कैसे पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने बड़ी चतुराई से जो बाइडन को जलने भुनने पर विवश कर दिया

मोदी तो मोदी, पुतिन भी सही खेल गए!

भारत पुतिन

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मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वैश्विक स्तर पर भारत की कद में जबरदस्त इजाफा हुआ है। कुछ धूर्त देशों को छोड़ दें, तो दुनिया के लगभग सभी बड़े और मजबूत देशों के साथ भारत का संबंध काफी बेहतर है। भारत गुटनिरपेक्षता के अतीत से बाहर निकल चुका है और अब अपने हितों को देखते हुए दुनिया के दूसरे देशों के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है। भारत दुनिया में अपने लिए जो भूमिका चाहता है, उसे लेकर मोदी सरकार ने हिचक ख़त्म कर दी है। अब भारत न तो अमेरिका की गीदड़ भभकियों से डरता है और न ही अपने दुश्मनों को जवाब देने से पीछे हटता है। मौजूदा समय में भी स्थिति कुछ वैसी ही है, इस बार तो वाक्या ही कुछ ऐसा हुआ है कि भारत से जलने वाले विरोधी देशों की सुलग पड़ी है।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की जबरदस्त केमिस्ट्री

बीते दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मुलाकात की। इसी के साथ भारत और रूस ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों को बढ़ाने के लिए अपनी पहली ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता भी आरंभ की। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी के इस मुलाक़ात से जियो पॉलिटिक्स में भूचाल मच गया है। इससे न सिर्फ पश्चिमी देशों को एक संदेश दिया गया है, बल्कि फोटो शूट और दोनों नेताओं ने जिस तरह से एक दूसरे के व्यक्तित्व की तारीफ़ों के पूल बांधे, उससे इस दोस्ती के विरोधी राजनेताओं को 3rd डिग्री जलन भी दी है।

ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि किसी द्विपक्षीय सम्मेलन के दौरान दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत का मुद्दा व्यक्ति-केन्द्रित होता है। अक्सर ही द्विपक्षीय बातचीत अंतरराष्ट्रीय मुद्दे से लेकर दोनों देशों के सम्बन्धों पर केन्द्रित होता है, लेकिन यह बातचीत कुछ अलग थी। पीएम मोदी और पुतिन की बातचीत के दोनों देशों के सम्बन्धों को बढ़ाने के साथ दोस्ती का एक नया आयाम भी दिया है। राष्ट्रपति पुतिन ने विशेष रूप से शिखर सम्मेलन के लिए ऐसे समय में उड़ान भरी, जब यूक्रेन पर तनाव बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में युद्ध के संभावित खतरे की अटकलें लगाई जा रही हैं।

पीएम मोदी ने की जमकर तारीफ

इस मुलाक़ात के दौरान नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में रूसी राष्ट्रपति की मेजबानी करने वाले पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी दोनों देशों के बीच संबंधों में सेंध नहीं लगा सकती है और दोनों के बीच संबंध मजबूत होते जा रहे हैं। पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में उद्घाटन टिप्पणी करते हुए कहा, “भारत के प्रति आपका प्रेम जगजाहिर है, कोविड और अन्य चुनौतियों के बावजूद, भारत-रूस संबंध हमेशा मजबूत हुए हैं।” उन्होंने कहा कि “COVID द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत-रूस संबंधों के विकास की गति में कोई बदलाव नहीं आया है। हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है।”

पीएम मोदी ने कहा, “मुझे पता है कि पिछले दो वर्षों में यह आपकी दूसरी विदेश यात्रा है। यह हमारे संबंधों के प्रति आपकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। महामारी से जुड़ी तमाम मुश्किलों के बावजूद, आप भारत आ रहे हैं- यह भारत के लिए आपके प्यार की बात करता है। हमारी अत्यधिक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी लगातार बढ़ रही है।”

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उन्होंने आगे कहा, “पिछले कुछ दशकों में, दुनिया ने कई मूलभूत परिवर्तन देखे और विभिन्न प्रकार के भू-राजनीतिक समीकरण उभरे लेकिन भारत और रूस की मित्रता स्थिर रही। भारत और रूस के बीच संबंध वास्तव में अंतरराज्यीय मित्रता का एक अनूठा और विश्वसनीय मॉडल है।” पीएम मोदी ने पुतिन की तारीफ करते हुए कहा कि “इस वर्ष हम भारत और सोवियत संघ के बीच शांति, मित्रता और सहयोग पर 1971 की संधि की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो हमारी रणनीतिक साझेदारी के दो दशक हैं। इसलिए, इस विशेष वर्ष में आपसे मिलकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है, क्योंकि पिछले 20 वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में, हमारी रणनीतिक साझेदारी में सभी उपलब्धियों के पीछे आप ही हैं।”

पुतिन को काफी पसंद है भारत

वहीं, पुतिन ने कहा कि भारत एक समय- परीक्षित सहयोगी और एक विश्व शक्ति है और दोनों देश एक साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं। उन्होंने आगे “हम भारत को एक महान शक्ति, एक मित्र राष्ट्र और एक समय-परीक्षणित मित्र के रूप में देखते हैं। हमारे राष्ट्रों के बीच संबंध बढ़ रहे हैं और मैं भविष्य की ओर देख रहा हूं।”

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, “मैं एक मित्र देश, भारत में वापस आकर बहुत खुश हूं। हम भारत और रूस दोनों में एक-एक करके नियमित रूप से उच्चतम स्तर पर शिखर सम्मेलन आयोजित करते हैं। दुर्भाग्य से, हम पिछले साल महामारी के कारण चूक गए, लेकिन अभी भी भारत आने की हमारी बारी है, और मैं आपको निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूं।” पुतिन ने कहा, “पिछले साल व्यापार में 17% की कमी आई है, इस साल के पहले नौ महीनों में हमने 38% की वृद्धि देखा।” उनका इशारा स्पष्ट तौर पर पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत और रूस के बढ़ते आर्थिक संबंध की ओर था।

पुतिन ने पीएम मोदी के साथ अपने विचारों को समान बताते हुए कहा कि “हम सैन्य-तकनीकी क्षेत्र में इस तरह से काम करते हैं, जैसे किसी और के साथ नहीं करते। हमारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण एजेंडा भी है, जो निश्चित रूप से भारत और रूस दोनों के लिए रुचिकर है।” पुतिन के कहने का मतलब पर्यावरण संबंधी चिंताओं से संबंधित था। दोनों ही नेता इस मुद्दे पर एक समान सोचते हैं और पुतिन के अनुसार यह भारत और रूस दोनों के लिए ही श्रेयस्कर होगा।

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कोविड-19 के बाद पुतिन की दूसरी विदेश यात्रा

बता दें कि 2019 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर मिलने के बाद पुतिन दूसरी बार पीएम मोदी से मिल रहे हैं। कोविड-19 महामारी के बाद पुतिन की यह दूसरी विदेश यात्रा है। उन्होंने जून में जिनेवा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। देखा जाये तो एक तरह से किसी द्विपक्षीय सम्मेलन के लिए पुतिन की यह भारत यात्रा पहली ही मानी जाएगी। इसी से उनके मन में भारत के लिए प्रेम का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पुतिन और पीएम मोदी की इस जोड़ी से अमेरिका के बाइडन प्रशासन सहित रूस से नफरत करने वाले पश्चिमी देशों का जलना निश्चित है। रूस पहले से ही अमेरिका से नाराज रहा है और ऊपर से भारत के S-400 पर बाइडन प्रशासन द्वारा बार-बार अपनी आपत्ति जताने के बावजूद पीएम मोदी का इस तरह से दोस्ती दिखाना पश्चिमी देशों को एक स्पष्ट उत्तर था।

रूसी एफएम सर्गेई लावरोव ने तो AUKUS और इंडो-पैसिफिक आर्किटेक्चर की भी आलोचना की है। वहीं, S400 पर उन्होंने स्पष्ट कहा है कि “यह भारत और रूस के सम्बन्धों को कम करने का अमेरिका द्वारा प्रयास था। हमारे भारतीय मित्रों ने स्पष्ट और दृढ़ता से समझाया कि वे एक संप्रभु देश हैं।” यानी स्पष्ट तौर पर उनके कहने का अर्थ था कि अमेरिका भरात और रूस के बीच सम्बन्धों को खराब करने की कोशिश कर रहा है।

अमेरिका काफी पहले से ही कर रहा दबाव बनाने की कोशिश

गौरतलब है कि जब जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब कुछ दिनों बाद ही खबर आई थी कि बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका भारत पर रूस से S-400 खरीदने पर प्रतिबन्ध लगा देगा। परन्तु, यह 1990 के दशक का भारत नहीं है। ट्रंप सरकार के दौरान भी ऐसी कोशिशें हुई, मगर तब भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए सौदे से पीछे न हटने का संदेश अमेरिका को दे दिया था। बाइडन के सत्ता मे आने के बाद से अमेरिका एक बार फिर से भारत पर दबाव बनाने के लिए धमकी दे रहा था। हालांकि, भारत ने इस धमकी को कोई भाव नहीं दिया और एक कदम भी पीछे नहीं हटाया।

अब इस तरह से अपने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान एक मुद्दे पर आधारित बातचीत से पहले व्यक्ति-केन्द्रित बातचीत कर अमेरिका सहित सभी देशों को यह संदेश दे दिया है कि भारत और रूस कल भी साझेदार थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे। इससे अगर किसी की जलती है तो जले, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।

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