कर्नाटक में सरकारी कब्जे से छूटेंगे मंदिर, ट्रस्ट के हाथ में आएगी बागडोर

कर्नाटक के CM देने जा रहे हैं हिंदुओं को सौगात!

कर्नाटक हिन्दू मंदिर

कर्नाटक में अब हिन्दू मंदिर नहीं रहेंगे सरकारी नियंत्रण में, CM Bommai लाएंगे मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए एक महत्वपूर्ण विधेयक। चौंक गए आप भी? परंतु ये मिथ्या नहीं, शत-प्रतिशत सत्य है, क्योंकि कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई ने एक क्रांतिकारी निर्णय लिया है, जो भारत का इतिहास बदल देगा।

हाल ही में कर्नाटक सरकार ने एक क्रांतिकारी निर्णय में धर्मांतरण गिरोह पर करारा प्रहार करते हुए Anti Conversion Bill पारित करवाया। इसके अंतर्गत अवैध धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर एक लाख रुपये का जुर्माना और दस वर्ष कारावास का प्रावधान है। लेकिन मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई इतने पर रुकने को तैयार नहीं है। हाल ही में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने हेतु एक विधेयक तैयार कर चुकी है, जिसे बजट सत्र से पूर्व ही पेश किये जाने की पूरी-पूरी आशा है।

जी हाँ, आपने सही सुना। कर्नाटक सरकार मंदिर नियंत्रण ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि बड़ा ऐलान करते हुए कर्नाटक के हिन्दू मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने का निर्णय लिया है। राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ आए बिल के लिए वहाँ की भाजपा सरकार पहले से ही चर्चा में है। अब राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि हिन्दू मंदिरों को लेकर जो ताज़ा कानून हैं, उनमें अगले बजट के दौरान बदलाव किया जाएगा।

वर्तमान अधिनियमों के अनुसार मंदिरों को अपने विकास के लिए अपनी आय का उपयोग करने के लिए सरकारी की अनुमति लेनी होती है, और यह पूरे भारत की कथा है, केवल कर्नाटक की नहीं। स्वयं मुख्यमंत्री बोम्मई ने स्वीकार किया कि हिन्दू मंदिर फ़िलहाल अलग-अलग सरकारी नियम-कानून के दायरे में हैं, जिसके द्वारा उन पर सरकार का नियंत्रण है। इसीलिए उन्होंने ऐलान किया बजट सत्र से पहले ही हिन्दू मंदिरों को इन पाबंदियों से मुक्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाएजाएँगे। यहाँ मंदिरों को स्वतंत्रता से संचालन के लिए सुविधा दी जाएगी और केवल अधिनियम ही रहेंगे।

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लेकिन CM बोम्मई वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे बताया कि अन्य पंथों के धर्मस्थल अलग कानून के हिसाब से सुरक्षित हैं और उन्हें स्वतंत्रता से संचालन की अनुमति है। धर्मांतरण के विरुद्ध बिल सिर्फ एक कानून ही नहीं बनेगा, बल्कि इसे ठीक से लागू करने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का भी गठन किया जाएगा।

अभी हाल ही में कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्दारमैया ने घोषणा की है कि अगर राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार बनती है तो उसके एक महीने के भीतर ही इस धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द कर दिया जाएगा, जिसका अनुमोदन डीके शिवकुमार ने भी किया। इसपे सीएम बोम्मई ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सिद्दारमैया का सपना कभी पूरा नहीं होगा, क्योंकि कॉन्ग्रेस सत्ता में आएगी ही नहीं।

सीएम बोम्मई ने ये भी बताया है कि कोप्पल जिले में स्थित पवनपुत्र हनुमान के जन्मस्थल अंजनाद्रि पहाड़ी और मंदिर का विकास भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होगा, और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। ऐसे में 14 वीं शताब्दी की भांति एक बार फिर कन्नड़ भूमि भारत के सांस्कृतिक पुनरुद्धार का केंद्र बनेगी, और सीएम बोम्मई ने अपने क्रांतिकारी निर्णय से स्पष्ट किया है कि भारत का नाम कभी मिट्टी में न मिल पाए।

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