत में व्यावसायिक वातावरण में सुधार किया है। कॉर्पोरेट टैक्स और व्यक्तिगत आयकर को युक्तिसंगत बनाया है और शीर्ष संस्थानों के छात्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ नौकरी करने के बजाय उद्यमिता को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। आइये हम इस बदलते परिवेश के उन्हीं कुछ कारकों पर एक डालते हैं।

मोदी सरकार की योजनाएं

स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव(PLI) जैसी योजनाएं उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और भारत के भीतर अधिक उच्च भुगतान वाली नौकरियां पैदा करने के लिए शुरू की गई थीं। इन योजनाओं का प्रभाव पहले से ही दिखाई दे रहा है क्योंकि आज देश में 70 से अधिक Unicorn कंपनियां हैं, जिनमें से 40 ने तो इस वर्ष Unicorn का तमगा हासिल किया है।

स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के कारण आज भारत 50 हजार से अधिक स्टार्टअप कंपनियों के साथ दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है। प्रमुख संस्थानों के छात्र अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सस्ते मजदूर बनने के बजाय भारत में एक कंपनी चलाना और उसका मालिक बनना पसंद कर रहे हैं। चाय की कंपनी बनाने से लेकर AI के क्षेत्र में Metaverse की कंपनी और गेमिंग सैक्टर में पांव जमाने के बाद अब स्पेस के क्षेत्र तक भारतीय कंपनिया उभर कर सामने आ रहीं हैं।

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PLI योजना विदेशी कंपनियों के साथ-साथ भारतीय कंपनियों को घरेलू खपत और निर्यात के लिए भारत में रहकर ही निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कई विदेशी कंपनियां जो भारत में निर्यात माल का उपयोग करती थीं, वो अब भारत में कारखाने खोल रही हैं और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं। इससे भी देश के छात्रों को अपने ही देश में रहकर उन विदेशी कंपनियों के लिए काम करने का मौका मिल रहा है।

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भारत में बढ़ते अवसर

देखा जाए तो अमेरिका का बाजार बहुत परिपक्व है और नई कंपनियों के लिए वहां स्थान खोजना बहुत कठिन है जबकि भारतीय बाजार लगभग दो अंकों की आर्थिक वृद्धि के साथ अभी उभर रहा है।

इस प्रकार, तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार को भुनाने के लिए, कई पेशेवर जो पश्चिमी देशों में चले गए हैं, अपनी कंपनी खोलने के लिए भारत (रिवर्स ब्रेन ड्रेन) वापस आ रहे हैं। भारत में अवसरों की आपार संभावनाएं तेजी से बढ़ी है। सरकार ने Lateral Entry Scheme के माध्यम से निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सरकारी संस्थाओं को खोल दिया है। इसलिए, प्रमुख संस्थानों के कई विशेषज्ञ जो सरकार के साथ काम करना चाहते हैं, उन्हें अब अवसर मिल रहा है।

इसके अलावा, लाखों उच्च कामाई वाली नौकरियां, जिनके लिए नए पासआउट छात्र MNC कंपनियों में काम करने के लिए अमेरिका और यूरोप पलायन कर रहे थे, अब वे अपना भविष्य भारत में ही रहकर बना रहे हैं।

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मानसिकता में हुआ बदलाव

भारतीय बाजार बहुत सारे अवसरों के साथ एक महत्वपूर्ण मंथन से गुजर रहा है और यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा भारत में रहे। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय लोगों में राष्ट्रवाद की एक नई भावना पैदा की है और यह शीर्ष प्रतिभाओं के भारत में रहने के निर्णय में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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भ्रष्टाचार मुक्त सरकार और तेजी से हो रहे आर्थिक सुधारों ने देश की राजनीतिक व्यवस्था और इसके उज्ज्वल भविष्य में लोगों के विश्वास को बढ़ाया है। आर्थिक रूप से सुरक्षित मध्यम वर्ग के उदय ने पश्चिम की ‘सामाजिक सुरक्षा’ की आकर्षित अपील को समाप्त कर दिया है, जो प्रवास के पीछे प्रमुख कारणों में से एक था। पहले भारतीय माता-पिता इस सपने के पाश में फंस जाते थे कि पश्चिमी दुनिया में काम  करना ही खुद को साबित करने का एक मात्र मौका है। माता-पिता द्वारा लगाई गई छोटी-सी चिंगारी फिर जुनून में बदल जाती थी और बस इसी मोह में कई लोग देश से बाहर उड़ जाते थे। यह पाश अब टूट चुका है और लोगों में भारत के अंदर ही रहकर कुछ कर दिखाने का जज्बा बढ़ा है।

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निष्कर्ष

यह सुनिश्चित करने के लिए कि शीर्ष भारतीय प्रतिभाएं भारत में रहें, देश में उद्यमिता और अवसरों के घातीय विस्तार पर सरकार ने विशेष जोर रहा है। साथ ही समाज के उच्च मध्यम वर्ग की मानसिकता में बदलाव भी इसके पीछे एक कारण है। IIT दिल्ली जैसे शीर्ष संस्थानों के निदेशकों का कहना है कि भारत में अवसरों की अधिकता के कारण अब कम छात्र विदेश जा रहे हैं , तो देश अब 1990 और 2000 के दशक के ब्रेन ड्रेन से रिवर्स ब्रेन ड्रेन युग में आगे बढ़ रहा है।

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