ED ने भारत में चीन समर्थित Fintech कंपनियों पर कसी नकेल

अब क्या करोगे जिनपिंग महोदय?

Fintech

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युद्ध कई प्रकार के होते हैं जैसे सीमाई युद्ध, गोरिल्ला युद्ध, कूटनीतिक युद्ध इत्यादि। इन्हीं युद्धों में से एक है आर्थिक युद्ध, जो चीन ने हमारे साथ छेड़ दी है। चीन जिस जगह को बल से नहीं जीत पाता, उसको छल से जीतना चाहता है। उसके ये छल सबसे ज्यादा आर्थिक कपट के रूप में सामने आते हैं। चीनी कंपनी Evergrande ने दुनियाभर से उधार लेकर नहीं चुकाया, लेकिन वहीं देश दुनिया के बहुत से छोटे देशों जैसे श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान इत्यादि को अपने ऋण जाल में फंसाकर उनका शोषण कर रहा है। भारत जब चीन के किसी छल में नहीं फंसा, तो उसने भारतीयों को फंसाना शुरू कर दिया। माध्यम बना मोबाइल और गुनहगार बनी Fintech कंपनियां।

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क्या है Fintech?

Fintech का full form होता है Financial Technology अर्थात् वित्त और तकनीक का समावेशन। इसको स्पष्ट तरीके से कहा जाए, तो जब आप अपने किसी वित्तीय कार्य जैसे बैंकिंग आदि को तकनीक की मदद से पूरा करते हैं तो उस तकनीक को Fintech कहा जा सकता है और इस कार्य को जो कंपनी पूरा करे, उस कंपनी को Fintech Company कहा जाता है। चीन ने इन्हीं Fintech Company के माध्यम से भारतीयों को मोबाइल लोन मुहैया कराया। त्वरित नकदी की लालच में छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए आम आदमी मोबाइल एप के माध्यम से ये लोन ले लेता है और उसके बाद अंतहीन ब्याज के चक्कर में फंस जाता है। ये लोन बड़ी उच्च ब्याज दर पर दिये जाते हैं और फिर आम आदमी को इसमे फंसा लिया जाता है। पर अब केंद्र सरकार ने इनकी मुक्ति का उपाय करते हुए, ऐसे एप्स को ‘तोड़ने’ का काम प्रारम्भ कर दिया है।

मोदी सरकार की कार्रवाई

केंद्र ने अधिकारियों को स्नैप इट लोन, बबल लोन, गो कैश और फ्लिप कैश सहित चीन समर्थित दो दर्जन से अधिक फिनटेक ऋणदाताओं की जांच करने का निर्देश दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, ईडी और राज्य सीआईडी ने Razorpay और PayTm जैसे भुगतान गेटवे को इस तरह के ऐप के माध्यम से लेनदेन को बंद करने का निर्देश दिया है। ईडी ने इनमें से कुछ ऐप के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है, जबकि कई राज्य के पुलिस विभागों को भी इनके खिलाफ शिकायतें मिली हैं।

इन उधार देने वाले एप्स के 95 फीसदी लेनदेन को संसाधित करने वाले Razorpay ने कहा कि उसने पिछले कुछ महीनों में उनमें से 300 से अधिक एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। अधिकारियों का कहना है कि जल्दी से अधिक नकदी प्रदान करने के लिए इस भुगतान गेटवे ने चीनी संस्थाओं के लिए उनके “मनी ट्रेल” का पता लगाने हेतु “नो योर-कस्टमर (KYC) जांच” किए बिना खाते खोले।

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ईडी ने पिछले दिन ही चीन समर्थित Kudos PVT Ltd के मालिक पवित्र प्रदीप वलवेकर को पुणे से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। Kudos PVT Ltd भी इसी तरह की लोन कंपनी है। चीन के इस छद्म आर्थिक छल को मोदी सरकार द्वारा नाकाम किया जा रहा है। लोन बांटने वाले चीनी एप्स सकते में हैं। ऐसे में जरूरत है तो हमारे नागरिकों के जागरूक होने की, जो बिना किसी “Terms and conditions” को देखे हुए ‘Agree’ का बटन दबा देते हैं।

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