ISRO दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है और इसने विश्व में भारत का कद एक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में बढ़ा दिया है। स्पेस के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करने वाला ISRO अब देश के विदेशी मुद्रा भंडार को भी भरने में मदद कर रहा है। पिछले 3 वर्षों के दौरान 10 मिलियन यूरो की कमाई करने वाला ISRO अब अगले तीन वर्षों के दौरान अन्य 4 देशों के उपग्रहों को स्पेस में भेज कर 132 मिलियन यूरो यानी 1139 करोड़ रुपये की कमाई करेगा।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बीते दिन गुरुवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वर्ष 2021-2023 के दौरान विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए चार देशों के साथ छह समझौतों पर हस्ताक्षर किया है। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सिंह ने बताया कि इन विदेशी उपग्रहों को व्यावसायिक आधार पर लॉन्च करने से लगभग 132 मिलियन यूरो का राजस्व प्राप्त होगा।
जितेंद्र सिंह ने कहा, “ISRO अपनी वाणिज्यिक शाखा, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), अंतरिक्ष विभाग (DoS) के तहत भारत सरकार की एक कंपनी के माध्यम से, अन्य देशों से संबंधित उपग्रहों को एक वाणिज्यिक आधार पर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (PSLV) से लॉन्च कर रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि NSIL ने 2021-2023 के दौरान PSLV पर अंतरिक्ष में विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए चार देशों के ग्राहकों के साथ छह लॉन्च सेवा समझौतों पर हस्ताक्षर किया है।
ISRO ने 1999 से अभी तक 342 विदेशी उपग्रहों को किया है लॉन्च
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) भारत सरकार का एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) होने के साथ-साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा है। इसे 6 मार्च 2019 को अंतरिक्ष विभाग (DoS) और कंपनी अधिनियम 2013 के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत स्थापित किया गया था। NSIL का मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उद्योग की भागीदारी को बढ़ाना है।
राज्यसभा में इसी तरह के एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 12 Student Satellites सहित कुल 124 स्वदेशी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है। साथ ही वर्ष 1999 से अब तक कुल 342 विदेशी उपग्रह भेजे गए हैं, जो 34 देशों से संबंधित हैं। इन सभी को व्यावसायिक आधार पर PSLV से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय प्रक्षेपण यान पर विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के माध्यम से, भारत ने 2019 से 2021 के बीच पिछले 3 वर्षों के दौरान लगभग 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 10 मिलियन यूरो का विदेशी मुद्रा राजस्व अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय लॉन्च व्हीकल के माध्यम से लॉन्च किए गए विदेशी उपग्रहों में मुख्य रूप से पृथ्वी अवलोकन, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उद्देश्यों के लिए उपग्रह शामिल हैं।
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अंतिम चरण में है लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान का विकास
उच्च सदन में एक लिखित उत्तर में जितेंद सिंह ने कहा कि लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV या मिनी-PSLV) का विकास अंतिम चरण में है और SSLV की पहली विकासात्मक उड़ान साल 2022 की पहली तिमाही के दौरान लक्षित है। SSLV 500 किग्रा की पेलोड क्षमता प्रदान करेगा और 500 किमी की ऊंचाई की कक्षा तक उपग्रह लॉन्च कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने परियोजना के लिए कुल 169 करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी है, जिसमें तीन उड़ानों (SSLV-D1, SSLV-D2 और SSLV-D3) के माध्यम से वाहन प्रणालियों के विकास और योग्यता प्रदर्शन शामिल हैं।
वहीं, एक दिन पहले उन्होंने लोकसभा को सूचित किया था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान कुल 27 उपग्रह मिशन और 25 प्रक्षेपण यान मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन प्रक्षेपणों के अलावा तीन प्रौद्योगिकी प्रदर्शकों, स्क्रैमजेट इंजन, पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान और चालक दल से बचने की प्रणाली के लिए एक परीक्षण का भी सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।
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ISRO ने विश्व पटल पर ऊंचा किया है भारत का नाम
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO ने हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की निजी नवाचार कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। ISRO ने कहा कि स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी को विभिन्न ISRO केंद्रों पर उपलब्ध कई परीक्षण और तकनीकी सुविधाओं की अनुमति दी गयी है और इसके साथ-साथ कंपनी अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहन प्रणालियों और उप प्रणालियों के परीक्षण और योग्यता के लिए ISRO की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ भी उठा सकती है।
देखा जाए तो ISRO ने पिछले कुछ वर्षों में भारत का नाम विश्व के कोने-कोने में ऊंचा किया है। राष्ट्र के तौर पर हमें सर्वदा स्मरण रखना चाहिए की राष्ट्र उन्नति और राष्ट्र रक्षण का मार्ग अंतरिक्ष प्रौद्यौगिकी और तकनीक से होकर गुजरता है। ISRO नें इस सिद्धान्त को सहस्त्रों बार स्थापित किया है। चाहे किसी यान का प्रक्षेपण हो या फिर किसी उपग्रह का स्थापन, इस गौरवशाली संस्थान ने हमेशा राष्ट्र का मस्तक ऊंचा किया है। ISRO के परियोजनाओं का लाभ भारत को कृषिभूमि से लेकर रणभूमि तक मिला है। अब ISRO देश के विदेशी मुद्रा भंडार को भी बढ़ाने में मदद कर रहा है।