‘स्मार्ट निवेशक’ बनते जा रहे हैं ज्यादा से ज्यादा भारतीय युवा और यह भारत के लिए सकारात्मक खबर है

बचत से ज्यादा निवेश की ओर आकर्षित हो रही है आज की युवा पीढ़ी!

युवा निवेश

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कुछ दिनों पहले मैंने अपने ऑफिस में एक सर्वे किया था, जिसमें यह पता लगाने का प्रयास था कि कितने लोग स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं। परिणाम आश्चर्यजनक था और 95 प्रतिशत युवाओं ने अपने फोन के जरिए स्टॉक मार्केट में निवेश कर रखा था। अधिकतर युवा Zerodha से लेकर Upstocks, Grows, Paytm Money तथा Kotak Securities जैसे मोबाइल ऐप के जरिए मार्केट की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखते हैं। बीते दिन सोमवार को हुए वैश्विक बिकवाली के बीच घरेलू इक्विटी बाजार को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा। सोमवार के कारोबारी सत्र में BSE बेंचमार्क सेंसेक्स 1,393.04 अंक गिरकर 55,618.70 के निचले स्तर पर आ गया। बीते शुक्रवार को सेंसेक्स 889.40 अंक या 1.54 फीसदी की गिरावट के साथ 57,011.74 पर बंद हुआ था। इसके बावजूद युवाओं का विश्वास मार्केट में निवेश पर बना हुआ है।

बचत से निवेश की ओर बढ़ता आज का युवा

पिछले एक दो वर्षों में भारत के युवाओं द्वारा स्टॉक मार्केट में निवेश बढ़ा है और लगातार बढ़ रहा है। युवा अपने पैसों को निवेश करने के लिए उत्सुक दिख रहे हैं और यह भारत के लिए अच्छी खबर है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत अब बचत से निवेश की ओर बढ़ रहा है। बचत मुद्रा का अमूल्यन करता है और निवेश राष्ट्रहित में सम्पदा निर्मित करता है। हाल के निवेश उछाल ने टियर II और टियर III शहरों के निवेशकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। एंजेल ब्रोकिंग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच जुड़े आधे से अधिक नए ग्राहक छोटे शहरों और कस्बों से थे।

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एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के अनुसार, इक्विटी निवेश में इन जगहों के निवेशक की संख्या में फरवरी 2020 से फरवरी 2021 तक 16 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सिक्योरिटीज के लिए दो राष्ट्रीय डिपॉजिटरी, नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज के डेटा से पता चलता है कि भारत में घरेलू व्यक्तियों के पास सक्रिय डीमैट खातों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2019 में सक्रिय डीमैट खातों में 3.8 मिलियन की वृद्धि हुई, जबकि वित्तीय वर्ष 2021 में इसमें 14.1 मिलियन की वृद्धि हुई। आंकड़ों में यह वृद्धि महामारी के आगमन और Zerodha, अपस्टॉक्स, 5पैसा और पेटीएम मनी जैसे अत्याधुनिक ऐप-आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के उद्भव के साथ मेल खाती है।

सक्रिय निवेशक खातों की बढ़ती संख्या

आंकड़े बताते हैं कि सक्रिय निवेशक खातों में वर्ष 2020 के दौरान रिकॉर्ड 10.4 मिलियन की वृद्धि हुई। वर्ष 1987 में स्थापित एक प्रतिभूति फर्म एंजेल ब्रोकिंग ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर तक जोड़े गए 510,000 ग्राहकों में से 72 प्रतिशत ने पहले कभी शेयरों में कारोबार नहीं किया था। इसका अर्थ यह हुआ कि अधिक से अधिक नए लोग निवेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्रोकरेज कंपनी Zerodha के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नितिन कामथ का अनुमान है कि उनका प्लेटफॉर्म औसतन एक दिन में 1 से 1.2 करोड़ ऑर्डर संभालता है। उनका स्पष्ट कहना है कि इन निवेशकों में से अधिकतर 30 साल से कम उम्र के पहली बार निवेशक हैं, जो अपने मोबाइल फोन से दर्जनों ट्रेडों को तेज गति से निष्पादित करते हैं। देखा जाए तो भारत का बेंचमार्क S&P BSE सेंसेक्स इंडेक्स इस वर्ष के पहले 10 महीनों में 20 फीसदी से अधिक बढ़ा था, लेकिन यह अक्टूबर में अब तक के उच्चतम स्तर से लगभग 8 फीसदी गिरा है।

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कोरोना के नए संस्करण के वैश्विक प्रसार के बारे में चिंताओं के बीच शेयरों में भी उतार-चढ़ाव रहा है। Paytm के IPO से कई लोगों को नुकसान हो चुका है। बीते दिन सोमवार को शेयर मार्केट में आए भूचाल से हुए नुकसान को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अधिक अनिश्चित बाजार दृष्टिकोण का मतलब है कि छोटे निवेशकों को मंदी में काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, बचत जमा जैसे पारंपरिक निवेश पर रिटर्न कम रहता है, जिससे भारत के मिलेनियल्स शेयरों में पैसा डालने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। इसके बावजूद युवाओं का लगातार निवेश की ओर जाना दिखाता है कि देश के युवा अब बचत नहीं निवेश कर रिस्क लेना चाह रहे हैं।

वियतनाम से लेकर दक्षिण कोरिया तक ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजारों में पैसा लगा रहे हैं, लेकिन भारत जिस गति से नए निवेशक जोड़ रहा है वह अभूतपूर्व है। NSE के अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 लॉकडाउन के बाद से खुदरा निवेशक भारत के शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं और विविध पोर्टफोलियो में अधिक से अधिक पैसा लगा रहे हैं।

एक वर्ष में बढ़ा लगभग 35,000 करोड़ रुपये का निवेश

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार खुदरा निवेशकों ने इस साल भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के नकद बाजार में 86,000 करोड़ रुपये लगाए, जबकि वर्ष 2020 में यह 51,200 करोड़ था। अपने बाजार नियामक के अनुसार वर्ष 2020 की शुरुआत में भारत हर महीने 400,000 निवेशक खाते जोड़ रहा था। वर्ष 2021 में यह संख्या बढ़कर लगभग 2.6 मिलियन हो गई, जो न्यूजीलैंड की आबादी का लगभग आधा है। सेंसेक्स में गिरावट के बावजूद, ब्रोकरेज के लिए नवंबर सबसे अच्छे महीनों में से एक था। Zerodha ने पिछले महीने लगभग 400,000 नए निवेशक खाते खोलें, जबकि एंजेल वन और 5पैसा डॉट कॉम जैसे ऐप ने भी इसी तरह के आंकड़े को छुआ।

ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म ग्रो द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भविष्य की जरूरतों के लिए धन सृजन करना युवा भारतीयों के सर्वेक्षण की सर्वोच्च प्राथमिकता है। धन सृजन के लिए निवेश आवश्यक है। सर्वेक्षण में यह स्पष्ट है कि आज के युवाओं में सीखने की उच्च भूख है और वे उपलब्ध निवेश विकल्पों के बारे में बहुत शिक्षित हैं। ग्रो के सर्वेक्षण के अनुसार 79.3 फीसदी उत्तरदाताओं ने महामारी के दौरान एक साल से भी कम समय पहले अपनी निवेश यात्रा शुरू की थी। सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि कम निवेश का मुख्य कारण वित्तीय ज्ञान की कमी थी। सर्वेक्षण से यह पता चला है कि कम जोखिम लेने की क्षमता भी निवेश निर्णय लेने की चुनौतियों में से एक है। लेकिन उज्ज्वल पक्ष यह है कि वे निवेश की बारीकियों को समझने और भविष्य में एक सुविचारित निवेश करने के लिए तैयार हैं। आंकड़े यही साबित करते हैं।

भारत के लिए कैसे है यह अच्छी खबर?

खुदरा निवेशकों के उदय का संबंध सावधि जमा (FD) और सोना जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों से शेयर बाजारों द्वारा प्रदान किए जा सकने वाले रिटर्न के आकर्षक होने से भी है। इससे देश को फायदा यह होगा कि अधिक निवेश बढ़ने से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। यही नहीं, जिस कंपनी में निवेश हो रहा है उस कंपनी की Market Capitalization में भी भारी वृद्धि होगी और अगर पूंजी बढ़ेगी तो मार्केट में मौद्रिक तरलता आएगी।

इसका असर यह होगा कि मुद्रास्फीति में गिरावट आएगी और महंगाई घटेगी। साथ ही बढ़ते निवशकों की संख्या से व्यापारिक असंतुलन कम होगा और देश के भी राजकोषीय घाटा में कमी आएगी। अंत में हम जीते या हारें, लेकिन मौजूदा समय में आर्थिक जागरूकता एक नए स्तर पर पहुंच चुकी है। आज के हमारे युवा, राष्ट्र का नया आर्थिक सिद्धान्त लिख रहे हैं, जो हमें बचत से निवेश और संपदा संचयन की ओर ले जाता है।

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