नदियों को जोड़ने की दिशा में भारत ने उठाया पहला कदम

अब सफल होगा अटल का सपना!

नदियों को जोड़ने

केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास के नए दरवाजे खुलेंगे। मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि 44,605 करोड़ रुपये की परियोजना के पूरा होने से क्षेत्र में कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और राज्य को जल संकट से राहत मिलेगी।

केन- बेतवा परियोजना को केंद्र की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केन-बेतवा नदियों को जोड़ने वाली परियोजना के वित्तपोषण और कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी। परियोजना की कुल लागत 44,605 ​​करोड़ रुपये आंकी गई है। कैबिनेट ने परियोजना के लिए 39,317 करोड़ रुपये के केंद्रीय समर्थन को मंजूरी दी है, जिसमें 36,290 करोड़ रुपये का अनुदान और 3,027 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश और पड़ोसी उत्तर प्रदेश में फैले पानी की कमी वाले बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभ होगा। बयान के अनुसार- यह परियोजना प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण को लागू करने के लिए अंतरराज्यीय सहयोग की शुरुआत करती है, तथा नदियों को जोड़कर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि और उपयोगिता हेतु पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।

और पढ़ें:- भारत की आर्थिक वृद्धि में अगले 11 वर्षों में 1.1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान सिर्फ डिजिटल उद्योग से होगा

केन- बेतवा परियोजना के फायदे

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिलों और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को फायदा होगा। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इस कदम से बुंदेलखंड के अतिपिछड़े क्षेत्र में कृषि गतिविधियों को सहायता देकर और रोजगार पैदा करके सामाजिक-आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना इस क्षेत्र से संकटपूर्ण प्रवास को रोकने में भी मदद करेगी।

केन-बेतवा परियोजना में दौधन बांध और दो नदियों को जोड़ने वाली एक नहर के निर्माण के माध्यम से केन नदी से बेतवा नदी में पानी का हस्तांतरण शामिल है।

Source: Indian Express

बयान में कहा गया है कि यह परियोजना 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि की वार्षिक सिंचाई के साथ साथ लगभग 62 लाख की आबादी को पेयजल प्रदान करेगी और 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा करेगी। इसमें कहा गया है कि इस परियोजना को आठ साल में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ लागू होने की उम्मीद है।

और पढ़ें:- सेना को दोष दें, नागालैंड की वर्तमान अवस्था के लिए राजनीति जिम्मेदार है

नदियों को जोड़ने का अटल स्वप्न

नदियों को जोड़ने की योजना पहली बार 2002 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने प्रस्तावित की थी। अब तक यह काम नहीं किया जा सका क्योंकि राज्य जल बंटवारे के अनुबंधों पर मतभेदों को समाप्त करने में विफल रहे और आलसी नौकरशाही द्वारा मंजूरी रोक दी गई। समाचार एजेंसी के अनुसार बताया कि पीएम मोदी ने परियोजना के पहले चरण के लिए व्यक्तिगत रूप से मंजूरी दे दी है, जिससे हजारों मेगावाट बिजली पैदा करने में भी मदद मिलेगी।

केन- बेतवा परियोजना:- मील  का पत्थर

इसी कड़ी में सबसे पहला कदम केन- बेतवा परियोजना के रूप में उठाया गया है। इस परियोजना के तहत उत्तर-मध्य भारत में केन नदी पर एक बांध का निर्माण शामिल होगा, जिसे कर्णावती के नाम से भी जाना जाता है और इसे उथले बेतवा से जोड़ने वाली 22 किलोमीटर (14 मील) की नहर बनाई जाएगी। दोनों नदियाँ पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के विशाल क्षेत्रों से होकर बहती हैं। प्रधानमंत्री को उम्मीद है कि यह परियोजना अन्य प्रस्तावित नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं के लिए एक नमूना बन जाएगी।

265 मील लंबी केन नदी एक टाइगर रिजर्व से होकर बहता है। सरकार ने बांध बनाने के लिए 6.5 प्रतिशत वन रिजर्व को खाली करने की योजना बनाई है, 10 दूरदराज के गांवों के लगभग 2,000 परिवारों को स्थानांतरित कर दिया है। मोदी की कैबिनेट द्वारा  इस परियोजना को अंतिम मंजूरी देना इस बात का प्रमाण है कि सरकार अटल बिहारी वाजपेई के स्वप्नों और भारत के चहुंमुखी विकास के लिए कितनी प्रतिबद्ध है।

Exit mobile version