इस्लाम छोड़कर हिंदू बने शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिज़वी

सुबह का 'भूला' शाम को घर लौट आए तो उसे 'भूला' नहीं कहते हैं!

वसीम रिज़वी सनातन

अब शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिज़वी, वसीम रिज़वी नहीं रहे, उन्होंने सनातन धर्म में अधिकारिक रूप से पुनर्वापसी कर ली है। गाज़ियाबाद के डासना देवी मंदिर में धर्म प्रचारक यति नरसिंहानंद सरस्वती के देखरेख में उन्होंने विधिविधान सहित यह कार्य संपन्न किया है। हाल ही में, अपने विचारों के कारण अक्सर इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिज़वी ने इस्लाम को त्याग अधिकारिक तौर पर सनातन धर्म स्वीकार लिया है। इस दौरान कई अनुष्ठान हुए। साथ ही, वसीम रिज़वी अब से जितेंद्र नारायण स्वामी के नाम से जाने जायेंगे। रिज़वी अब इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म में आ चुके हैं। बता दें कि सनातन धर्म की पूरी रस्म निभाने के साथ उन्होंने हिन्दू धर्म में वापसी की है।

वसीम रिज़वी ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया

कुछ लोगों के लिए वह हरबीर नारायण सिंह त्यागी हैं, तो कुछ लोगों के लिए वह जितेन्द्र नारायण स्वामी, परन्तु वास्तविकता तो यही है कि वसीम रिज़वी अब सनातन धर्म में वापसी कर चुके हैं। सनातन धर्म अपनाने के पश्चात वसीम यानी हरबीर ने कहा कि, “मुगलों ने हमेशा परंपरा को जीवित रखने वाले हिंदुओं को हराओ। जो पार्टी हिंदुओं को हराती है, मुसलमान एकजुट होकर उसे वोट करते हैं। मुसलमान सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को हराने के लिए वोट करता है। मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को ईनाम बढ़ा दिया जाता है, आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं।”

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लेकिन वसीम रिज़वी ने सनातन धर्म क्यों अपनाया? इसका उत्तर स्वयं एक विडियो सन्देश में देते हुए उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि “मेरा गुनाह है कि मैंने पैगंबर ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद पर एक किताब लिखी है, इसलिए कट्टरपंथी मुझे मार देना चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “मुझे कब्रिस्तान में जगह नहीं दी जाएगी, इसलिए मैंने अपनी वसीयत लिखकर प्रशासन को भेज दिया है कि मेरे मरने के बाद हिंदू रीति-रिवाज से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए।”

विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहे थे वसीम रिज़वी

बताते चलें कि कई माह पूर्व वसीम यानी हरबीर त्यागी ने कुरान की चुनिंदा आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके अनुसार कुरान की वह 26 आयतें आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। यह मामला काफी दिनों तक चर्चा में रहा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था और रिजवी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। इसके अलावा भी कई दफा रिज़वी अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं। तीन तलाक और अयोध्या विवाद पर भी उनकी प्रतिक्रिया को लेकर कट्टरपंथियों ने बवाल मचाया था। अब उनकी इस किताब पर भी जिहादियों की नकरात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली है। ऐसे में, वसीम रिज़वी से हरबीर नारायण त्यागी तक उनकी यात्रा स्पष्ट करती है कि असंभव कुछ भी नहीं है, यदि आपने ठान लिया, तो अकेला व्यक्ति भी पहाड़ तोड़ने के लिए पर्याप्त है।

 

 

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