हजारों अमेरिकियों को ‘कुछ नहीं’ करने के लिए मोटी सैलरी दे रही है भारतीय कंपनी Infosys

ऐसा ही रहा तो जल्द ही गर्त में समा जाएगी यह बेहतरीन IT कंपनी!

INFOSYS

Source- TFIPOST

पिछले कुछ महीनों से Infosys लगातार विवादों में है। पिछले दिनों सरकारी परियोजनाओं को लेकर इस कंपनी की भद्द पिटी थी। कई परियोजनाओं पर कंपनी की एक खराब ट्रैक रिकॉर्ड ने इस विवाद को खूब हवा दी थी। अब कंपनी एक नए विवाद में घिरी है और कारण है अमेरिकी सरकार को खुश करने के लिए अमेरिकी युवाओं की बिना किसी काम के लिए भर्ती करना और उन्हें मोटी सैलरी देना।

दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब अपने कार्यकाल में अमेरिका से नौकरियों को अन्य देशों में आउटसोर्स होते हुए देखा, तब इसे रोकने के लिए उन्होंने एच1-बी वीजा के नियमों को कड़ा कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि वैश्विक कंपनियों को अमेरिका में काम करते रहने के लिए उन्हें अमेरिका में अधिक निवेश करना पड़ा। जिसके लिए इन कंपनियों को बड़ी संख्या में अमेरिकियों की भर्ती करनी पड़ी। The Verge की रिपोर्ट के अनुसार आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी Infosys ने भी अमेरिकी युवाओं की खूब भर्ती की। हालांकि, उनमें से अधिकतर युवाओं का मानना है कि उन्हें मोटी सैलरी मिली, लेकिन उनका काम कुछ नहीं था।

अमेरिका में 10,000 का वादा कर 13,000 नौकरियां पैदा की

रिपोर्ट के अनुसार Infosys ने सितंबर 2020 में घोषणा करते हुए कहा कि वह अगले दो वर्षों में 12,000 अमेरिकी युवाओं को नियुक्त करने की योजना बना रही है, जिससे वहां पांच वर्षों में 25,000 तक भर्ती के टारगेट को पूरा किया जा सके। साल 2017 में, Infosys ने दो साल में 10,000 अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी देने के लिए कहा था, लेकिन इस कंपनी ने अमेरिका में 13,000 नौकरियां पैदा करके उस लक्ष्य को भी पार कर लिया था।

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अमेरिकियों को बेंच पर बैठा कर मोटी सैलरी दे रही है Infosys

द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, जब Infosys के पास अपने ग्राहकों के लिए जरूरत से ज्यादा कर्मचारी होते हैं, तो उनके अतिरिक्त कर्मचारी “बेंच” पर रहते हैं, जहां उन्हें कुछ भी नहीं करने के लिए भुगतान किया जाता है। द वर्ज ने ऐसे कई लोगों के उदाहरण दिए हैं, ऐसे ही ‘बेंच’ पर रहने वाले युवाओं में Josh नामक युवा भी था, जिसने महामारी के कारण वर्क फ्रॉम होम काम किया था। उन्होंने बताया, “मैंने बहुत सारे वीडियो गेम खेल कर समाप्त कर दिया।” हालांकि, उसे कई बार इस तरह फ्री के पैसे पर बुरा भी लगा, लेकिन वे बिल्कुल वैसे ही थे जैसे- आपको कुछ भी नहीं करने के लिए भुगतान मिल रहा है, यह बुरा कैसे हो सकता है? यह एक सपने की नौकरी की तरह लगता है।

अमेरिका में Infosys के एक अन्य कर्मचारी, स्टुअर्ट को Infosys द्वारा एक Business Analyst के रूप में काम पर रखा गया था, जिसने “उसने एक अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भुगतान किया था, ताकि वह यह सीख सके कि कैसे एक Business Analyst बनना है।” फिर भी स्टुअर्ट को तुरंत “बेंच” पर डाल दिया गया। स्टुअर्ट ने कहा, “मेरे पास अब आईटी में नाममात्र का दो साल का अनुभव है, लेकिन मेरे पास निश्चित रूप से दो साल का Business Analyst का अनुभव नहीं है। लोगों को नहीं लगता कि मेरे पास पर्याप्त अनुभव है।”

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क्या अमेरिकी सरकार को खुश करने के लिए कंपनी कर रही है ऐसा?

Infosys की एच-1बी वीजा पर तीन दशक की निर्भरता ट्रम्प प्रशासन के दौरान घेरे में आ गई थी। Infosys के अनुसार, ट्रम्प युग के वीजा प्रतिबंध के दौरान अमेरिका में कंपनी का विस्तार मुश्किल था। फिर भी, अमेरिकियों को रोजगार देना और अमेरिकी सरकार को शांत करना आईटी कंपनी के लिए टैक्स ब्रेक और सब्सिडी लेकर लाया। भले ही अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो चुका है, पर यह कंपनी अमेरिकियों को काम पर रखने की अपनी नीति जारी रख सकती है।

द वर्ज की रिपोर्ट में कहा गया है, इंडियाना में, Infosys के मुख्यालय के कारण सब्सिडी में $101.8 मिलियन मिले, जो राज्य के इतिहास में सबसे बड़े प्रोत्साहन पैकेजों में से एक है। यही नहीं, कनेक्टिकट में, एक प्रस्तावित छोटे 1,000 लोगों के मुख्यालय के कारण कंपनी को सब्सिडी में $14 मिलियन तक प्राप्त हुए, जिसमें सभी 1,000 श्रमिकों को काम पर रखने पर अंतिम राशि मिलने की शर्त थी। इस पर Infosys के अध्यक्ष रवि कुमार ने द वर्ज से कहा, अमेरिका में एक नया प्रशासन होने के बावजूद हम वही कर रहे हैं जो हम कर रहे थे।”

देखा जाए तो Infosys ने अमेरिकी कर्मचारियों को काम पर रखने पर काफी पैसा खर्च किया है। हालांकि, ऐसे कर्मचारियों को काम पर रखने से वास्तव में कंपनी के प्रोफाइल में कोई उत्पादकता नहीं बढ़ी है। अमेरिकियों को काम पर रखने में खर्च किया गया पैसा आदर्श रूप से भारतीय श्रमिकों के पास जाना चाहिए, जो वास्तव में Infosys को अव्वल रखते हैं। Infosys एक मास रिक्रूटर है और दशकों से आईटी क्षेत्र में एक लोकप्रिय नाम रहा है, लेकिन जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं, ऐसा लगता है कि Infosys अब रसातल की ओर बढ़ चली है।

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