पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जहां आतंक को पनाह दिया जाता है। यह विश्व के उन देशों में शामिल है, जहां मानवता की हत्या हो चुकी है। आतंकी गतिविधियों के कारण पाकिस्तान की पूरी विश्व में जगहसाई हुई है। विश्व के तमाम देश जब अपने लोगों के लिए शिक्षा, रोजगार की बात करते हैं, तो वहीं पाकिस्तान जैसा देश चरमपंथ और आतंकी संगठन पर अधिक खर्चा करता है, जिसके कारण पाकिस्तान बहुत सारे वैश्विक प्प्रतिबंध भी झेल रहा है।
वर्तमान में, पाकिस्तान फिर अपने कुकृत्य के लिए चर्चाओं में है, जिसका प्रमुख कारण है कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक संगठन पाकिस्तान के गुस्साए समर्थकों ने बीते शुक्रवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक कारखाने पर हमला किया और इन समर्थकों ने एक श्रीलंकाई नागरिक की पीट-पीट कर हत्या कर दी, जिसके बाद उसके शरीर को आग के हवाले कर दिया।
पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने श्रीलंकाई नागरिक को मौत के घाट उतारा
दरअसल, श्रीलंका के एक नागरिक “श्री कुमारा ने कथित तौर पर कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) का एक पोस्टर फाड़ दिया, जिसमें कुरान की आयतें लिखी हुई थीं और उसे कूड़ेदान में फेंक दिया। इस्लामिक पार्टी का पोस्टर कुमारा के कार्यालय से सटी दीवार पर चिपकाया गया था। फैक्ट्री के कुछ कर्मचारियों ने उन्हें पोस्टर हटाते हुए देखा और फैक्ट्री में बात फैला दी और ईशनिंदा की घटना से आक्रोशित सैकड़ों लोग फैक्ट्री के बाहर आसपास के इलाकों से जमा होने लगे।
उनमें से ज्यादातर तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ता और समर्थक थे। भीड़ ने संदिग्ध (श्रीलंकाई नागरिक) को कारखाने से खींच लिया और उसे गंभीर रूप से प्रताड़ित किया। गंभीर रूप से प्रताड़ित होने के कारण उसने वहीं दम तोड़ दिया फिर भीड़ ने पुलिस के सामने उसके शरीर को जला दिया। इसके बाद पूरे विश्व में पाकिस्तान की धज्ज्जिया उड़ने लगी, जिससे पाकिस्तान की इमरान सरकार बैकफुट पर आ गई। हालांकि, मामले को देखते हुए इसकी गंभीर जांच के आदेश दिए गए थे।
और पढ़े: पाकिस्तान में ‘ईशनिंदा’ से गुस्साई भीड़ ने की हैवानियत की सभी हदें पार
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का शर्मनाक बयान
इस बीच इस जघन्य मुद्दे को लेकर पाकिस्तान सरकार की तरफ से बचकाना हरकत की गई है, जहां पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परवेज़ खट्टक ने पिछले हफ्ते सियालकोट में एक श्रीलंकाई व्यक्ति की जघन्य भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने का एक अजीब औचित्य पेश किया है। उन्होनें अपने एक वक्तव्य में कहा कि “जब युवा भावुक हो जाते हैं, तो हत्याएं होती हैं, त्रासदी को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पर प्रतिबंध में ढील देने के इमरान सरकार के फैसले से संबंधित नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि “ऐसे लोग थे, जो इस्लामी आस्था से प्रभावित थे, युवा और वयस्क दोनों। नारेबाजी करते हुए दावा किया कि यह ईशनिंदा है। वे गुस्से में थे और उसकी हत्या कर दी। इसका मतलब यह नहीं है कि समाज (सामाजिक ताना-बाना) बिखर गया है।” इस मामले को लेकर पाकिस्तान सरकार ने दावा किया कि अब तक हिरासत में लिए गए 118 लोगों में से 13 प्रमुख संदिग्धों के साथ, लगभग 800 व्यक्तियों पर आतंकवादी धाराओं का केस हुआ है क्योंकि इमरान खान सरकार पर दोषियों को न्याय दिलाने के लिए दबाव बढ़ गया था।
ऐसे में, पाकिस्तान जहां ईशनिंदा को मौत की सजा दी जाती है और इस देश में ईशनिंदा के आरोपियों पर भीड़ की हत्याएं काफी प्रचलित है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के इस तरह के बेहूदा बयान सामने आने के बाद से यह प्रतीत होता है कि वहां हत्या और आतंकवाद कोई गंभीर मुद्दा नहीं है। यहां एक बात स्पष्ट होती है कि पाकिस्तान सरकार ऐसे मुद्दों पर कड़ी कारवाई करने की बजाये दोषियों के पक्ष में बोलती नज़र आ रही है, इसी का परिणाम है कि पाकिस्तान सरकार में आतंकियों की संलिप्ता है।