सहिष्णुता और सार्वभौमिकता मानवता का आधार है। सनातन संस्कृति इन दोनों गुणों को समाहित किए हुए है, शायद इसीलिए श्रेष्ठतम होने के साथ-साथ यही एकमात्र मानवीय धर्म है। मुस्लिम, यहूदी, ईसाई जैसे शामी धर्म को स्वयं में समाहित किए हुए सिख, जैन और बौद्ध धर्म का उद्गम स्रोत भी है। एक प्रचलित कथन के अनुसार, “वो सनातन संस्कृति ही है, जिसकी गोद में शिया और सुन्नी एक साथ रह सकते हैं, अन्यत्र कहीं नहीं।” इसके ठीक विपरीत इस्लाम में सहिष्णुता और सार्वभौमिकता की भावना नगण्य है। हम “वसुधेव कुटुंबकम” की बात करते हैं, तो वे शरीयत शासन की। हम “एकम सत, विप्रः बहुधा वदन्ती” की बात करते हैं, तो वे “ला इलाह इल्लील्लाह” की।
कट्टरपंथी मुस्लिम हिंदू मूर्तियों को हटाना चाहते हैं
इसी की एक बानगी त्रिनिदाद और टोबैगो में देखने को मिलती है। Haji Ruknuddin Institute of Islamic Studies की एक छात्रा अपने पति के साथ The Price Club Supermarket कुछ समान खरीदने गई। वहां उन्हें हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां दिखी। स्वयं इस्लामिक कट्टरपंथ के स्तर का अनुमान लगाइए, हिन्दूओं के साथ मिलजुल कर रहना तो दूर वो हिंदुओं के प्रतीक चिन्ह तक को बर्दाश्त नहीं कर पाए। वैश्वीकरण के दौर में शिक्षा प्राप्त कर रहे, ये आधुनिक छात्र-छात्रा रोते हुए हाजी इम्तियाज़ अली के पास पहुंचे और पूरी बात बताई। मौलवी साहब ने सोचा कि इन हिंदुओं की इतनी मजाल जो अपने धर्म का खुलेआम पालन करें। अतः उन्होंने तुरंत Supermarket को पत्र लिखा और उन्हें आदेश दिया कि वो मूर्ति तत्काल हटा ली जाए और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराई जाए अन्यथा हमें अल्लाह के कोप का भागी बनना पड़ेगा।
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आपको जान कर आश्चर्य होगा कि हाजी इम्तियाज़ अली कोई आम आदमी नहीं बल्कि Anjuman Sunnatul Jamaat Association के चेयरमैन है। वे इसके साथ-साथ इस संगठन की शाखा Real Street Jamaat के सर्वेसर्वा भी है। इसके अलावा सुपरमार्केट ने अपनी जांच में पाया कि पत्र लेखक अंतर-धार्मिक संगठन के बोर्ड में कार्य करता है। त्रिनिदाद और टोबैगो में विभिन्न जेलों में मुस्लिम बंदियों के लिए धार्मिक गुरु के रूप में भी कार्य करता है। अब सबसे बड़ी विडम्बना सुनिए, इन महाशय को धार्मिक सद्भावना स्थापित करने के लिए एक विशेष समिति में भी नियुक्त किया गया था।
ये कुंठित मानसकिता का नतीजा है कि…
इतने बड़े मुस्लिम धर्मगुरु की ऐसी मानसिकता को देखकर सुपर मार्केट सकते में है। हालांकि, उन्होंने मूर्ति हटाने से मना कर दिया है। परंतु, इस निर्णय से उनके मानसिकता का पता चलता है। ये वही मानसिकता है, जिसने अफगान के बामियान में बुद्ध प्रतिमा तोड़ी, UAE के सुपर मार्केट में गणेश प्रतिमा को ध्वस्त कर डाला, श्रीलंकन नागरिक को जलाया और अब बांग्लादेश-पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़ते हैं। त्रिनिदाद और टोबैगो में मुस्लिम असहिष्णुता और चरमपंथ इस स्तर पर है, जब उनकी आबादी महज 5 प्रतिशत है जबकि हिंदुओं की आबादी 18.2 प्रतिशत है। ज़रा सोचिए अगर ये आंकड़े ठीक उल्टे होते तो क्या होता?
अतः ये कहना उचित होगा कि धरती का क्षेत्रफल स्थिर है और रहेगा। आबादी बढ़ रही है और बढ़ेगी। ऐसे में, जो धार्मिक सहिष्णुता और प्रेम को नहीं अपनाता वो मानवता के लिए खतरा है। हिन्दू धर्म के साथ समस्या यह है कि वो इसका पालन अति स्तर पर करता है जबकि इस्लाम बिल्कुल नहीं। यह घटना आने वाले खतरे का सूचक है।
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