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गुजरात हाई कोर्ट ने Bet Dwarka के 2 द्वीपों पर कब्जा जमाने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के सपने को चकनाचूर कर दिया है

कृष्ण नगरी में कैसा हक?

Shashwat Singh द्वारा Shashwat Singh
27 December 2021
in चर्चित
बेट द्वारका टापू

Source- Google

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गुजरात में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका स्थित बेट द्वारिका के दो टापू पर अपना दावा ठोका है। वक्फ बोर्ड ने अपने आवेदन में दावा किया कि बेट द्वारका टापू पर दो द्वीपों का स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है। गुजरात उच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं और इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया।

बेट द्वारका में करीब आठ टापू है, जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं। प्राचीन कहानियां बताती हैं कि भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए मीरा यहीं पर उनकी मूर्ति में समा गई थी। बेट द्वारका के इन दो टापू पर करीब 7000 परिवार रहते हैं, इनमें से करीब 6000 परिवार मुस्लिम हैं। यह द्वारका के तट पर एक छोटा सा द्वीप है और ओखा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। वक्फ बोर्ड इसी के आधार पर इन दो टापू पर अपना दावा जताता है।

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गौरतलब है कि बेट द्वारका टापू हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसमें करीब आठ टापू है, जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं। हालांकि, कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के इस हरकत पर आश्चर्य जताते हुए, उनके दावे को खारिज कर दिया। इस मामले को लेकर हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका को संशोधित करके फिर से दायर करें।‌

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है बेट द्वारका टापू

Kreately नामक एक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार एक स्थानीय हिंदू पुजारी ने खुद दावा किया है कि बेट द्वारका की कुल 10,000 की आबादी में 8,000 मुसलमान हैं। इस द्वीप में मुश्किल से 2000 हिंदू हैं। दरअसल, बेट द्वारका श्री कृष्ण का निवास स्थान था। यह द्वीप अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पाकिस्तान के जल सीमा के बहुत करीब है। ऐसे में विशेषज्ञों द्वारा वक्फ बोर्ड द्वारा बेट द्वारका के टापू पर अधिकार का दावा करना धार्मिक उत्तेजना और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया जा रहा है।

और पढ़े: CM योगी का अनुकरणीय कदम: ‘माफियाओं से जब्त की गई जमीन पर गरीबों के लिए बनेगा मकान’

समुद्र में विलीन हो गई थी द्वारका नगरी

बताते चलें कि महाभारत के 36 साल बाद ही द्वारकापुरी समुद्र में विलीन हो गई थी। 9000 वर्ष पुराना यह उत्कृष्ट नगर 4000 साल पहले समुद्र में समा गया था। पहले माना जा रहा था कि ईसा पूर्व भारत में उच्च कोटि की कोई सभ्यता नहीं रही होगी, लेकिन कार्बन डेटिंग से अब यह स्पष्ट हो गया कि द्वारका 9000 साल पुरानी नगरी है। हिमयुग के बाद जलस्तर 400 फीट बढ़ जाने से इस पौराणिक नगरी के समुद्र में डूबने की बात कही जाती है।

माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने यहां 12 योजन भूमि पर नगर बसाया था। समुद्र की अनंत गहराई में डूबी द्वारका गोमती नदी (गुजरात) व अरब सागर के संगम पर बसी समृद्ध नगरी थी। समुद्र में विलीन हो जाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण बैकुंठधाम चले गए। वर्तमान की बेट द्वारका जहां स्थित है, उसी समुद्र के भाग में प्राचीन नगर बसा था। अब वक्फ बोर्ड द्वारा इसके द्वीपों पर अधिकार के दावे को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। इस मामले पर जमकर सियासत भी हो रही है। हालांकि, गुजरात उच्च न्यायालय ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के इस हरकत पर आश्चर्य जताते हुए उनके दावे को खारिज कर दिया है।

Tags: गुजरात हाई कोर्टबेट द्वारकासुन्नी वक्फ बोर्ड
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