भाग्यनगर (हैदराबाद) – देश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से भारत की पुरातन संस्कृति को फिर से जागृत करने की लगातार कोशिश की जा रही है। एक के बाद एक कर सरकार की ओर से ऐसे कई कदम भी उठाए गए हैं, जिससे देश अपने गौरव को पुन: प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो चला है। दरअसल, हमारे देश पर मुस्लिम आक्रांताओं ने कई सदियों तक राज किया, लोगों को लूटा, धर्मांतरण कराया और यहां तक कि हिन्दू धर्म की पहचान को धूमिल करने का भी पूरा प्रयास किया।
कई शहरों के नाम बदले गए, सड़कों के नाम बदले गए, सनातनियों के धरोहरों पर कब्जा करने का कुत्सित प्रयास किया गया, हिंदू धार्मिक स्थलों पर कब्जा कर उसे मस्जिद या फिर मुस्लिम पंथ के अनुसार बना दिया गया। आजादी के 75 साल बाद अभी भी स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं आया है। हालांकि, भाजपा के सत्ता में आने के बाद भारत को उसकी खोयी हुई पहचान वापस दिलाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसी क्रम में मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा रखे गए कई शहरों का नाम परिवर्तन हुआ है, कई मंदिरों का पुनरुद्धार भी हुआ है।
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सबसे पहले इलाहबाद के नाम को बदलकर प्रयागराज किया और साथ ही फैजाबाद को अयोध्या में बदल दिया था। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कही है।
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भाग्यनगर में RSS की समन्वय बैठक
सबसे पहले हैदराबाद म्युनिसिपल इलेक्शन में चुनाव प्रचार के दौरान यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और फिर गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने का जिक्र किया था। हैदराबाद नगर निगम चुनाव 2020 के दौरान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जा सकता है, तो हैदराबाद का नाम भी भाग्यनगर रखा जा सकता है। दूसरी ओर संघ ने कहा, “इस देश में कई लोग चाहते हैं कि हमारे देश की संस्कृति बहाल हो। इसलिए लोग हमेशा से हैदराबाद को ‘भाग्यनगर’ कहते रहे हैं।”
हाल ही में, आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचारक सुनील आंबेकर ने कहा कि सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे RSS से प्रेरित विभिन्न संगठनों के मुख्य पदाधिकारियों की समन्वय बैठक 5 से 7 जनवरी 2022 तक भाग्यनगर, तेलंगाना में आयोजित की जाएगी। संघ द्वारा यहां हैदराबाद की जगह बार-बार भाग्यनगर का नाम उच्चारित किया गया है, जिससे यह साफ़ पता चलता है कि संघ और भाजपा अब हैदराबाद के नाम को बदलने पर विचार कर रही है।
जगहों को उनके पुराने ऐतिहासिक नामों से पुकारा जाना चाहिए
दरअसल, समन्वय बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और संयुक्त महासचिव शिव प्रकाश और संबद्ध संगठनों के अन्य शीर्ष पदाधिकारी भाग लेंगे तथा भाजपा प्रतिनिधि आने वाले वर्ष के लिए अपने दृष्टिकोण और कार्यक्रमों का विवरण देंगे। आपको बता दें कि बैठक में उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा में आगामी विधानसभा चुनावों और चुनाव में सहयोगी दलों से किसी भी प्रकार की सहायता की व्यापक चर्चा होगी।
वहीं, वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि जगहों को उनके पुराने ऐतिहासिक नामों से पुकारा जाना चाहिए या ऐसे लोगों के नाम से जो मौजूदा पीढ़ी के लिए आदर्श हो। किसी भी देश में आक्रांताओं और लुटेरों के नाम से जगहों का नाम नहीं रखा जाता। हम हैदराबाद को इसलिए भाग्यनगर कहते हैं। हम चाहते हैं कि इसका नाम भाग्यनगर रखा जाए।
भविष्य में हैदराबाद की जगह ‘भाग्यनगर’ से चुनाव लड़ेंगे ओवैसी ब्रदर्स!
बताते चलें कि भाग्यनगर का नाम शाही प्रिय भाग्यमती के नाम पर रखा गया था, जो बाद में कुली कुतुब शाह की पत्नी के रूप में हैदर महल बन गई और इस तरह हैदराबाद का जन्म हुआ। हैदराबाद की स्थापना सन् 1591-92 में मुहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा गोलकुंडा से पांच मील पूर्व में मुसी नदी पर की गई थी, जो कुतुब शाही शासकों की राजधानी थी। मुस्लिम शासक द्वारा रखे गए इस नाम को लगभग 500 साल से ज्यादा हो गए हैं।
गौरतलब है कि संघ और भाजपा के तरफ से हैदराबाद के नाम को भाग्यनगर में बदलने की कवायद से अब स्थानीय ओवैसी ब्रदर्स को मिर्ची लग सकती है! क्योंकि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैैसी हैदराबाद लोकसभा सीट से लोकसभा सांसद है, और उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी स्थानीय विधायक हैं, जो आये दिन अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में बने रहते हैं। अब देखने वाली बात यह है कि आने वाले दिनों में हैदराबाद की राजनीति किस तरफ करवट लेती है। संंघ और भाजपा के हालिया प्रकरण और बयानबाजियों से ये तो साफ हो गया है कि अब ओवैसी बंधु भी ‘हैदराबाद’ की जगह ‘भाग्यनगर’ से चुनाव लड़ते दिखेंगे!
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