कोहली की टेस्ट बल्लेबाजी उनके ‘विनाश’ का सूचक है

भाई को क्रिकेट छोड़कर सबकुछ करना है!

विराट कोहली टेस्ट

क्रिकेट में विराट कोहली के प्रदर्शन को देखकर एक ही बात कही जा सकती है और वो यह है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे! यह बात कोहली के प्रशंसकों को कड़वी लग सकती है किन्तु यह सत्य है। इसे छुपाया नहीं जा सकता है। 33 वर्षीय विराट कोहली को पिछले एक दशक में विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक माना जाता है, जिन्होंने भारत के लिए सभी प्रारूपों में अपना दबदबा कायम रखा लेकिन क्रिकेट से मिली चमक-धमक और शोहरत को वह पचा नहीं पाए। पैसा, मीडिया, प्रचार ने उनके भीतर के प्रतिभा और इच्छाशक्ति को मार दिया। यह बात केवल हम नहीं बोल रहे हैं अपितु श्रीलंका के लोगों का भी यही मानना है। हाल के दिनों में, विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन चिंताजनक रहा है।

‘विराट’ से ‘सूक्ष्म’ होता कोहली का क्रिकेट करियर  

हाल ही में, 4 दिसंबर को भारत और न्यूज़ीलैण्ड टेस्ट मैच के दौरान विराट कोहली शुन्य के स्कोर पर पवेलियन लौट गए थे, उनके इस बेकार प्रदर्शन के कारण उनपर सवालों की बौछार होने लगी। वहीं, श्रीलंका के डेनियल अलेक्जेंडर ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “01 जनवरी 2020 से विराट कोहली का टेस्ट औसत 23.94 (10 टेस्ट, 17 पारी, 407 रन) है। कोहली ने अपनी पिछली 49 पारियों में एक भी अंतरराष्ट्रीय शतक नहीं बनाया है, आखिरी अंतरराष्ट्रीय शतक 23 नवंबर 2019 को भारत में शाकिब-लेस बांग्लादेश के खिलाफ था। अब तक का सबसे ओवर रेटेड क्रिकेटर। #क्रिकेट”

 

यह बात एक भारतीय क्रिकेट प्रेमी और कोहली प्रसंशक होने के नाते कितनी भी बुरी लगे लेकिन हकीकत यही है कि विराट कोहली को अब क्रिकेट से सन्यास ले लेना चाहिए क्योंकि उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करना अब बेवकूफी होगी। इससे पहले आप कोहली के पक्ष में बयानों की सूची तैयार करने लगें, उससे पहले एक बात आपको बता दें कि तथ्य को भावनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

आपको बताते चलें कि साल 2019 की शुरुआत से विराट कोहली अब तक 21 टेस्ट मैचों में कुल 1,211 रन बनाने में सफल रहे हैं। Espncricinfo द्वारा प्रदर्शित आकड़ों के अनुसार, उन्होंने साल 2019 में 612 रन, 2020 में 116 और 2021 में महज 483 रन बनाए हैं। वहीं, 2019 में उनका औसत 68.00 था, जो कि प्रभावशाली स्तर पर था। साल 2020 में यह औसत गिरकर 19.33 हो गया और वर्तमान में यह 28.41 पर अटक गया है। अपने इस बेकार प्रदर्शन के साथ ही, कोहली ने अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय शतक नवंबर 2019 में बनाया था। अपने समर्थकों के बीच कोहली का इस तरह का प्रदर्शन देखना थोड़ा अवास्तविक प्रतीत होता है, किन्तु यह आकड़ें सत्य हैं।

ऐसा था कोहली के करियर का स्वर्णिम काल

विराट कोहली ने साल 2011 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद से भारत के लिए कुल 97 टेस्ट मैच खेले हैं और 51.08 की औसत से कुल 7,801 रन बनाए हैं, जिसमें कुल 27 शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं। साल 2016 और 2018 के बीच कोहली अपने सबसे बेहतरीन फॉर्म में थे और दुनिया भर में शतकों का ढेर लगा रहे थे। उनके इस फर्म की सहराना क्रिकेट जगत के बड़े दिगज्जों ने भी की। Cricmetric की रिपोर्ट के अनुसार, इन तीन वर्षों में, कोहली ने कुल 25 टेस्ट मैच खेले और साल 2016 में 75.33 के औसत से, साल 2017 में 75.64 और साल 2018 में 55.08 के औसत के साथ 4,181 रन बनाए।

टेस्ट मैचों में रहा है कोहली का ख़राब औसत

गौरतलब है कि किंग कोहली का जनवरी 2020 से टेस्ट बल्लेबाजी का औसत 26 के आसपास है। वहीं, विदेशों में खेले गए मैचों में कोहली के आकड़ें एक और भयावह चिंता को उजागर करते हैं। पिछले साल दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट में 74 रनों की अपनी पारी को छोड़कर, कोहली ने साल 2020 की शुरुआत के बाद से टेस्ट में शेष पांच पारियों में से किसी में भी 20 से अधिक रन नहीं बनाए हैं। ऐसे में, साल 2020 के बाद से कोहली का बैटिंग औसत तेजी से नीचे जा रहा है। विदेशों में होने वाले टेस्ट मैचों में कोहली का औसत 19.33 है, जो कि 250 गेंद या उससे अधिक का सामना करने वाले 63 बल्लेबाजों में सबसे कम है।

उम्मीद है..कोहली वापस अपने विराट रुप में आयेंगे

लिहाजा, विराट समर्थकों ने एक लंबे समय तक झूठ का महिमामंडन किया है लेकिन हकीकत यह है कि उन्हें अब टीम से बाहर होने की आवश्यकता है। विशेष तौर पर उन्हें अपने प्रदर्शन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसी सन्दर्भ में, “TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए कहा “उसे टीम से बाहर कर देना चाहिए। उसे रणजी खेलना चाहिए, और अगर स्वास्थ्य, रूप और भाग्य उसे अनुमति देता है तो वापसी करनी चाहिए।”

ऐसे में, अब विराट कोहली को अपने प्रदर्शन को लेकर गहन चिंतन करने की आवशयकता है। साथ ही, उनपर भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की जिम्मेदारी भी है, जो कहीं न कहीं उनके खेल को प्रभावित कर रही है यहां एक सवाल उठाना लाजमी है कि क्या विराट कोहली को टीम इंडिया की कप्तानी छोड़ अपने करियर पर ध्यान देने की जरुरत है? कोहली के प्रसंशको के लिए यह थोडा अटपटा सवाल जरुर हो सकता है किन्तु उम्मीद यही जताई जा सकती है कि कोहली वापस अपने विराट रुप में आयें।

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