धर्मांतरण कराने पर 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ 10 साल तक की जेल हो सकती है
आरोपी व्यक्ति के ऊपर ही यह ज़िम्मेदारी होगी कि वह यह साबित करे कि धर्म परिवर्तन स्वैच्छिक था न कि बलपूर्वक
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अनुच्छेद 25 के तहत ‘प्रचार के अधिकार’ में किसी अन्य व्यक्ति को परिवर्तित करने का अधिकार शामिल नहीं है
देश में बढ़ते लव जिहाद और धर्मांतरण गतिविधियों को देखते हुए कई राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आ रहे हैं। इसी क्रम में कई महीनों से कर्नाटक की बीजेपी सरकार भी कवायद कर रही थी और अब इस कानून का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्नाटक के प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी बिल में 10 साल तक की कैद का सुझाव दिया गया है और उस व्यक्ति पर Burden of Proof रखा गया है, जो बलपूर्वक या जबरदस्ती से धर्मांतरण कराएगा।
शीतकालीन सत्र के दौरान कर्नाटक विधानसभा में पेश हो सकता है यह बिल
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार इस विधेयक का उद्देश्य “गलत बयानी, बलपूर्वक, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण को रोकना है।” कर्नाटक की भाजपा सरकार इस विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान कर्नाटक विधानसभा में पेश करने पर जोर दे रही है। रिपोर्ट के अनुसार बीते बुधवार को देर रात हुई विधायक दल की बैठक में भाजपा ने यह निर्णय लिया कि मौजूदा सत्र के दौरान सदन में प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाएगा।
प्रस्तावित विधेयक के तहत धर्मांतरण के अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। लगभग 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ कारावास तीन साल से कम नहीं होगा, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। खास बात यह है कि नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को धर्मांतरण कराने पर 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ 10 साल तक की जेल हो सकती है।
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Burden of Proof धर्मांतरण कराने वाले व्यक्ति के ऊपर
रिपोर्ट के अनुसार आरोपी व्यक्ति के ऊपर ही यह ज़िम्मेदारी होगी कि वह यह साबित करे कि धर्म परिवर्तन स्वैच्छिक था न कि बलपूर्वक। इसके अलावा, बिल में अभियुक्तों को 5 लाख रुपये तक मुआवजे के रूप में भुगतान करने का प्रावधान है, जिन्हें धर्मांतरण के लिए निशाना बनाया गया था। इस मसौदे के अनुसार, अगर व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन के मकसद से ही शादी या निकाह करने का प्रयास किया है, तो फैमिली कोर्ट या न्यायिक अदालत उस निकाह या विवाह को अमान्य घोषित कर सकती हैं।
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार इस कानून के लागू होने के बाद अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे जिलाधिकारी को दो महीने पहले नोटिस देना होगा। वहीं, धर्म परिवर्तन कराने वाले को एक महीने पहले नोटिस देना अनिवार्य होगा। रिपोर्ट के अनुसार जिलाधिकारी को धर्म परिवर्तन की वास्तविक मकसद (Motive) का पता करने के लिए पुलिस के जरिए मामले की जांच करना आवश्यक है। अगर व्यक्ति ने अधिकारियों को जानकारी नहीं दी, तो इसके बाद धर्म परिवर्तन करने वाले को 6 महीने से 3 साल और परिवर्तन कराने वाले को 1 से 5 साल तक की सजा हो सकती है।
धर्मांतरण की पुष्टि होने के बाद जिलाधिकारी को राजस्व अधिकारियों, सामाजिक कल्याण, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और अन्य विभागों को सूचित करना होगा। न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार अगर एक दलित जो धर्म परिवर्तन करता है, तो उसे अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्य के रूप में मिलने वाले लाभों को छोड़ देना चाहिए। लोग धर्म बदल लेते हैं और फिर बाद में आरक्षण का लाभ भी लेते हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि ऐसे गतिविधियों को दूर करके धार्मिक समानता की नींव रखी जाए।
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उल्लंघन करने वाली संस्था का रद्द हो सकता है पंजीकरण
विधेयक में कहा गया है कि प्रस्तावित कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली कोई भी संस्था या संगठन सरकार से किसी भी तरह की वित्तीय सहायता या अनुदान के लिए पात्र नहीं होंगे। यानी कानून के उल्लंघन पर ऐसे संस्थानों के पंजीकरण रद्द किए जा सकते हैं। बिल में कहा गया है कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत सभी व्यक्ति अपनी पसंद के किसी भी धर्म को मानने, उसका पालन करने या प्रचार करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, इस बिल में स्पष्ट कहा गया है कि “…सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अनुच्छेद 25 के तहत ‘प्रचार के अधिकार’ में किसी अन्य व्यक्ति को परिवर्तित करने का अधिकार शामिल नहीं है।”
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में राज्य में जबरदस्ती, बलपूर्वक, धोखाधड़ी के साधनों और सामूहिक रूपांतरण के माध्यम से धर्मांतरण के कई उदाहरण देखे गए हैं। जिसके बाद राज्य की बीजेपी सरकार ऐसे मामलों के रोकथाम के लिए अपनी तैयारी को अंतिम स्वरुप देने में लग गई है। कर्नाटक के गृह मंत्री के अनुसार लव जिहाद भी धर्मांतरण विरोधी विधेयक का हिस्सा होगा। उनका कहना है कि सरकार अलग विधेयक पर विचार कर रही थी, लेकिन अगर यह बिल इस मुद्दे को कवर करता है, तो यह आवश्यक नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार ने कुछ दिनों पहले राज्य में चर्चों और पादरियों के ‘सर्वेक्षण’ का आदेश दिया था। अब इस कानून के जरिए कर्नाटक भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की श्रेणी में आ जाएगा, जिन्होंने धर्मांतरण के लिए कानून बना कर पहले ही लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने का प्रयास आरंभ कर दिया है।