सिर्फ मुनव्वर फारूकी ही नहीं, बैंगलुरु में कुणाल कामरा के शो का आयोजन भी हुआ रद्द

देश में बर्दाश्त नहीं होगा सनातन संस्कृति का मजाक!

Kunal Kamra मुनव्वर

Source- TFIPOST

अधिकार हमेशा कर्तव्यों से बंधे होने चाहिए, अन्यथा दूसरे व्यति के अधिकार खतरे में पड़ जाएंगे। उसके बाद अधिकार के नाम पर सबल आदमी निर्बल का शोषण प्रारम्भ कर देगा। हमारे संविधान ने बड़ी उदारता से अपने सभी नागरिकों को अधिकार दिए, जो हम सभी को याद भी हैं। पर, संविधान ने अधिकारों की जो सीमाएं बनाई और अनुच्छेद-51A में जो कर्तव्य सुनिश्चित किए, वो किसी को याद नहीं और यही हमारे देश की दुर्दशा का कारण है। उदाहरण के लिए नमाज़ पढ़ना, अजान देना एक धार्मिक अधिकार हो सकता है, परंतु किसी की यात्रा या नींद में खलल ना पड़े ये सुनिश्चित करना भी हमारा कर्तव्य है। ये अलग बात है कि लोग यह समझ नहीं पाते!

आजकल ऐसी परिपाटी सबसे ज्यादा Comedy Show में देखने को मिलते है। वैसे तो इन आयोजनों को कॉमेडी शो का नाम दिया जाता है, लेकिन वास्तव में ये फूहड़ शो हैं। गाली, नग्नता, राष्ट्र निंदा के साथ-साथ धर्म और समुदाय का मज़ाक बनाकर लोगों को हंसाया जाता है। लोग इसलिए नहीं हंसते कि कलाकार के चुटकुले अच्छे हैं, बल्कि इसलिए हंसते हैं कि उसने ऐसी गंदी बात एक सार्वजनिक मंच से कही है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। यह स्थिति कला, कलाकार और कला प्रेमी तीनों के स्तर में गिरावट का प्रतीक है।

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ऐसे फूहड़ हास्य में सुधार करने के बजाए कुछ comedian बोलने की आज़ादी और अल्पसंख्यक अधिकारों के नाम पर इसका बचाव करने लगे और हद तो तब हो गयी, जब मुनव्वर फारूकी जैसे Comedian देवी-देवताओं और धर्म का मज़ाक उड़ाने लगें। आप चाहें तो स्वयं यूट्यूब पर जाकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम-सीता के बारे में फारुकी के भद्दे मज़ाक सुन सकते हैं। सहिष्णु सनातन संस्कृति इस अपमान पर भी चुप रही।

परंतु, जो चीज़ सबसे ज्यादा कचोटती है, वो ये है कि हिन्दू Comedian तो छोड़िये, मुस्लिम धर्म के Comedian भी हिन्दू धर्म का ही मज़ाक उड़ाते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि हिन्दू नपुंसकता के हद तक सहिष्णु है और कट्टरपंथी बर्बरता के हद तक क्रूर! वो जानते हैं कि हिन्दू सिर्फ अधिकारों के असमंजस में फंसा रहेगा, जबकि इस्लाम का मज़ाक उड़ाने पर कोई कट्टरपंथी मुसलमान उनका गर्दन काट देगा। इसी का फायदा मुनव्वर फारूकी, कुणाल कामरा और वीरदास जैसे Comedian उठाने लगें!

मुनव्वर ने उड़ाया था सनातन धर्म का मजाक

फिर क्या था, हिन्दू जागृत हुआ और राम-सीता पर भद्दा मज़ाक करने के कारण मुनव्वर के आयोजनों को रोकने लगा। पहले की तरह ही मुनव्वर फारुकी ने अपने इस कृत्य के लिए क्षमा नहीं मांगी और ना ही ऐसी गलती पर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने Victimcard खेला। उनके अनुसार वो खुद नहीं सुधरेंगे, बल्कि हिन्दू समाज को प्रेम और अधिकार के नाम पर अपने आराध्य का अपमान सहना चाहिए। उन्होंने जान-बूझकर इस विवाद को अपने मुस्लिम पहचान और अल्पसंख्यक अपमान से जोड़ दिया। आप में से कुछ लोगों को पता भी नहीं होगा कि मुनव्वर फारूकी के साथ दो हिन्दू और एक ईसाई भी पकड़ा गया था, जिन्होंने पश्चाताप भी किया और प्रायश्चित भी।

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कुणाल कामरा पर भी एक्शन

अब इस कड़ी में नया नाम कुणाल कामरा का जुड़ा है, जिसने मुनव्वर के बर्ताव को मुस्लिम पहचान के साथ जोड़कर देश की आलोचना की थी। जिसके बाद बैंगलुरु के आयोजकों ने उसके शो का आयोजन करने से मना कर यह सिद्ध कर दिया कि हास्य के नाम पर फूहड़ता में जो धर्म और राष्ट्र को घसीटेगा उसे हम नहीं देखेंगे चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान। इसके लिए कामरा ने देश, प्रशासन और हिन्दू कट्टरता को दोष दिया, जबकि यहीं समाज ज़ाकिर खान, सुहेल और मानिक मन्हा जैसे comedian को खूब पसंद करता है। इसका अर्थ यह है कि समस्या धर्म या समुदाय में नहीं, बल्कि आपके हास्य में है। आज कल के Comedian मज़ाक नहीं करते, बल्कि मज़ाक उड़ाते हैं चाहे वो आपका हो या फिर हिन्दी, हिन्दू या हिंदुस्तान का।

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