आज के समय में भारत की अखंडता को जिस नेता से सबसे ज्यादा खतरा है, तो वो ममता बनर्जी हैं। यह कोई कपोल कल्पित बयान नहीं बल्कि इसके पीछे तार्किक कारण हैं। कारण ये है कि ममता बनर्जी एक अत्यंत लोभी, हिन्दू विरोधी और तानाशाही प्रवृति की राजनेता हैं। इसकी बानगी हम लोगों ने बंगाल विधानसभा चुनाव में देखी, जहां सत्ता पाने के लिए ममता ने अवैध रोहिङ्ग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरण तक दे दी। जमीन देकर उन्हें बसाया। उन्हें नागरिक अधिकार और सुविधा उपलब्ध कराई।
इतना ही नहीं अपितु इतने बड़े पैमाने पर ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टीकरण और जनसंख्या परिवर्तन किया कि अकबरुद्दीन तक की दाल नहीं गल पाई। ममता खुद भले चुनाव हार गईं किन्तु मुस्लिमों के बल पर सरकार बनाई और फिर हिंदुओं को सबक सिखाने लिए मुस्लिमों के बल पर नरसंहार करवाया और अब वो इसी कट्टर इस्लामिक चरमपंथ को वोट बैंक बनाकर देश जीतना चाहती हैं।
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ममता अपने मुह मियां मिट्ठू बनी घूम रहीं हैं!
इस कड़ी में ममता बनर्जी ने सभी राष्ट्रविरोधी तत्वों और साथ-साथ दलबदलू और सत्तालोलुप नेताओं का आवाहन कर दिया है। इसमें मुख्यतः कांग्रेस-भाजपा से दरकिनार नेताओं के अलावा राष्ट्रविरोधी तत्व शामिल हो रहे हैं। इन्हीं घुसपैठियों के बल पर ममता त्रिपुरा के पंचायत चुनाव में उतरी, जहां उन्हे मुंह की खानी पड़ी। परंतु, मुस्लिमों की एकजुटता और राष्ट्रविरोधी तत्वों के समर्थन ने उनमें ऐसा अहंकार भरा की, अब वो बंगाल को अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को सौंप दिल्ली की गद्दी पर काबिज होना चाहती हैं। इसी क्रम में ममता अब मुंबई के तीन दिवसीय यात्रा पर निकली हैं, जहां वो महाविकास आघाड़ी के नेताओं के साथ-साथ स्वरा भास्कर और मुन्नवर जैसे तथाकथित कलाकारों से मिल रही हैं।
कहावत है कि ‘अधजल गगरी छलकत जाये।’ ममता की हालत कुछ ऐसी ही है। कोई बड़ा दल उनको भाव नहीं दे रहा है, बस खुद मुह मियां मिट्ठू बनी घूम रहीं हैं। अब उनके तीन दिवसीय मुंबई दौरे को ही ले लीजिये। उनके Meet and Greet कार्यक्रम में ले देकर स्वरा-मुन्नवर जैसे 2-4 बेरोजगार कलाकार ही पहुंचे, जिन्होंने अपने बेरोजगारी का रोना रोकर TMC में एंट्री देने की गुहार लगाई। वहीं, बंगाल के Ambassador शाहरुख खान अपने व्यस्तता का बहाना बनाकर ममता से नहीं मिले।
ममता को बंगाल की कम देश की ज्यादा चिंता है!
जहां तक महाविकास आघाड़ी सरकार के नेताओं की बात है, तो सिर्फ शरद पवार ने समय दिया और उद्धव ने तो अपने उत्तराधिकारी के तौर पर बेटे अदित्य को भेज दिया। प्रशांत किशोर जैसे तथाकथित राजनीतिक रणनीतिकारों ने ममता के मन में मोदी का विकल्प बनाने की ख़्वाहिश भर दी है और इसीलिए ममता बौरा गयी हैं। इस बौराहट में उन्होंने यहां तक कह दिया कि UPA सार्थक नहीं है और UPA का अस्तित्व खत्म हो गया है अर्थात अब वो TMC के नेतृत्व में नए विपक्ष का निर्माण करना चाहती हैं।
अपने इस मंशा की पूर्ति के लिए वो अलग-अलग नेताओं से मिल रहीं है और उन्हें भविष्य के मंत्री बनाने का स्वप्न दिखा रहीं है। हालांकि, उनसे मिलने के तुरंत बाद ही नेता उनका मज़ाक बनाने लग जाते हैं। UPA के प्रासंगिकता वाले उनके बयान पर नवाब मालिक पलटवार करते हुए कहा कि “कांग्रेस के बिना किसी संयुक्त विपक्षी मोर्चा के बारे में सोचना एक राजनीतिक नादानी और अपरिपक्वता है।”
ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि ममता का मुंबई का तीन दिवसीय दौरा पूर्णतः व्यर्थ हो गया। ऊपर से उनका जो मखौल बना सो अलग। इस दौरे के दौरान उनपर राष्ट्रगान के अपमान के लिए FIR भी दर्ज की गई। अंतः ममता को समझना ही होगा कि भले ही भोले- भाले हिंदुओं को बरगलाकर और मुस्लिमों का मत पाकर वो बंगाल चुनाव जीत गयी। परंतु, बाकी देश बंगाल में उनके राष्ट्रविरोधी कार्यों और हिन्दू नरसंहार से अवगत है और वो सिर्फ हंसी का पात्र बन रहीं है।
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