दूर किसी वन में, ऋषि शौनक ने महर्षि सूत से पूछा, “हे परमप्रतापी महाज्ञानी सूतजी, ऐसा कौन है, जिसके शब्दबाणों का कोई तोड़ नहीं? ऐसा कौन है, जिसके श्राप की औषधि स्वयं नारायण के पास भी नहीं?” ब्रह्मतेज से दमकते महर्षि सूतजी के मुख से इतना ही निकला, “हे वत्स शौनक! पृथ्वी लोक पर एक ऐसा प्राणी है, जिसके शब्दबाण अचूक है, अभेद्य हैं। जंबुद्वीप में इसके समक्ष कोई नहीं टिक सकता, न महर्षि शुक्राचार्य और न ही आपके पूर्वज महर्षि भृगु। इनका क्रोध तो महर्षि दुर्वासा से भी प्रचंड है, और इनके श्राप का तोड़ तो महादेव के पास भी नहीं। इनका नाम है जया भादुडी बच्चन और यह राज्यसभा की कुटिया में विराजमान है...”
कल ऐश्वर्या राय बच्चन को पनामा पेपर्स के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए बुलाया । पनामा पेपर्स 2016 में आया एक बहुत बड़ा तहलका था, जिसके अनुसार कई महत्वपूर्ण हस्तियों पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगा था। इसमें बच्चन परिवार का भी नाम शामिल था, और इसीलिए प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए ऐश्वर्या राय बच्चन को बुलाया। परंतु इससे जया बच्चन को ऐसा आघात पहुंचा कि उन्होंने मोदी सरकार को श्राप देना प्रारंभ कर दिया।
हम मज़ाक नहीं कर रहे, राज्यसभा में इस बारे में उल्लेख करते हुए उन्होने कहा, “डूबते जहाज का क्या होता है? सबसे पहले कौन दौड़ता है? ठीक यही यहां हो रहा है। वे (भाजपा) यूपी चुनाव से डरे हुए हैं।”
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जया बच्चन आगे बोली, “मैं श्राप देती हूँ कि उनके बुरे दिन जल्द ही शुरू होंगे। हम आपसे क्या उम्मीद रख सकते हैं? क्या चल रहा है? ऐसे कई मुद्दे हैं जिसे लेकर हम एक बिल पर चर्चा कर रहे हैं जो सरकार की ओर से अपनी गलतियों को ठीक करने के लिए लाया गया है…आप गला घोंट दीजिए हम सबका।”
परंतु हम किनसे शिष्टाचार की आशा कर रहे हैं? उनसे, जिन्होंने अपने ही उद्योग के एक सदस्य द्वारा पारदर्शिता लाने के विषय पर उसे अपमानित किया और उसे विश्वासघाती सिद्ध करने का प्रयास किया? जी हाँ, स्मरण कीजिए उस समय को, जब पिछले वर्ष बॉलीवुड में ड्रग्स प्रकरण के बाद भाजपा सांसद रवि किशन ने बॉलीवुड को इस दलदल से बाहर निकालने की बात कही थी, और तब जया बच्चन ने कुछ यूं कहा था, “इस ड्रग्स मामले के जरिए बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। एक सांसद ने बॉलीवुड को लेकर बयान दिया, जबकि वे स्वयं उसी इंडस्ट्री से हैं। यह शर्मनाक हैं, जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं, ये गलत है!”
वास्तव में एक पूछताछ के लिए राई का पहाड़ बनाकर जया बच्चन ने केवल अपनी और अपने परिवार की भद्द पिटवाई है। न वे कोई मधुबाला है, जिनके व्यक्तित्व को लेकर युगों युगों तक चर्चा हो, और न ही वे सुचित्रा सेन या वहीदा रहमान है, जिनके अभिनय के लिए उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की जाए। जया बच्चन ने अपने ओछे बयानों से अपने विचारों को एक बार फिर जगजाहिर किया है, जिसके लिए किसी भी प्रकार की निन्दा कम ही पड़ेगी।
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