निधि राज़दान, नाम तो सुना ही होगा! अरे वही हावर्ड वाली निधि जिन्होंने उमरिका जाने के लिए NDTV में अपनी नौकरी छोड़ दी और फिर बाद में पता चला कि किसी ने उनके साथ हावर्ड के नाम पर स्कैम कर लिया है। अब फिर से एक खबर सोशल मीडिया पर है और इस बार New York Times ने इस मामले पर कथित “Investigation” किया l जिस मामले को हावर्ड भी भुला चुका है, उसे इस मीडिया हाउस ने उठाते हुए अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। हास्यास्पद बात यह है कि NYT ने इस रिपोर्ट में निधि के साथ हुए स्कैम के लिए हिन्दू राष्ट्रवादियों को दोषी ठहराया है।
कल निधि राज़दान ने स्वयं New York Times की रिपोर्ट को सहानुभूति बटोरने के प्रयास में ट्विटर पर पोस्ट किया।
Thread:
In January this year, I found out that a job I thought I had with Harvard University wasn’t real. It was one of the lowest points of my life. For nearly a year, the @nytimes did an investigation and found some startling facts https://t.co/koK3crBXpP— Nidhi Razdan (@Nidhi) December 16, 2021
इस रिपोर्ट का शीर्षक है, “That Job at Harvard? It’s Not Real” अर्थात “हावर्ड में नौकरी? क्या वह सच नहीं।” इस रिपोर्ट में New York Times ने निधि राज़दान के साथ हुए घोटाले के लिए हिंदू राष्ट्रवादियों को दोषी ठहराने की कोशिश की, और यह खुलासा किया कि भारत में कई महिलाओं को इस विस्तृत घोटाले में निशाना बनाया गया था। इसका अर्थ यह हुआ कि कई पत्रकारों को निशाना बनाया गया लेकिन झांसे में सिर्फ निधि राज़दान ही आई, जिन्होंने अमेरिका जाने के लिए NDTV से इस्तीफा दे दिया था, और सार्वजनिक रूप से उसकी घोषणा भी की थी। इससे आप निधि की Intelligence का भी अंदाजा लगा सकते हैं!
That NYT piece on Nidhi Razdan’s Harvard scam and its desperate struggle to blame it on Hindu nationalists till the end 😂👌
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) December 16, 2021
हालांकि, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्होंने Investigation की है लेकिन इन्हें स्कैम करने वालों की पहचान के बारे में कोई ज्ञान नहीं है कि वे वास्तविक हैं या नहीं। आप भी सोचेंगे कि ये कैसा Investigation है। इसमें दावा किया गया है इन Scamsters ने भारत में हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन का ऑनलाइन समर्थन व्यक्त किया था। हालांकि, इस रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि घोटाले के पीछे के लोगों ने हिंदू राष्ट्रवाद के लिए किस प्रकार से समर्थन किया था।
NYT की रिपोर्ट के अनुसार द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह पहली थी, जिसे तौसीफ अहमद नमक व्यक्ति ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से होने का दावा कर सबसे पहले संपर्क किया।
तौसीफ और एलेक्स हिर्शमैन नाम के एक अन्य व्यक्ति, दोनों ने रोहिणी सिंह को एक उच्चस्तरीय मीडिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। उन दोनों ने रोहिणी को यह भी बताया कि इस सम्मेलन के सभी खर्च हार्वर्ड वहन करेगा।
हालांकि, रोहिणी को पहले से ही शक था और उनके जीमेल अकाउंट तथा उनके फोन नंबर को देख कर वे सावधान हो गयी। जब उन्होंने रोहिणी से उनके पासपोर्ट का विवरण और तस्वीरें मांगी, तो रोहिणी ने उनसे संवाद करना बंद कर दिया।
आप समझ सकते हैं एक ऐसी व्यक्ति जो अखिलेश यादव की समर्थक हैं, उसे यह पता चल जा रहा है कि यह एक स्कैम है लेकिन एनडीटीवी के पूर्व छात्र समझ नहीं पा रहे हैं।
इसी तरह The Print की जेनाब सिकंदर को भी निशाना बनाया गया लेकिन वह भी झांसे में नहीं आई।
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इसके बाद बीजेपी की प्रवक्ता निघट अब्बास को भी निशाना बनाया गया और इस बार तो इन स्कैमेस्टर ने हावर्ड के अधिकरियों के नकली हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया। साथ ही उन्होंने Gmail के स्थान पर Harvard.edu का इस्तेमाल करना आरंभ कर दिया था। जब निघट को शक हुआ तो उन्होंने हावर्ड से संपर्क करने की कोशिश की और ट्विटर पर लोगों को सावधान भी किया। इससे हावर्ड के एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि मेल तो नकली है और उन्होंने और जानकारी मांगी। निघट ने सभी जानकारी, फोन नंबर और स्क्रीनशॉट उन्हें भेज दिया। हालांकि, NYT को यह पता नहीं है कि उसके बाद हावर्ड ने कोई एक्शन लिया या नहीं।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है इस लिस्ट में निघट ही ऐसी हैं जो मोदी सरकार की प्रवक्ता है नहीं तो जिनसे भी इन घोटालेबाजों ने संपर्क किया गया है सभी घोर मोदी विरोधी हैं।
निघट द्वारा सार्वजनिक रूप से सावधान किए जाने के बावजूद निधि राज़दान झांसे में आ गयी और हावर्ड में पढ़ाने के लालच में अपनी जानकारी इन घोटालेबाजों के साथ शेयर कर दी। निधि की intelligence इतनी है कि वो इन घोटालेबाजों के ईमेल में व्याप्त एक सामान्य ग्रामेटिकल मिस्टेक को नहीं समझ सकीं। निधि खुशी में इतना ज्यादा उछल गईं कि उन्होंने इसका ढिंढोरा पीट डाला, कि वो अब हार्वर्ड की प्रोफेसर हैं। कई बार निधि ने उस व्यक्ति को हार्वर्ड में एक वास्तविक डीन एम्मा डेंच के साथ वीडियो कॉल करने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन आखिरी मिनट में कॉल कैंसिल होती रहीं, नए-नए शानदार बहानो के साथ। तब भी निधि नहीं समझ पायी कि उनके साथ स्कैम हो गया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स का मानना है कि इस घोटाले के पीछे हिंदू राष्ट्रवादी हो सकते हैं। वे दावा करते हैं, “शायद महिलाओं को एक व्यक्ति द्वारा लक्षित किया गया था। किसी ने वैचारिक रूप से भारत में हिंदू राष्ट्रवादी सत्तारूढ़ दल के साथ गठबंधन किया था और कश्मीर के मामले पर सरकार के हस्तक्षेप के आलोचकों को अपमानित करने के लिए यह सब किया गया।
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NYT का यह भी दावा है कि घोटालेबाजों सीमा सिंह नाम के ट्विटर अकाउंट से इन सभी को टैग करते रहते थे। NYT का मानना है कि क्योंकि इस अकाउंट ने अपने Bio में लिखा था कि वह भारत से है न कि इंडिया से तो घोटालेबाज हिन्दू राष्ट्रवाद के समर्थक हैं। वाह! तालियाँ बजती रहनी चाहिए!
जितना हास्यास्पद निधि का हावर्ड में नियुक्ति पर ढ़ोल पीटना था उतानी ही हास्यास्पद NYT की यह रिपोर्ट है। इसमें स्कैम के घटनाक्रम को तो बता दिया गया है लेकिन किसने किया है उसके जवाब में एक ट्विटर अकाउंट के नाम पर इसे राष्ट्रवादियों द्वारा समर्थित घोषित कर दिया गया है।