‘ATS ने मुझे योगी आदित्यनाथ को फंसाने के लिए कहा था’, मालेगांव बम धमाके के गवाह ने किया खुलासा

हिन्दू आतंकवाद के दावे की निकली हवा!

मालेगांव बम

मालेगांव बम धमाके में हिंदू आतंकवाद की कहानी गढ़ने में, केंद्रीय भूमिका थी। 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में 6 लोगों की मृत्यु हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था। 2017 में मुंबई हाई कोर्ट ने उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए बेल दे दी थी। इस मामले की पृष्ठभूमि में बहुत सी राजनीतिक घटनाएं हो रही थीं और आगे मालेगांव बम धमाके के आधार पर हिन्दू आतंकवाद की कहानी गढ़ी गई थी। यह उस दौर की बात है जब देश के गृहमंत्री खुलेआम संघ की शाखा में आतंकी ट्रेनिंग की बेबुनियादी बातें करते थे। किंतु अब सारी सच्चाई सामने आ रही है कि कैसे कांग्रेस द्वारा हिंदुओं को बदनाम करने के लिए तथा हिंदुत्व की राजनीति करने वाले प्रखर हिंदू नेताओं को कारागार में कैद रखने के लिए षड्यंत्र किया गया।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, “एक गवाह ने विशेष NIA अदालत को बताया कि मामले की तत्कालीन जांच एजेंसी ATS ने उसे प्रताड़ित किया था। उसने अदालत को यह भी बताया कि ATS ने उन्हें योगी आदित्यनाथ और RSS के 4 अन्य लोगों का गलत नाम लेने के लिए मजबूर किया था।”

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपने बयान के दौरान गवाह ने अदालत को बताया कि, “तत्कालीन वरिष्ठ ATS अधिकारी परम बीर सिंह और एक अन्य अधिकारियों ने उन्हें उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, RSS के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, असीमानंद, देवधर और काकाजी का नाम लेने की धमकी दी थी। गवाह ने विशेष NIA अदालत को बताया कि उसे 2008 में महाराष्ट्र ATS ने अवैध रूप से हिरासत में लिया था और प्रताड़ित किया था।  गवाह के अनुसार, उसका बयान 8 नवंबर, 2008 को दर्ज किया गया था, जबकि उसे 28 अक्टूबर से हिरासत में रखा गया था।”

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इस बयान के बाद इस बात को और बल मिला है कि कांग्रेस ने हिंदुत्व की राजनीतिक शक्ति को कुचलने के लिए हिंदू आतंकवाद की कहानी बनाई थी। 1990 के बाद कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। 1999 में अंततः भाजपा, गठबंधन की सहायता से सरकार बनाने में सफल रही।

स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की जीत ने कांग्रेस नींद उड़ा दी थी। संघ का विस्तार बढ़ता देख कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद की पटकथा लिखी। ऐसे नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया जो हिंदुत्व के विस्तार के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे थे।

वास्तविकता यह है कि यदि स्वर्गीय श्री तुकाराम ओंबले ने कसाब को जीवित ना पकड़ा होता तो संभवतः मुंबई हमले की जिम्मेदारी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर डाल दी गई होती। पिछले दिनों मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ पूर्व अधिकारी ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कसाब का मोबाइल फोन जांच एजेंसियों को नहीं सौंपा था। परमबीर सिंह पर लगे आरोप अत्यंत गंभीर थे क्योंकि उन पर इतने बड़े आतंकी हमले के सबूत छुपाने का आरोप है।

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अब इस गवाह ने भी उन्हीं का नाम लिया है। स्पष्ट है कि परमवीर सिंह तथा उनके जैसे कई अन्य पुलिस अधिकारी कांग्रेस के इशारे पर काम करते थे। यदि आरोपों में ज़रा भी सच्चाई है, तो कांग्रेस ने अपने नेक्सस के माध्यम से कई देश विरोधी कार्य किए हैं। हर मामले की कड़ी एक दूसरे से जुड़ी है।

हिन्दू आतंकवाद की कहानी केवल और केवल इस्लामिक आतंकवाद की वास्तविकता को कम करके दिखाने के लिए थी। मालेगांव बम धमाके के झूठे आधार पर हिन्दू आतंकवाद का टैग हिन्दुओं का मनोबल तोड़ देता और उन्हें कभी हिंदुत्व के बैनर तले एकजुट नहीं होने देता। इससे पाकिस्तान से लेकर भारत तक, ISI से लेकर कांग्रेस तक, बहुतों का लाभ होता। यदि इस पूरी तस्वीर को एकसाथ देखें और तब इसकी जांच करें तो इस्लामाबाद से लेकर दिल्ली तक, बहुत से बड़े सूत्र पकड़े जाएंगे।

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