मोदी सरकार राष्ट्र उत्थान के लिए सतत प्रयासरत है। कल्याणकारी राज्य की स्थापना नीति निर्देशक तत्वों का सार है। इस उच्च संवैधानिक आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु दो चीजें आवश्यक हैं। प्रथम, आर्थिक संसाधन और द्वितीय सार्थक नीति। सरकार के आर्थिक संसाधनों की पूर्ति “कर” के माध्यम से होती है। आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए मोदी सरकार ने अप्रत्यक्ष कर नीतियों में कई बड़े सुधार किए हैं। जीएसटी अर्थात वस्तु और सेवा कर को लागू किया। परंतु, इन आर्थिक संसाधनों का खून कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम चूस रहे थे। इसमें काम करनेवाले अधिकारियों, कर्मचारियों, उनकी लेटलतीफी, लालफ़ीताशाही और शून्य कर्तव्य निर्वहन से ना सिर्फ आम जनता त्रस्त थी बल्कि सरकार को भी सतत हानि हो रही थी। सारे आर्थिक संसाधन इन्ही हानियों के वहन करने में खर्च हो जाते थे।
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Central Electronics Limited का हुआ निजीकरण
अतः सरकार ने इनके विनिवेश का निश्चय किया। विनिवेश और विक्रय में अंतर है। विक्रय में जब आप किसी चीज़ को बेच देते हैं, तो स्वामित्व का अधिकार भी उस व्यक्ति के पास चला जाता है जबकि विनिवेश में सिर्फ उसे चीज़ के प्रबंधन का अधिकार होता है। यही प्रबंधन जब निजी क्षेत्र के पास जाएगा तो ना सिर्फ कर्मचारियों के कार्यशैली में बदलाव होगा बल्कि उनकी गुणवत्ता और लाभ में भी सुधार होगा। एयर इंडिया इसका ताज़ा उदाहरण है।
इस कड़ी में मोदी सरकार नें अब Central Electronics Limited के निजीकरण का निर्णय किया है। शुरुआत में तो इस रुग्ण सरकारी उपक्रम को खरीदने वाला कोई खरीददार ही नहीं मिला परंतु सरकार के अथक प्रयास से आखिरकार यह निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है। वित्त मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि “सरकार ने Central Electronics Limited (CEL) में अपनी पूरी (100 प्रतिशत) हिस्सेदारी नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड को 210 करोड़ रुपये में बेचने की मंजूरी दे दी है।”
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सरकार ने कहा कि “नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड ने Central Electronics Limited (CEL) के लिए 210 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई।” अतः Central Electronics Limited (CEL) को नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड के हवाले कर दिया गया। बयान में कहा गया है कि “CEL में सरकार के हिस्सेदारी की बिक्री को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अधिकृत वैकल्पिक तंत्र के माध्यम से मंजूरी दी गई, जिसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी और जितेंद्र सिंह शामिल हैं।” बता दें कि नंदल फाइनेंस की विजयी बोली बिक्री के लिए निर्धारित 194 करोड़ के सरकारी अनुमान से अधिक थी।
विनिवेश से सरकारी उपक्रमों की सुधरेगी गुणवत्ता
पूरी विनिवेश प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी की गयी। बोलीदाताओं की गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा गया। इस प्रक्रिया को अंतर-मंत्रालयी समूह , विनिवेश पर सचिवों के समूह और बहुस्तरीय निर्णय लेने के लिए शीर्ष मंत्रिस्तरीय स्तर पर स्थापित सशक्त वैकल्पिक तंत्र माध्यम से पूर्ण किया गया। सरकार ने आगे कहा कि “उसे उम्मीद है कि लेनदेन चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 के दौरान पूरा हो जाएगा।”
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दिलचस्प बात यह है कि Central Electronics Limited (CEL) के लिए विनिवेश प्रक्रिया अक्टूबर 2016 में शुरू हुई थी। वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले साल फरवरी में नए सिरे से विनिवेश प्रक्रिया शुरू की गई थी। ऐसे में, विनिवेश, निवेश और निजीकरण विकास का माध्यम बनेगा। महामारी के कारण यह अभियान कुछ हद तक प्रभावित हुआ है लेकिन सरकार अपने निर्णय पर अडिग है। ऐसे रुग्ण और हानि में पड़े उपक्रमों को बेचना सरकार के समर्पण को प्रदर्शित करता है। निश्चित ही यह सरकारी उपक्रमों के संभावनाओं, लाभों और गुणवत्ता के नए मार्ग खोलने में सक्षम होगा।