ममता के राज में सरकारी सुविधा का लाभ उठा कर बच्चों का यौनशोषण कर रहे हैं सरकारी अधिकारी

पश्चिम बंगाल अब राम भरोसे!

सेल्टर हाउस

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प्रशासन का काम जनता की सुरक्षा है, लेकिन जब रक्षक ही जनता का भक्षक बन जाए तब स्थिति गंभीर हो जाती है। मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसा ही हो रहा है। बताया जा रहा है कि राज्य के हावड़ा में सरकारी कर्मचारी ही सेल्टर हाउस के नाम पर बच्चों का यौन शोषण कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी घर में बच्चों के यौन शोषण के आरोप में राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग में सहायक निदेशक रैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार महिलाओं में हावड़ा के पूर्व डिप्टी मेयर की बहू भी शामिल है। सभी 10 आरोपियों को शनिवार को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

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पुलिस कर रही है कार्रवाई

रिपोर्ट के मुताबिक ये घटना हावड़ा की करुणा वेस्ट बंगाल वीमेन एंड चिल्ड्रन वेलफेयर सोसाइटी की है। हावड़ा शहर के पुलिस आयुक्त सी. सुधाकर ने बताया कि “हमें एक महिला से शिकायत मिली, जिसने इस घर से एक बच्चे को गोद लिया था। बच्ची को कुछ समस्याएं थी और उसने विशेष रूप से 10 लोगों के खिलाफ गाली-गलौज और पिटाई की शिकायत की थी। उसके बयान और उसकी मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर हमने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।”

पुलिस आयुक्त ने बताया कि उनके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न की धाराएं और भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि ये सभी गिरफ्तारियां करुणा वेस्ट बंगाल वीमेन एंड चिल्ड्रन वेलफेयर सोसाइटी नाम के हावड़ा घर में बच्चों पर यौन शोषण के आरोपों से संबंधित थी- जहां से बच्चों को गोद लेने की पेशकश की जाती है। पुलिस आयुक्त सुधाकर ने कहा, “हम आगे की जांच के लिए हिरासत में लेने से पहले जेल के अंदर आरोपियों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।”

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राज्य सरकार की सहायता से चल रहे हैं सेल्टर हाउस

बता दें कि पूरे पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त कई सेल्टर हाउस हैं, जहां से बच्चों को “Central Adoption Resource Authority” के माध्यम से गोद लेने की पेशकश की जाती है। नियम के अनुसार सेल्टर हाउस में मौजूद बच्चे, जो या तो अनाथ हैं या उनके माता-पिता द्वारा छोड़ दिए गए हैं, वैसे बच्चों को गोद लेने तक इन सेल्टर हाउस में आधिकारिक तौर पर देखभाल की जाती है। रिपोर्ट के अनुसार हावड़ा शहर पुलिस के पुरुष और महिला दोनों अधिकारियों की एक टीम ने शनिवार की सुबह कई स्थानों पर छापा मारा और नौ महिलाओं सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया।

पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष अनन्या चटर्जी चक्रवर्ती ने कहा कि कोरोना महामारी ने बाल कल्याण समिति और WBCPCR सदस्यों द्वारा इन सेल्टर हाउस के निरीक्षण को बाधित कर दिया है। उन्होंने कहा कि “महामारी ने निरीक्षण करने के तरीके को बदल दिया था। केवल ऑनलाइन निरीक्षण किया गया, लेकिन यह घटना बहुत चिंताजनक है, हम इन लोगों के लिए कड़ी सजा चाहते हैं।”

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। ममता बनर्जी पिछले 15 साल से राज्य की मुख्यमंत्री हैं,  राज्य के गृह मंत्रालय का कमान भी उन्हीं के पास है लेकिन प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति क्या है, यह सर्वविदित है। प्रशासन का काम जनता की रक्षा करना है, जनता की परेशानियों का समाधान निकालना है, उन्हें समाज में सुरक्षित महसूस कराना है, लेकिन जब प्रशासनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों से विमुख होकर खुद ही उपर्युक्त घटनाओं को अंजाम देते हैं, तो स्थिति बदतर होने में समय नहीं लगता। पश्चिम बंगाल के हावड़ा से सामने आए इस मामले की जितनी निंदा की जाए, कम है।

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